1.
नेकियाँ खरीदी हैं हमने अपनी शोहरतें गिरवी रखकर...
कभी फुर्सत में मिलना ऐ ज़िन्दगी तेरा भी हिसाब कर देंगे...!!
2.
अपने क़िरदार पर इतना तो यक़ीन है हमें...
धोख़ा देने वाले भी रोते होंगे हमें याद करके...!!
3.
हो सके तो मुझसे दूर ही रहना,
टूटी हुई हूं, कहीं चुभ ना जाऊं...!
4.
कुछ इस तरह से तेरे मेरे रिश्ते ने आखिरी साँस ली ,
न मैंने पलटकर देखा न तुमने आवाज दी।
5.
मेरे चुप रहने से नाराज ना हुआ करो…
कहते हैं टूटे हुए लोग हमेशा खमोश हुआ करते है…
मेरे चुप रहने से नाराज ना हुआ करो…
कहते हैं टूटे हुए लोग हमेशा खमोश हुआ करते है…
6.
कल मैं चालाक थी
इसलिए मैं दुनिया बदलना चाहती थी...
आज मैं बुद्धिमान हूँ
इसलिए मैं अपने आप को बदल रही हूँ...
7.
ज़िन्दगी जीने के सलीक़े पिता की नसीहत से मिले...!
मुझे कोई फ़र्क नही अब जो उनकी वसीयत से मिले...!!
8.
वो कहते हैं हर चोट पर मुस्कुराओ...
वफ़ा याद रक्खो सितम भूल जाओ...!!
9.
हम ने चलना छोड़ दिया अब उन राहों में
टूटे वादों के टुकड़े चुभते है अब पांवो में
10.
मुश्किल था अलविदा कहना मगर
बहुत जरूरी था मेरा उससे जुदा होना
11.
सिर्फ दुनिया के सामने जीतने वाला ही विजेता नहीं होता…
किन रिश्तों के सामने कब और कहाँ हारना है,
यह जानने वाला भी विजेता होता हैं
12.
पतझड़ में सिर्फ पत्ते गिरते है,
नज़रों से गिरने का कोई मौसम नहीं।
अब डर घाव से नहीं लगाओ से लगने लगा है।
13.
आपने सिर्फ़ गिराने की अदा सीखी है,
और हम गिर के संभलने का हुनर जानते हैं...।
चाल चलने में महारत है यहाँ लोगों को,
और हम बच के निकलने का हुनर जानते हैं...।।
14.
लहरों का शांत देखकर ये मत समझना,
की समंदर में रवानी नहीं है,
जब भी उठेंगे तूफ़ान बनकर उठेंगे,
अभी उठने की ठानी नहीं है…
15.
उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
16.
अभी तो तूने मुझे देखा है
मेरे हुनर को नहीं
17.
मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी ना समझो
बोलने की जुबां हम भी रखते है
18.
किसी कोजरूरत से ज्यादा दी गई सम्मान खुद पर भारी पड़ती है
19.
मेरे शब्दों को गहराई से समझने वाले !!
लगता है तेरे भी अरमान अधूरे बहुत है !!
20.
ख्वाब मत बना मुझे... सच नहीं होते,
साया बना लो मुझे... साथ नहीं छोडेंगे...!!
21.
मोहब्बत भी अज़ीब खेल है...
दोस्तोँ...
जो जितना अच्छा खेलता है,
वो बाज़ी हार जाता है !!
22.
यहां हर बेवकूफ खुद को होसियार सबित करने में लगा है
होसियार को सबित करने की जरूरत नहीं होती
23.
मेरी दुखती हुई जख्म को ना कुरेदो
जख्म मेरी ताज़ी हो गई तो तुम बासी हो जाओगे
24.
बदल गई है रंगत जमाने की जनाब
आजकल वही अनजान बनते हैं जो सब कुछ जानते है
25.
आदतें मुख्तलिफ़ है हमारी दुनिया वालों से,
रुतबा थोड़ा सा ही सही, पर लाजवाब रखते है ।।
26.
*कश्ती है पुरानी मगर*
*दरिया बदल गया;*
*मेरी तलाश का भी तो*
*जरिया बदल गया,*
*न शक्ल बदली*
*न ही बदला मेरा किरदार,*
*बस लोगों के देखने का*
*नजरिया बदल गया...*
27.
एक इसी उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंने,
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नहीं।।
28.
कौन है जो मुझे...
मुझसा समझें, मैने खुद को खोया है,
जिसे पाने की तलाश में...
आजमाइशों में रख वजूद मेरा,
यहाँ कौन मेरी वफ़ा समझें
तू लिबास बन...
मैं तुझे ओढ़ लूँ,
अपने अक्स को तेरी रूह से जोड़ लूँ,
ये रिश़्ता हैं कितना पाक...
भला यहाँ कौन समझें...