the court of love in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | इश्क की अदालत

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इश्क की अदालत

1.
महसूस खुद को तुझ से अलग...
मैंने कभी किया ही नहीं...

तू क्या जाने कोई भी लम्हा ...
तेरे बिना मैंने कभी जिया ही नहीं...!!

2.
किस किस को बताऊं हाल मेरा

सुबह उठते ही आ जाता है ख्याल तेरा

3.
कभी सोचा है जो इन्सान तुम्हें बेइंतहा चाहता हो

वही तुम्हें चाहना छोड़ दे, तो तुम्हारे पास बचेगा क्या

4.
पतझड़ों की कहानियाँ न सुना सुना के उदास कर
तू ख़िजा का फूल है मुस्कुरा जो गुज़र गया सो गुज़र गया

तुझे ऐतबार ओ यकीं नहीं नहीं दुनिया इतनी बुरी नहीं
ना मलाल कर मेरे साथ आ जो गुज़र गया सो गुज़र गया

वो उदास धूप समेट कर कहीं दूर वादियों में उतर चुका
उसे अब न दे मेरे दिल सदा जो गुज़र गया सो गुज़र गया

ये सफ़र भी कितना तवील है यहाँ वक़्त कितना क़लील है
कहाँ लौट कर कोई आयेगा जो गुज़र गया सो गुज़र गया

वो वफ़ायें थी या जफ़ायें थी न ये सोच किसकी ख़तायें थी
जो तेरा है उसको गले लगा जो गुज़र गया सो गुज़र गया

5.
प्रेम को लिखना अत्यंत सरल है
प्रेम को जीना, ना सरल है ना कठिन...

प्रेम को निभाना
प्रेम को लिखने और जीने से कठिन है...

मगर सबसे कठिन है
जिये हुए प्रेम को भूल पाना...

6.
तू मुझमे पहले भी था, तू मुझमें अब भी है,

पहले मेरे लफ़्ज़ों में था, अब मेरी खामोशियों में है।

7.
मेरे आंसुओं से भीगा मेरा दामन निकला...!!

अबके बरस बड़ा ही सूखा सावन निकला...!!

8.
दिल के करीब होते हुए भी ऐ
दिलबर ...

तुम क्या जानो आंखो में दर्द कहा छुपा होता है ...

9.
सबुतो और ‌गवाहों की कोई सेल नहीं होती हैं,

ये इश्क की अदालत हैं साहिब, यहाँ कोई बेल नहीं होती...!

10.
अब आ भी जाओ न बाहों में मेरे
तुम्हे चलना ही कितना हैं...

बस मेरी धड़कनों से गुज़र कर
इस दिल में ही तो उतरना है...!!

11.
तेरा हिज्र कमज़ोर कर गया मुझको,

मेरे कंगन भी ... ढीले हो गए हैं!!

12.
इश्क़ का बस एक ही उसूल है जाना,

किसी को चाहने से पहले, खुद को भूल जाना...!!

13.
जो बीत जानी चाहिए थी तेरी बाहों में,

वो एक उम्र गुजर गई, तेरे इंतजार में...!!

14.
कोई नही जो तेरी कमी को पूरी कर सके,

हमे दुसरा कोई मिला ही नही, जिसे हम टूटकर चाह सके...!!

15.
इश्क करने की इजाजत कभी ली नहीं जाती,

दिल पे कब्जे अक्सर, निगाहों से कर लिये जाते है...!!

16.
तुम रख लेना मेरी तस्वीर,
अपनी आँखों मे कर के कैद,

न जाने कब ऐ जमाना,
हमारे मिलने पर, पहरे बिठा दे...!!

17.
जवानी कट रही मेरी यहाँ पे शेर लिखने में |

सितम ये है कि मुझको तेरी बाहों में होना था॥

18.
मर तो वैसे भी जाना है एक दिन...

तुम मिल जाते,
तो जी लेते ज़रा।

19.
सुना है तुम जिसे छूते हो ... वो महक जाता है...
पास बैठो मेरे...

मैं भी,
गुलाब हो जाऊं ... जरा

20.
ओये सुन ना
कौन कहता है हुज़ूर इश्क़ का खुमार
दिसंबर जनवरी या फ़रवरी में चढ़ता है,

तुम्हारी एक नज़र ही काफ़ी है मौसम
मुहब्बत का लाने के लिए,

21.
सुनों कुछ शब्द तुम्हारे लिए होतें हैं

जो पढ़कर मुस्कुराओ तो इत्तला कर दिया करो...