You can steal a million glances in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | निगाहें लाख चुरा लो तुम

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निगाहें लाख चुरा लो तुम

1.
मैं "हिंदी" का "आलिंगन" हूँ, वो "उर्दू" में "आग़ोश"

उसको मेरे "बाजुओं" में सुकूँन है, मैं उसकी "बाहों" में मदहोश...!!

2.
बड़ी तबियत से पूछा
उसने
कि कौन हूँ मैं...
एक मुस्कान के साथ
हमने भी जवाब दिया...

हर लफ्ज़ को तुझसे
जोड़कर
शायरी कर लूँ
वो वजह हो तुम...

3.
ख़ुमार - ए - इश्क से बेहतर मिज़ाज भी नहीं कोई...

मर्ज़ - ए - मोहब्बत का मगर इलाज भी नहीं कोई...

4.
सिमटकर बैठे हे... अरमान सारे के सारे,

वो सुनने आऐ... तो मे अपनी सुनाऊ...

5.
पुकार लिया करो मेरा नाम
सरेआम तुम भी कभी - कभी...

महबूब के होठों पर कुछ देर
ठहर कर मैं भी तो देख लूँ...!!

6.
ना कर शिकवे अरे नादां यही दसतूरे उलफत है

जो महबूब होता है, ज़रा मगरूर होता है

7.
बांधते होंगे
इश्क में लोग
मन्नत के धागे

मैंने
आंखे बांधी हैं

तेरे इंतजार
की चौखट पे...

8.
दिल का मौसन फौरन बदल जाता है

एक मैसेज उसका तमाम आलम पर राज करता है

9.
नजरे यु झुका कर कत्ल कर गये,
मेरे खामोश लबो को लब्ज दे गये...

जगने लगी ख्वाइशे,
ये कैसा स्वप्न दे गये...

करने लगी हूँ पल पल इंतजार,
ये कैसा बेकशीं का हश्र दे गये...

बनने लगी हूँ गजल मै,
ये कैसा नब्ज - ए - मर्म दे गये...

मोहब्बत तो हो गई है तुमसे
ऐ साहिब,
ऐ कैसा उल्फत - ए - दर्द दे गये...

10.
तेरे इश्क हुआ यूं असर,
हम तेरे "गुलाम" हो गये,

हो गई वफा तुमसे
हम तो चर्चा आम हो गये,

रफ्ता - रफ्ता चढ़ने लगा जाम
तेरी नजरों का
साकि हम तो पैमाना खास हो गये,

यूं ना आजमा मेरी मोहब्बत को
हम तो आशियाना शाम हो गये,

तड़पते ही रहे हम तेरी आरजू में
देख कम्बखत सुबह से शाम हो गये,

11.
मैं विकल्प तो नहीं कि किसी और के बाद याद आऊं,

मुझसे पहले गर कोई हो, तो बेहतर हैं आप मुझे भूल जाये...!!

12.
बैठो कुछ देर सामने यक़ीन के लिये...!!
दवा जरूरी नहीं हर वक़्त सुकुन के लिये...!!

13.
समुन्दर - ए - इश्क़ की गहराई को न नापिये...!

तसव्वुर में यार को रखिये और बस डूबते चले जाईये…!!

14.
सुनो तुम्हारी जो याद है ना मुलाकात से कम नहीं

तो हम तुम्हें भूल गए, इस बात में दम नहीं

15.
निगाहें लाख चुरा लो तुम, पता हम खोज ही लेंगे।

निसार - ए - ज़िंदगी करके गुल - ए - अफरोज़ ही लेंगे।

16.
खबर नहीं मुझको यह, कौन सा दर्जा ए इश्क है...

कि लफ्ज़ सब मेरे हैं, और जिक्र बस तुम्हारा है...

17.
मत पूछ इन हवाओं की शोखिया मुझसे,

गुजर जाती है... जैसे तूने छुआ हो मुझको...

18.
अजीब सी तलब लगाए बैठें हैं,

आप मिल जाएं ये ख्वाब सजाएँ बैठे हैं...!!

19.
फुर्सत ही न हो तो
इश्क़ जता कर क्या कीजे,

गर मिलने को ही तरस जाएँ
तो ऐसी मोहब्बत का क्या कीजे।

20.
फिदा हो जाऊँ तेरी किस - किस अदा पर,

अदाएं लाख तेरी और बेताब दिल एक मेरा…!!

21.
ऐ काश…!
कभी तो ये रात एक सौग़ात लेकर आए,
खत, ख्वाब, ख्याल नहीं, खुद आप चलकर आएँ…!!

22.
इतना दिलकश लिखूँ मैं तुम्हें अपने लफ्जों में,

पढ़ने वालों को तुम्हें देखने की चाहत हो जाए...

23.
यूँ अचानक मिले आप
ना जाने कब रूह के करीब हो गए

ना शिकायत, ना उम्मीद,
बस आप दिल के सबसे करीब हो गए ।