Chikni Mitti ki Premika - 3 in Hindi Love Stories by Rajesh Rajesh books and stories PDF | चिकनी मिट्टी की प्रेमिका - भाग 3

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चिकनी मिट्टी की प्रेमिका - भाग 3

तभी उसके कंधे पर रत्ना हाथ रखकर कहती है "चिंता मत करो मैं आपके पीछे-पीछे ही चल रही हूं। फिर राज के पास आकर धीरे से उसके कान में कहती है "यह कोई पुलिस कर्मी नहीं बल्कि वही माया मां का जींद है।"
"तो अब मैं क्या करूं।" राज पूछता है?
"बस मेरे पीछे-पीछे दबे पाओं चलते रहो।" रत्ना कहती है

कुछ कदम चलकर राज पीछे मुड़कर देखता है तो वह पुलिस की वर्दी में जींद कम से कम दस फीट लंबा होकर कच्चे रोड़ पर खड़ा होकर चुपचाप राज रत्ना कि तरफ देख रहा था।

तब राज उस जींद को देखकर रत्न से पूछता है? "यह जींद हमारा पीछा क्यों नहीं कर रहा है।"

"इसके दो कारण है, पहला हम टीकरी गांव से वहां जा रहे हैं, जहां माता मनसा देवी का मंदिर है, सिंघोला गांव दूसरा कारण जींद जिस सूखे कुएं के अंदर मटके में कैद था, वह सुखा कुआं भी इसी ही रास्ते पर है, इसलिए जींद इस रास्ते पर चाह कर भी नहीं आ सकता है।" रत्न बताती है

"इस जींद को मटके से बाहर निकालने की गलती किसने कि थी।" राज पूछता है?

"यह बहुत लंबी कहानी है, बस इतना समझ लो इसमें भी माया मां का ही हाथ है।" रत्ना बताती है

"आप उस माया चुड़ैल को माया मां मत बोला करो उसे माया चुड़ैल कहा करो।" राज कहता है

राज कि यह बात सुनकर रत्ना गुस्से में राज का हाथ पकड़ कर जमीन पर पटक देती है। जमीन पर जोरदार पटक लगने से राज का मोबाइल उसके हाथ से छूट कर सीधा गांव की जोहड़ (तालाब) में जाकर गिरता है।

राज जल्दी से जैसे ही जमीन से उठकर अमावस्या के अंधेरे में अपना मोबाइल ढूंढने जोहड़ (तालाब) की तरफ भागता है तो रत्ना पीछे से राज की ब्लैक लेदर जैकेट का कॉलर पड़कर राज को अपनी तरफ खींच कर सीने से लगा लेती है, फिर प्यार भरी नजरों से राज की तरफ देखकर कहती है "अब आपके जिस्मो जान पर मेरा हक है, आपकी मौत भी अब मुझसे इजाजत लेकर आपके पास आएगी, ध्यान से देखो आगे गहरी जोहड़ दलदल है।"

"थैंक यू लेकिन आपके तेज धक्का देने से मेरा मोबाईल जोहड़ (तालाब) में डूब गया है और यह बताओ आपको मेरी किस बात पर इतना गुस्सा आ गया था।" राज पूछता है?

"माया मां को मुझे आज के बाद कभी भी चुड़ैल कहने के लिए नहीं कहना।" रत्ना नाराजगी दिखाते हुए कहती है

राज अपने मन में सोचता है मैं भी कितना मूर्ख हूं, मुझे समझना चाहिए, रत्ना की रचयिता माया चुड़ैल है, तो फिर वह उसके खिलाफ कैसे एक भी शब्द सुन सकती है।

फिर एक बार दुबारा राज पीछे मुड़कर देखता है की कहानी माया चुड़ैल और जींद हमारा पीछा तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन इस बार उसे पुलिस की वर्दी पहने जींद कि जगह पुलिस जिप्सी दिखाई देती है, जो उसे पुलिस इंस्पेक्टर मिलन के कहने से लेने आई थी।

पुलिस जिप्सी को देखकर राज पुलिस जिप्सी की तरफ रत्ना का हाथ पकड़ कर भागने लगता है, लेकिन रत्ना का हाथ पकड़ कर रत्ना को अपनी तरफ खींचने में उसे ऐसा महसूस होता है कि वह एक रेल के डिब्बे को खींचने की कोशिश कर रहा है, इसलिए वह तुरंत पीछे मुड़कर देखता है, तो रत्ना अपनी लाल-लाल आंखें निकाल कर राज की तरफ देख रही थी और फिर राज की तरफ गुस्से में देखकर कहती है "क्या पेंटर बाबू आप पागल हो गए हो, क्या आप जानते भी हो वह दानव जैसा जींद पुलिस जिप्सी तक हमें पहुंचने देगा।"

