Pagal - 30 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 30

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पागल - भाग 30

भाग–३०
राजीव कमरे में आ चुका था । और मेरे दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी।
पता नही राजीव के मन में क्या चल रहा था आज की रात को लेकर । क्योंकि कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बताते वक्त कहीं भी आज की रात का या आने वाली रातों का कोई जिक्र उसने नही किया था ।मुझे मेरी भूल का एहसास हुआ मुझे उससे पहले ही बात कर लेनी चाहिए थी । ये जानने के लिए कि इस मैरिज में किस हद तक हमे आगे बढ़ना है ?

पर मैं एक लड़की हूं उससे ऐसी बात कैसे करती? मैने मन ही मन सोचा की शारीरिक रूप से जुड़ना रिश्ते को और गहरा बनाता है तो अगर मुझे राजीव की जिंदगी में रहना है तो खुद को इसके लिए तैयार करना ही होगा । मैं तो वैसे भी उसे प्यार करती हूं पर वो नहीं ऐसे में मैं कैसे उसे खुद को छूने दे सकती हूं । मैं कोई उपभोग की वस्तु तो नही हूं ना । विचारों की लड़ाई में मैं इतनी उलझ गई कि राजीव कब मेरे पास आकर बैठ गया पता ही नही चला ।
मैं अब भी सोच में डूबी थी और मैने फैसला लिया कि जो भी होगा मैं उसे होने से रोकूंगी नही । देखते है आगे किस्मत कहां ले जाती है।

राजीव ने मेरा हाथ पकड़ा । तब मुझे होश आया कि वो मेरे पास आ चुका है । मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था ।
राजीव ने कहा
"थैंक यू यार, एक तू ही है जो मेरी हर बात समझती है।"
मैं मुस्कुरा दी। उसने मुझे हग करते हुए कहा बस एक काम बाकी है
मैने घूंघट में से उसकी और देखा। वो उठा और कमरे की अलमारी में से कुछ कागजात निकाले और मुझे थमा दिए ।
"ये क्या है राजीव ?"
"कॉन्ट्रैक्ट पेपर्स"
मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा ।
"तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है क्या? तुम्हे पेपर्स क्यों बनवाने पड़े?"
"बात वो नहीं है किट्टू, कल को डाइवोर्स के समय कोई नई परेशानी न खड़ी हो जाए इसलिए मैंने पेपर्स रेडी किए है। मैं कोई रिस्क नहीं ले सकता , आखिर तुम्हें भी में खराब जिंदगी नही देना चाहता । मैं प्यार ही नही कर पाऊंगा अब किसी से तो फिर तुम्हे जीवनभर खुद से बांध कर क्यों रखूं? कम से कम मुझसे आजाद होकर तुम अपना नया जीवन शुरू कर सकती हो"

राजीव के ये शब्द कानों में दर्द पैदा करने लगे
तुम क्यों समझ नही पाते राजीव की मैं हर लम्हा तुम्हारी कैद में रहना चाहती हूं मुझे वो आजादी नहीं चाहिए जो मुझे तुमसे दूर करदे। राजीव आई लव यू अलोट
मैं राजीव को पागलों की तरह किस करने लगी। कुछ देर में राजीव ने भी मेरी पीठ पर अपनी पकड़ मजबूत करली और मुझे किस करने लगा ।

"किट्टू, किन खयालों में गुम हो , साइन करदो।" राजीव की आवाज थी।
उफ्फ, वो मेरा खयाल था । शायद मैं राजीव से कभी नही कह पाऊंगी कि मुझे उससे प्यार है ।ये सोचकर मैंने पेपर्स पर साइन कर दिए ।

राजीव बिस्तर पर से तकिया उठा कर और एक बिस्तर जमीन पर लगाकर सोने लगा ।
"राजीव तुम चाहो तो बिस्तर पर सो सकते हो।,मैं जमीन पर सो जाती हूं"
"नहीं किट्टू, तुम आराम से ऊपर सो जाओ। " राजीव ने कहा ।

राजीव अपनी पीठ मेरी और घुमा कर सोने लगा ।
मैं उठकर बाथरूम में गई । सारे कपड़े निकाल कर शावर के नीचे खड़ी होकर रोने लगी। लेकिन अगले पल खयाल आया कि मेरे पास एक साल है । एक पल में ज़िंदगी बदल जाती है। मैं कोशिश नही छोडूंगी। अब जब राजीव को पाया है तो उसे खोने नही दूंगी । उसे मेरे प्यार का एहसास करा कर रहूंगी। मैं अब राजीव से दूर नहीं होऊंगी।
मैं बाथरूम से जब बाहर आई तब तक राजीव सो चुका था।

मैने मिहिर को फोन किया। जानती थी ये वक्त सही नही है । वो भी अपनी नई जिंदगी की शुरुआत कर रहा था लेकिन मैं उससे बात करना चाहती थी क्योंकि इस वक्त वही था जो मेरे लिए परेशान हो रहा था।
"हेलो"
"मिहिर सॉरी इस वक्त फोन किया , "
"सही वक्त है निशी अभी कमरे में नही है "
"अच्छा हुआ निशी कमरे में नही है वरना तुमसे सवाल करती। "
"बोलो क्या हुआ"
"मैने कुछ फैसला लिया है और ,,, "
"कौन है मिहिर?" निशी की आवाज मेरे कानों में पड़ी।
"मिहिर मैं कल तुम्हें फोन करके बताती हूं" कहकर मैंने फोन रख दिया। मैं नहीं चाहती थी निशी और मिहिर के बीच मेरी वजह से कोई दिक्कत हो।

मैं बिस्तर पर लेट गई और जल्दी ही मुझे नींद आ गई क्योंकि शादी की वजह से थकान बहुत थी।
देखते है अब आगे राजीव और मेरी जिंदगी कौनसा नया मोड़ लेती है।