even the thorns don't prick in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | कांटे भी नहीं चुभते

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कांटे भी नहीं चुभते

1.
किस हद तक इंतजार करें कोई,

गुलाब कब तक ताज़ा रहेगा... आखिर ?

2.
वो हमसें जुदा होकर ग़ैरों पे फिदा हो गए

क्या वाक़ई मोहब्बत के ऐसे ख़ुदा होते हैं,

3.
गुजर रही है ये जिन्दगी बड़े ही नाजुक दौर से,

मिलती नहीं तसल्ली तेरे सिवा किसी और से...

4.
"खूबसूरत का पता नहीं,

लेकिन मज़ा बहुत आता है,

प्यार में भी और इंतज़ार में भी।"

5.
*मोहब्बत समेट लेती है,*
*जमाने भर के रंजो गम,*
*सुना है महबूब अच्छा हो तो,*
*कांटे भी नहीं चुभते,*

6.
अजी भा गई है नज़ाकत किसी की |
मोहब्बत बनी है इबादत किसी की ||

उसे भूल जाना मुनासिब नहीं है |
मुसीबत बनी है शराफत किसी की ||

दुवा जब करोगें असर तो करेगी |
भला कब करेगी अदावत किसी की ||

जिसे मिल गई हो सनम की मोहब्बत |
उसे फिर जरूरत नहीं है किसी की ||

7.
आँखों की नजर से नहीं,
हम दिल की नजर से प्यार करते है,

आप दिखे या ना दिखे फिर भी हम,
आपका दीदार करते है…

8.
और किसके है यार बस तुम्हारे है

हाय तेरे ये अलफ़ाज़ कितने प्यारे है

9.
चलो आज अपनी
मोहब्बत पर कोई
किताब लिखते है...

तुम इश्क लिखकर
शुरुवात करो...
हम कबुल है कबुल
है कहकर पुरी करते
है...

10.
सुनो...
इस कॉपी पेस्ट की दुनिया में
तुम मेरी खुद की रचना हो...

11.
बेक़रार रूह, और दिल की गुजारिश,

उफ़्फ़फ़ धड़कना है, बस तुझी में धड़कना है...

12.
अब क्या मैं इन फ़ासलों की चुभन लिखूँ ,
क्या अपने दिल की मैं अगन लिखूँ...!!

जब मेरे हर फ़लसफ़े में तू ही है तो,
क्यों न तुझे मैं अपनी ज़िन्दगी की इबादत लिखूँ ..!!

तेरे साथ का अहसास होता है मेरे साथ,
अपने रुहानी इश्क़ का मैं ये ज़तन लिखूँ...!!

तू है ग़ुलाब औऱ वहाँ की हव़ा है यहाँ,
ख़ुशबू में तेरी मैं ख़ुद को मगन लिखूँ...!!

13.
वो जो ढूंढते हैं मुझको दुनिया मे

उनको बताए कोई मैं उनके दिल मे रहती हूँ

14.
हम इश्क़ लिखते नहीं इश्क़ पढ़ते हैं मुर्शिद".

वो निगाहें तो मिलें हम किताबें पढ़ना छोड़ देंगे"

15.
*ख़राब से ख़राब मौसम भी सुहाना हो जाता है...*

*क्या करें आपको देखते हैं और दिल शायराना हो जाता है...!!

16.
जिस के आने से खिल उठे कलियां
सनम तुम वो मौसमे बहार लगते हो...

17.
हम सन्यासी भी अगर बन जाएंगे,

तो ध्यान भी सिर्फ़ तेरा ही लगाएंगे...!!

18.
इश्क किया है हमने भी हम भी रातों को जागे हैं,

है कोई ऐसा जिसके पीछे हम भी नंगे पैरो भागे हैं…!!

19.
तुम्हें अपना समझते है तभी तो लड़ते हैं,

वरना गैरों से जाकर पूछो हम किसी के मुंह नहीं लगते…!!

20.
फिदा हो जाऊँ तेरी किस - किस अदा पर,

अदाएं लाख तेरी और बेताब दिल एक मेरा…!!

21.
ऐ काश…!
कभी तो ये रात एक सौग़ात लेकर आए,

खत, ख्वाब, ख्याल नहीं, खुद आप चलकर आएँ…!!

22.
कभी फुर्सत में बैठ कर पढ़िये मेरे अल्फाजों को,

तुम पर ही शुरू और तुम पर ही खत्म होंगे...!!

23.
इश्क़ तस्सवुर का शहर है ज़रा तबज़्ज़ो इसे दिया कीजिये...!!

जानें कब मुसाफ़िर बदल जाए संभलकर सफ़र कीजिये...!!

24.
मैं भी मीठी हो जाऊंगी,
रह रह तेरे संग...

शब्द - शब्द मिश्री होगी,
छंद - छंद गुलकंद...!!

25.
सुरमई शाम आई है जिस तरह
तू भी आ जा उस तरह...!!

बता करूँ कब तक तेरा इंतज़ार
अब यह सुहानी रात भी ढलने को है...!!