"सही कह रही हो आप मोबाइल भी जोहड़ में डूब गया है, जो मैं पुलिस इंस्पेक्टर मिलन को फोन करके बता देता कि मैं इस समय कहां हूं, अब तो आपके बताए हुए रास्ते पर ही चलना पड़ेगा।" राज कहता है

और राज अपनी अनोखी चिकनी मिट्टी से बनी प्रेमिका के साथ माता मनसा देवी के मंदिर सिंगोला गांव की तरफ चल देता है, दिल्ली के टीकरी गांव की सीमा खत्म होते ही रत्ना राज से कहती है "जींद से तो सुखे कुएं का रास्ता पड़ते ही पीछा छुट गया था, अब टीकरी गांव की सीमा पार करने के बाद माया मां से भी पीछा छूट गया है, क्योंकि माया मां टीकरी गांव की सीमा से बाहर मेरे शरीर में बिना घूसे घूम फिर नहीं सकती है और माता मनसा माई के गांव सिंगोला में तो माता मनसा माई के प्रकोप से भस्म ही हो जाएगी, क्योंकि सिंगोला गांव के निवासियों ने तो माता मनसा माई की रात दिन पूजा करके माया मां का गांव में घुसने पर प्रतिबंध लगा दिया है।"

"लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आई टीकरी गांव में माया चुड़ैल ने मेरी जान लेने की कोशिश क्यों नहीं की।" राज पूछता है

"माया मां बस कुंवारे युवक युवतियों और नवजात शिशुओं को ही अपना निशाना बना सकती है, शादीशुदा युवक युवतियों को नहीं क्योंकि माया मां बिन ब्याही दुल्हन है, अगर वह सुहागानों और सुहागानों के सुहाग को थोड़ा सा भी नुकसान पहुंचाएगी तो वह तुरंत भस्म हो जाएगी, क्योंकि गांव की सारी सुहागन महिलाएं करवा चौथ का व्रत माया मां से अपने-अपने सुहाग की रक्षा के लिए रखती है।" रत्ना बताती है

"लेकिन मैं तो कुंवारा हूं।" राज कहता है
"मेरे घर आने से पहले आप कुंवारे थे, पेंटर बाबू लेकिन अब मैं आपकी पत्नी हूं।" रत्ना बताती है दोनों माता मनसा माई के मंदिर की तरफ पैदल बातें करते हुए चले जा रहे थे, रत्ना की यह बात सुनकर राज रोड़ के बीचों-बीच खड़ा हो जाता है और रत्ना से पूछता है? "मैंने कब आपसे शादी की है।"

"जब आप बेहोशी की हालत में अपने पिछले जन्म के सपने में डूबे हुए थे, तब मैंने आपको अपनी गोदी में उठाकर जलती अग्नि के पास आपके महादेव पार्वती के लॉकेट को रखकर आपके साथ सात फेरे लिए थे और आपके हाथ का अंगूठा अपने दांत से कटकर लहू निकाल कर अपनी मांग में सिंदूर भर लिया था।" रत्ना बताती है

"मैं जब ही सोच रहा था कि मेरे हाथ के अंगूठे में यह जख्म कैसे हो गया है, फिर रोड़ के बीचोंबीच खड़े-खड़े राज सोचता है, मैंने किस लड़की से प्रेम कर लिया है, जो दूसरों को मेरे शरीर से हाथ भी नहीं लगने दे रही है और खुद मुझे अपने दांतों से कटकर मेरा खून निकल रही है और उसी समय एक तेज रफ्तार से आता हुआ ट्रक राज की तरह तेज़ी से बढ़ता है, राज को बचाते बचाते रत्ना खुद ट्रक के सामने आ जाती है और इस भयानक दुर्घटना में रत्ना चार टुकड़ों में टूट जाती है।

ट्रक ड्राईवर बहुत जल्दी से ब्रेक लगता है, लेकिन फिर भी ट्रक बहुत दूर जाकर रुकता है।

ट्रक ड्राईवर ट्रक से उतर कर दौड़ते हुए देखने आता है कि कोई मेरे ट्रक से कुचलकर मार तो नहीं गया है।

