1.
बैठा है क्यों उदास वो दिलबर की याद में
मुझसे तो कह रहा था मोहब्बत फ़िज़ूल है
2.
जताती कभी... छुपाती कभी... चूमती कभी,
मुस्कुराहटें तुम्हारी हैं बदमाश बहुत…
3.
मुझे बड़ी अच्छी लगी उसकी ये अदा,
चार दिन इश्क़ मोहब्बत और फिर अलविदा...!!
4.
मोहब्बत हमसे...!!
वफा गैरों से ये हुनर कहां से लाते हो...!!
5.
तुम्हें हक़ है मुझे देखो बहुत तुम प्यार से लेकिन।
हया आती है मुझको भी तेरे दीदार से लेकिन।।
6.
मेरे महबूब के ऐतबार की हद ना पूछ ग़ालिब;
हमने दिन को रात कहा और उसने पैग बना लिया।
7.
यूँ तो मुहब्बत बहुत करते हैं दिखावे के लिये,
मगर कोई खास ही पहुँच पाता है एहसास - ए - दिल तक...!!
8.
ना मेरे ख्याल से अलग हो
ना मेरी सोच से जुदा...
तुम तो मुझमें बसते हो
मेरी सांस की तरह...
9.
बहुत ज़ालिम हो तुम भी,
मोहब्बत ऐसे करते हो;
जैसे घर के पिंजरे में
परिंदा पाल रखा हो।
10.
हो सके तो ज़रा लम्बी बातें किया करो मुझसे,
क्यूँकी मेरा मन नहीं भरता तुमसे बात करते !!
11.
हम डूब कर भी प्यासे ही रहे,
था वो खारे पानी सा इश्क़ तुम्हारा...!!
12.
कभी तुम भी देखो ये मंजर शाम से पहले...!!
ये लब कैसे चहकते हैं तुम्हारे नाम से पहले
13.
तुमसे मुहब्बत के बाद,
हमने होठों पर लाली लगाना छोड़ दिया...
सबब - बस इतना कि
मुलाकात के बाद तुम्हारी रुस्वाई न हो।।
14.
इन दूरियों में भी
नजदीकियों का एहसास हैं...
क्योंकि इक दूजे के
दिल में ठिकाना है हमारा...
15.
उफ्फ
मोहब्बत में हमने यह कैसा मकाम पाया है...
कल शाम बारिश में भीगे वो बुखार हमें आया है...
16.
इतनी शिद्दत से रग - ओ जाँ में उतरे हो
तुमको भूलूँ तो मुझे जान से जाना होगा
17.
"मैंने दिल के दरवाज़े पर लिखा था अन्दर आना मना है"
"इश्क़ ने आके बोला माफ़ कीजियेगा में अंधा हूं"
18.
यू तेरा दस्तक देना मेरे दिल की दहलीज पर,
तेरी इस मेहरबानी का शुक्रिया,
लेकिन ये दरवाजा तो बरसों से खुला था तुम तब कहा थे...
19.
सिर्फ़, साथ रह' कर चाहा तो क्या ख़ाक मोहब्बत हमारी,
'इश्क' तो तुम्हारे बग़ैर भी तुम्हारा हो के रह जाने में है,
20.
उसकी ख़्वाहिश है कि मैं पर्दे में रहूं साहिब
वो दिल अजीज़ शख़्स जो मेरी हया पर मरता है...
21.
हमारी हजार शायरियों के बीच तुम्हारी...
एक छोटी सी तारीफ ही तो असली इश्क है...
22.
तुम्हे 'याद' ना करूँ, तो कैसे ना करूँ
तुमसे बढ़कर कोई 'प्यारा', लगे तो सही
तुमसे ही है जींवन मेरा,
तुम बिन दिन 'दिन', रात 'रात' लगे तो सही
तुम्हारे बिन 'जिये', तो कैसे जिये
तुम्हारे बिन जीने में 'जीना', लगे तो सही...
23.
कभी इश्क़ की नज़र कभी नज़रों से इश्क...!!
कभी इश्क़ से खुदा, कभी खुदा के लिए इश्क़...!!
24.
तुमको जब लिख रहे होते हैं रात के किसी पहर में...
चाँद पिघल कर बरस रहा होता है मेरे शहर में...
25.
"तब देख के छिपते थे, अब देखते हैं छिपकर,
वो दौर ए लड़कपन था, ये दौर ए जवानी है"
26.
दिल आने की बात है यारो अपने बस की बात कहां...
प्यार अगर हो पत्थर से फिर हीरे की औकात कहाँ...
27.
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं !
हो इजाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं !
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं