1.
आज रास्ते में देखा उसे,
सब बदला बदला सा लगा,
वो जो सबकुछ हुआ करता था कभी,
दुनियां की तरह अजनबी सा लगा,
रात दिन जिसकी आस रहती थी कभी,
वो अब मुझे मेरी तिश्नगी नहीं लगा...
2.
एक सहारा तुम्हारा मिल जाए,
मनुष्य जीवन ये तर जाए,
जिसने चाहत की सावरे की,
चरणों का परमधाम मिल जाए,
बांसुरी कान्हा आज कुछ ऐसी बजाओ,
कुछ यूं अपना स्नेह बरसाओ,
लोक परलोक से हमारा,
आना और जाना थम जाए...
3.
आंखें भी इक ज़बान रखती हैं,
अफसाने बसा के बेहिसाब रखती हैं,
रखती हैं एक दिल,अपने अंदर बसा के,
दिल की हर धड़कन का हिसाब रखती हैं...
4.
आग सी ज़िंदगी,
बेबाक सी ज़िंदगी,
कांटे हैं तो क्या,
फ़िर भी गुलाब सी ज़िंदगी...
5.
दो दिन में आदतें बदलने,
की आदत नहीं मुझको,
संसार के पर्दे में,
ऊपरवाले ने यही,
किरदार दिया मुझको...
6.
चलो एक जहान बनाते हैं,
पुतलों में इंसान जगाते हैं,
जो आंखें भूल गई हैं देखना सपना,
ऐसी आंखों में नए सपने जगाते हैं,
रात हो गई तो डरना कैसा,
सुबह की आस में मरना कैसा,
जो है उसी को और सुंदर बनाते हैं,
चलो रात को भी गले लगाकर,
जगमग दिए जलाते हैं,
7.
मैंने आसमां बनाया है,
स्वच्छंद उड़ने के लिए,
बादलों को सजाया है,
सावन के झूले के लिए,
अब मैं रहती हूं यहीं,
इसी आसमान में,
अपने को पहचान कर,
मजबूती से ख़ुद से जुड़ने के लिए...
8.
एक बार तुम अगर मेरा दिल देख पाते,
यकीन है मुझे कि तुम मेरी मंज़िल देख पाते..
9.
सवाल तो बहुत हैं,
जवाब की दरकार कहां करें,
इंसान तो बहुत हैं,
अपनो की पहचान कहां करें,
ख़ून के रिश्ते यहां,
ख़ून के आंसू दे जाते हैं,
गैरों के धोखे की,
फिर गुहार कहां करें,
तमाम उम्र यही सोचने में गुज़र जाती है,
दर्द और खुशी को,
बताने की पुकार कहां करें,
इंसान तो बहुत हैं,
मगर,
भरोसा करने का कमाल कहां करें...
10.
नसीब नसीब की बात है,
तेरा जवां है
मेरा खफ़ा है..
11.
कहा था मैंने तुम्हें,
एक दिन तुम मेरे आकाश बन जाओगे,
और मैं, धरती ही होके रह जाऊंगी...
12.
मैं दूर जाके भी पास रहूंगी,
तेरी धरती का आकाश रहूंगी,
रहूं ना रहूं आवाज़ बन कर,
कुछ तस्वीरों में तो, तेरे साथ रहूंगी...
13.
तुम पर रुक जाती थी ज़िंदगी,
तुम, मेरे लिए पूर्ण विराम जैसे ही तो थे,
जैसा मैं चाहती थी,
हां तुम बिल्कुल वैसे ही तो थे...
14.
बुलंद करना है तो
बुलंद कर विचार,
और अपने आचार,
मन से साफ़ कर
समस्त व्यभिचार,
संसार में मत ढूंढना ख़ुद को कभी,
अपने अंदर डूब के देख,
वही छुपा संसार...
15.
मुझे चाहत नहीं किसी हीरे की,
क्यूं ना ख़ुद को तराश के ही,
हीरा किया जाए...
16.
असर ही उसका ऐसा था,
कि बहारों को लौट आना पड़ता था,
बेफिक्र सी हवाओं को,
उसकी जुल्फ़ों में उलझ जाना पड़ता था,
इशारा बस नज़र का इक होता था,
और नज़ारों को भी सर झुकाना पड़ता था,
बातों के आगे, मौसिकी भी कम पड़ जाती थी,
उसकी बात ही ऐसी थी,
कि ख़ाली बोतलों को भी झूम जाना पड़ता था...
17.
आंखें बोलती बहुत कुछ हैं,
बस आवाज़ नहीं आती,
बात सिर्फ़ इतनी है,
जिसको समझाना चाहो,
आंखों की भाषा,
उसे समझ नहीं आती...
18.
बिखराव हो जाए,
तो डर मत जाना,
ठहरना, संभलना
और फिर से उठ जाना,
जोड़ने वाले कम,
तोड़ने वाले ज़्यादा मिलेंगे,
मिलना सबसे,
मगर किसी के प्रभाव में मत आना,
बिखराव हो जाए,
तो बिखर मत जाना...
19.
आसमां को ज़मीन पे ना लाना,
कद ऊंचा करना इतना,
कि स्वयं ही आसमां तक चले जाना...