वह राज को गुमसुम खड़ा देखकर राज को दोनों कंधों से पकड़ कर हिला कर कहता है "आपको कुछ नहीं हुआ है, साहब आप बच गए हो बस आपके पुतले के चार टुकड़े हो गए हैं, और वैसे आप इस अमावस्या की अंधेरी सुनसान रात में ढाई बजे यहां खड़े होकर क्या कर रहे थे, कहीं छोड़ना है, तो मैं छोड़ देता हूं।"

रत्ना को चार टुकड़ों में टूटा हुआ देखकर वेसुध राज ट्रक ड्राईवर की एक भी बात का जवाब नहीं देता है, तो ट्रक ड्राईवर राज के हाथ में कुछ रुपए थाम कर वहां से चला जाता है।

और कुछ देर बाद रत्ना की आत्मा राज के पास आकर कहती है "एक बार मेरी आंखों में देखो।" तो राज को वही सफेद रंग के पन्ने (पेपर) रत्ना की दोनों आंखों में दिखाई देते हैं, जिनको श्मशान घाट से लेने राज ने अपने नौकर को भेजा था और पुलिस इंस्पेक्टर मिलन जिन सफेद रंग के पन्नों(पेपरो) के बारे में राज को बता रहा था।

पहले पन्ने(पेपर) में राज को चाकू से मारते हुए माया चुड़ैल छपी हुई दिखाई दे रही थी और दूसरे पन्ने (पेपर) में रत्ना के हाथ के लिखी चिट्ठी थी उस चिट्ठी में रत्ना ने लिखा था "चित्रकार राज आपने ही मुझे बनाया है और आप ही मुझे मिटा सकते हो और दोबारा बना सकते हो मेरी मां माया आपकी हत्या करना चाहती है।" रत्ना की आंखों में दोनों सफेद पन्नों को देखकर और पढ़कर राज को सब कुछ समझ आ जाता है कि रत्ना ने अपने शरीर से माया चुड़ैल के बाहर निकालने के बाद पहले सफेद रंग के पन्ने में मुझे सावधान होने के लिए दिखाया है और दूसरे में चिट्ठी इसलिए लिखी है कि मेरे बिना रत्ना का कोई अस्तित्व नहीं है, इसलिए राज तुरंत बारिश के पानी से भरे गड्ढे से चिकनी मिट्टी निकल कर रत्ना की मूर्ति को जोड़ देता है, रत्ना की मूर्ति जुड़ते ही राज की आत्मा मूर्ति में प्रवेश कर लेती है, मतलब रत्ना जीवित हो जाती है।

रत्ना जीवित होने के बाद राज के हाथ को चुमकर कहती है "अगर आप पहले ही श्मशान घाट से सफेद रंग के पन्ने (पॉलिथीन) उठाकर उन सफेद रंग के पन्नों को देख लेते तो इस झमेले में नहीं फंसते और मैं बार-बार आपको सूर्य उदय होने तक रोक ने कि इसलिए ही तो कोशिश कर रही थी, क्योंकि मुझे पता था उन सफेद रंग के पन्नों में क्या लिखा था।" और यह बात बताते बताते अचानक रत्ना की आवाज पतली से भारी हो जाती है और फिर वह गुस्से में कहती है "आपको बता दूं, आपके वफादार नौकर की किसने हत्या की है।"

"जल्दी बताओ मेरे वफादार नौकर कि किसने हत्या की है।" राज पूछता है?

"मैं नहीं चाहती थी कि उस पॉलिथीन में (पन्नी) में लिपटे हुए दोनों सफेद रंग के पन्ने आपके अलावा कोई और देखें आपके अपने नौकर को फोन करने के तुरंत बाद मैंने अपने जींद से कहकर आपके वफादार नौकर की हत्या करवा दी थी।"रत्ना बताती है
राज क्रोध में रत्ना का हाथ झटक कर कहता है "डायन तू नहीं जानती है कि तुने एक चलते फिरते तंदुरुस्त आदमी की हत्या करके कितना बड़ा गुनाह किया है, उस पर अपने पूरे परिवार की जिम्मेदारी थी, उसके परिवार में विधवा मां छोटी बहन पत्नी और एक मासूम बेटी है, तेरी इस बात से मुझे एक बात तो समझ आ गई है कि तेरा शरीर ही मिट्टी गारें का नहीं बल्कि तेरा दिल भी पत्थर का है, इसलिए तेरे जैसी खतरनाक मशीन को इस दुनिया में इधर-उधर खुला घूमने का कोई अधिकार नहीं है, मैं अभी तेरे एक नहीं सौ टुकड़े करता हूं।"

