Pagal - 28 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 28

Featured Books
Categories
Share

पागल - भाग 28

भाग –२८
पापा का प्यार महसूस करके दिल को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । मां और पिता दो लोग ऐसे लोग है दुनिया में जो बिन कहे ही अपने बच्चे की हर बात समझ सकते है।
मैं बिना रुके बस रोए जा रही थी। कितना गलत समझती थी मैं पापा को , वो मेरे लिए कठोर थे लेकिन मेरी ही सुरक्षा के लिए। वो मुझसे बहुत प्यार करते थे और वो आज मैने बहुत कम शब्दों में महसूस कर लिया था। मैं अपने हाथ में राजीव की तस्वीर को निहार रही थी। और उससे हुई पहली मुलाकात से अब तक का हर लम्हा जी रही थी।

रोते रोते मेरी आंख लग गई । मम्मी पापा तैयार हो चुके थे। मुझे उठाया और तैयार होने को कहा , कुछ देर में हम देहरादून के लिए निकलना था।मैं राजीव के आने के बारे में मम्मी पापा को नहीं बताना चाहती थी। डर ये था कि अगर राजीव का मन बदला और वो नही आया तो?
मैं अब और ज्यादा मम्मी पापा को हर्ट नही कर सकती थी।

मैं तैयार होने लगी। हमारे निकलने से ठीक 1 घंटा पहले घर के सामने राजीव ने अपनी कार रोकी, राजीव , सम्राट अंकल और रोहिणी आंटी कार से उतरे।

"अरे सम्राट जी आइए" पापा ने उनसे कहा।
"माफी चाहता हूं भाई साहब , इस तरह बिना बताए आ गया। मगर बात ही कुछ ऐसी थी ।"
पापा मम्मी एक दूसरे की और देखने लगे।
"हम अंदर आ जाए?" अंकल ने पूछा।
"जी जी आइए ना" कहकर पापा ने पीछे हटकर उन्हें अंदर में आने का रास्ता दिया।

देखते ही देखते सभी लोग हॉल में बैठ गए।
करीब 10 मिनिट तक चुप्पी थी। मैं अपने कमरे की खिड़की से सबकुछ देख रही थी।
दिल जोरों से धड़क रहा था , ना जाने पापा की प्रतिक्रिया क्या होगी?" मैं बहुत घबराई अपने दुपट्टे को उंगलियों पर लपेटने लगी।

"भाई साहब , कुछ बात करने आए थे आप?" पापा ने समय जाते हुए देखकर कहा क्योंकि हम निकलने में लेट हो रहा था।

"हां, कैसे कहूं समझ नही आ रहा है"
"आखिर बात क्या है ?" पापा ने फिर पूछा।
मम्मी थोड़ा सा टेंशन में थी । रोहिणी आंटी मुस्कुराते हुए मम्मी के पास आई और उनका हाथ पकड़ लिया ।
"दरअसल भाई साहब , हम अपने बेटे राजीव के लिए कीर्ति बेटी का हाथ मांगने आए है । "
पापा अचानक से मम्मी को देखने लगे। और मम्मी का मुंह खुला का खुला रह गया। उनके लिए ये अनएक्सपेक्टेड था।
"जी?" पापा ने दुबारा कन्फर्म करना चाहा।
"जी सही सुना आपने , आपकी बेटी कीर्ति के लिए मैं राजीव का रिश्ता लेकर आया हूं"

"मम्मी पापा जानते थे , मैं राजीव से बहुत ज्यादा प्यार करती हूं , "
पापा ने मुझे बुलाया। मैं डरते सहमते उन लोगों के बीच गई। दिल बहुत घबरा रहा था।

"कीर्ति बेटा , ये लोग तेरे लिए राजीव का रिश्ता लेकर आए है। क्या जवाब दे? तुझे रिश्ता मंजूर है?"
"मैने राजीव की और देखा , वो बहुत खुश लग रहा था । और मुझे बहुत प्यार से देख रहा था। मैने उसकी और देखकर , हां मैं गर्दन हिला दी।
सभी बहुत खुश हुए , और एक दूसरे को बधाई देने लगे ।
राजीव अपनी जगह से उठा और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे मेरे कमरे में ले जाने को हुआ लेकिन उसने मेरे पापा से पूछा , " अंकल इसे ले जा सकता हूं ना?"
पापा मुस्कुराकर बोले "आजतक पूछ कर लेकर गया है क्या?"
सभी हंसने लगे ।
घर में एक खुशी का माहोल था। राजीव और मैं मेरे कमरे की खिड़की से उन्ही लोगो को देख रहे थे।
"थैंक यू यार किट्टू"
"राजीव , सबकी खुशी देख रहे हो? कहीं हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे है ना?"मैने उदास होते हुए कहा। कहीं न कहीं हम सभी को धोखा दे रहे थे सबकी भावनाओ के साथ खिलवाड़ कर रहे थे । मेरा दिल बेचैन था ।
"नही , यार , सब सही चल रहा है , बस कुछ बिगाड़ना मत , ऐसे ही चलने दे प्लीज। सिर्फ एक साल की तो बात है , सब ऐसे प्लान करेंगे की नेचुरल लगे ।" मैं कभी राजीव को देखती , कभी सम्राट अंकल को , कभी मां को , कभी रोहिणी आंटी को तो कभी पापा को । सभी लोग खुश थे मुझे उन लोगों को खुश ही तो देखना था।
हम लोग वापिस बाहर आए तो रोहिणी आंटी ने मुझे राजीव की मां के कंगन पहना दिए और कहा " ये निर्मला (राजीव की मां)के कंगन है , वो हमेशा कहती थी , दीदी मैं ये कंगन मेरी बहु को पहनाऊंगी।"
मैने सभी के पैर छुए, और राजीव को आंखों से इशारा किया कि वो भी सबका आशीर्वाद ले। उसे इशारा कुछ देर बाद समझ आया और समझने के बाद उसने सबके पैर छुए।

रिश्ता तो तय हो गया, पर आगे क्या होगा? शादी होगी या नहीं? आगे के सफर में बने रहिए मेरे साथ । राजीव की "पागल" के साथ ।