"नहीं नहीं राज ऐसा नहीं करना कुछ देर पहले जो आपसे बात कर रही थी वह मैं नहीं मेरी मां माया थी, क्योंकि माया मां मेरे शरीर में घुस गई है, ध्यान से सुनो पिछली और इस आवाज में आपको अंतर सुनाई देगा, मेरा विश्वास करो मैंने आपके वफादार नौकर की हत्या नहीं करवाई है।"

रत्ना के इतना कहते ही माया चुड़ैल रत्ना के शरीर से बाहर निकाल कर राज के सामने खड़ी हो जाती है, इससे पहले राज कुछ सोच समझ पाता वह राज को हवा में उड़कर अपने साथ दिल्ली बॉर्डर के पास वाले टीकरी गांव के श्मशान घाट में लेकर पहुंच जाती है।

श्मशान घाट में पहुंचकर अपनी शक्ति से राज की आवाज हाथ पैरों को जकड़ कर राज को जिंदा ही चिता पर लिटा कर राज का सिर्फ चेहरा छोड़कर पूरा शरीर चिंता की लड़कियों से ढक देती है और फिर राज से माया चुड़ैल पूछती है? "अगर जीवित रहना चाहता हैं तो रत्ना को पूरा बना उसके हाथ की कनी उंगली (छोटी उंगली) बनाकर उसको पूरा कर वह जीवित अधूरी मूर्ति मेरे किसी काम की नहीं है, उस अधूरी मूर्ति की वजह से मेरी पूजा अधूरी रह गई है वरना मैं आज दुनिया की सबसे शक्तिशाली चुड़ैल जादूगरनी होती और दुनिया के सारे मर्दों को औरतों का गुलाम बना देती, मुझे युवा अवस्था से ही मर्द जाति से नफरत है, मैं दुनिया से मर्दों का नामोनिशान मिटाना कर स्वयं अमर होना चाहती हूं।"

राज आंखों से और अपने मुंह से जबरदस्ती आवाज निकाल कर माया चुड़ैल से यह कहने की कोशिश करता है कि पहले मुझे आजाद कर माया चुड़ैल राज के इशारे को समझ कर राज को चिता से उठाकर सीधा खड़ा कर देती है।

उनके पीछे-पीछे रत्ना भी वहां पहुंच जाती है माय चुड़ैल रत्ना का हाथ पकड़ कर राज के सामने खड़ा कर देती है और चीख चीख कर रात से कहती है "जल्दी इस अधूरी मूर्ति को पूरा कर वरना पिछले जन्म में तो मैंने तुझे चाकू से गोद कर मारा था, इस बार मैं तुझे जिंदा जलाकर भयानक दर्दनाक मौत दूंगी।"

"पहले मुझे यह विश्वास दिलाओ कि पिछले जन्म की तरह तुम मुझसे मूर्ति बनाने के बाद मेरी जान तो नहीं ले लोगे।" राज कहता है

"जब मैं इंसान थी अब मैं आत्मा हूं और इंसान झूठ बोल सकते हैं आत्मा नहीं जा में मां काली की कसम खाकर कहती हूं, रत्ना की मूर्ति पूरी होने के बाद में खुद सुरक्षित तुझे अपने घर पहुंचाऊंगी।" माया चुड़ैल कहती है

तभी रत्ना चिल्लाकर कहती है "राज ऐसा गजब नहीं करना मेरा शरीर पूरा होने के बाद माया मेरे शरीर में प्रवेश करके मुझे अपने चिकनी मिट्टी गारे के शरीर से बाहर निकाल देगी और मैं किसी भी हालत में आपसे जुदा नहीं होना चाहती हूं।"

राज तो पहले से ही रत्ना का दीवाना था और वह मूर्ति को कभी पूरा नहीं करना चाहता था, क्योंकि वह जानता था कि रत्ना की मूर्ति पूरी होने के बाद माया चुड़ैल दुनिया की सबसे शक्तिशाली चुड़ैल बनने के बाद पूरी दुनिया में आतंक मचा देगी, इसलिए वह कहता है "मैं इस जन्म में मूर्तिकार नहीं चित्रकार हूं, अगर मैं साधारण मिट्टी से रत्ना की कनी उंगली (छोटी उंगली) बनाऊंगा तो रत्ना की मूर्ति अधूरी ही रह जाएगी, अगर मैं रत्ना की मूर्ति उसी जगह और उसी चिकनी मिट्टी से बनाऊंगा, तभी रत्ना की मूर्ति संपूर्ण होगी।"

"तो बताओ वह चिकनी मिट्टी कहां मिलेगी।" माया चुड़ैल पूछती है? राज माया चुड़ैल की बात को अनसुना करके जींद का आने का इंतजार करने लगता है, क्योंकि राज को पता था कि इस माया चुड़ैल से मुझे और रत्ना को जींद ही छुटकारा दिलवा सकता है, क्योंकि जींद माया का आशिक है और वर्षों से माया को अपने साथ ले जाने के लिए बेकरार है, और जब राज माया चुड़ैल के बहुत बार पूछने के बाद जवाब नहीं देता है, तो माया चुड़ैल अपने खूबसूरत रूप से भयानक चुड़ैल के रूप में आ जाती है और क्रोध में आकर राज से कहती है "अगर तूने मेरी बात का जवाब नहीं दिया तो मैं अपना वचन भूलकर तुझे कच्चा चबा जाऊंगी।" यही तो राज चाहता था कि रत्ना अपने डरावने भयानक रूप में आए और जींद उसे इस रूप में देखकर उसे अपनी शक्ति से दोबारा वही वही 18 वर्ष की खूबसूरत युवती बना दे, जो वह तांत्रिक जादूगरनी बनने से पहले थी, क्योंकि वह 18 वर्ष की माया तब साधारण युवती थी।

और माता मनसा माई की कृपा से जींद वहां आ कर माया का चुड़ैल वाला भयानक रूप देखकर राज के सोचे अनुसार माया चुड़ैल को 18 वर्ष की खूबसूरत युवती बना देता है।

18 वर्ष की खूबसूरत युवती बनते ही माया चुड़ैल की शक्तियां नाम मात्र की रह जाती है अपने साथ यह विचित्र घटना होने के बाद माया चुड़ैल इस सबके लिए जींद को दोषी मानकर राज रत्ना का पीछा छोड़कर श्मशान घाट में मटका ढूंढने लगती हैं, जींद को हो हमेशा के लिए कैद करने के लिए, जब उसे दोपहर की जली चिता के पास मटका मिल जाता है तो वह हमेशा के लिए जींद कों मटके में कैद कर लेती है।

राज जब रत्ना का हाथ पकड़ कर वहां से भागने लगता है, तो माया चुड़ैल राज को प्यार से रुकने के लिए कहती है, जब राज इस प्यार में भी माया चुड़ैल की कुछ चालाकी समझ कर रुकता नहीं है, तो वह पीछे से जोर से चिल्लाकर कहती है "मेरे पास अभी भी इतनी शक्ति है कि मैं रत्ना को मूर्ति से इंसान बन सकती हूं। उसकी यह बात सुनकर राज रत्ना को साथ लेकर रुक जाता है।

तब माया चुड़ैल राज से कहती है "अभी इसी समय रत्ना के घर चलो मैं रत्ना के माता-पिता के घर ही रत्ना को मूर्ति से इंसान बन सकती हूं, यहां श्मशान घाट के में नहीं और मैं रत्ना को मूर्ति से इंसान इसलिए बनाना चाहती हूं, क्योंकि मैंने अपने जीवन में जो नहीं देखा वह मृत्यु के बाद देखा है कि कोई पुरुष किसी महिला का इतना सच्चा वफादार भी हो सकता है और जो एक महिला मूर्ति से भी सच्चा प्रेम कर सकता है, मैंने तो जवानी की दहलीज पर कदम रखने के बाद यही देखा था कि पुरुष स्त्री का शोषण ही करता है, लेकिन राज तुम्हें देखकर ऐसा लगा कि पुरुष स्त्री का सम्मान भी कर सकता है और स्त्री से सच्चा प्रेम भी कर सकता हैं अब मुझे आपको देखकर समझ आया है कि सारे पुरुष एक जैसे नहीं होते हैं, मैं मूर्ख दुनिया से पुरुषों का नामोनिशान मिटाने की गलती करने जा रही थी।"

राज माया चुड़ैल की दर्द भरी आवाज को सुनकर समझ जाता है कि माय चुड़ैल सच कह रही है, इसलिए वह माया चुड़ैल के दिल में दबे वर्षों से दुख की ज्वालामुखी के अलावा को बाहर निकालने के लिए माय चुड़ैल से कहता है,