The Modern Daughter-in-Law in Hindi Moral Stories by H M Writter0 books and stories PDF | आधुनिक बहू, परंपरा का सम्मान

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आधुनिक बहू, परंपरा का सम्मान


रिया, एक तेजतर्रार ग्राफिक डिज़ाइनर, हमेशा से ही अपनी शर्तों पर जीने में विश्वास रखती थी। शादी के बाद, ससुराल आना उसके लिए एक नया अनुभव था। रिया की सासूजी, शांतिदेवी, एक सख्त परंपरावादी महिला थीं, जिन्हें परिवार की ज़िम्मेदारी निभाने वाली बहू की उम्मीद थी।

पहले दिन, रिया ने सुबह की चाय टेबल पर बैठते ही सुना, "बेटे, अब से रसोई तुम्हारी ज़िम्मेदारी है।" रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, "सासूजी, ये सब मुझे ज़रूर सीखना है, लेकिन फिलहाल तो मेरा ऑफिस का समय है। घर आने के बाद ज़रूर मदद करूंगी।" शांतिदेवी को ये बात नागवार गुज़री। उनके लिए बहू का मतलब था घर संभालना।

रिया ने हार नहीं मानी। वह सुबह जल्दी उठकर नाश्ता बनाती और पैक करके ऑफिस चली जाती। शाम को लौटकर वह घर के कामों में हाथ बंटाती। शांतिदेवी रिया की मेहनत को तो देखती थीं, पर उनकी सोच नहीं बदल पा रही थी।

एक दिन, रिया को एक बड़े प्रोजेक्ट की प्रस्तुति के लिए देर हो रही थी। घर का काम अधूरा रह गया। शाम को सास-बहू के बीच तनातनी हो गई। रिया के पति, आशीष, जो अपनी पत्नी की महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करते थे, बीच में आए।

"मां, रिया अपना करियर भी संभाल रही है और घर संभालने की भी पूरी कोशिश कर रही है। उसे थोड़ा समय दें।" शांतिदेवी ने गुस्से से कहा, "करियर, करियर! ये क्या होता है? घर संभालना ही असली काम है।"

उस रात रिया ने आशीष से बात की। वह दुखी थी, पर हार मानने को तैयार नहीं थी। अगले दिन रिया ने शांतिदेवी से बात करने की ठानी।

रिया ने शांतिदेवी के पास बैठकर कहा, "सासूजी, मैं आपका बहुत सम्मान करती हूं। पर ज़माना बदल गया है। आज महिलाओं को भी अपने सपने पूरे करने का हक है। मैं घर की ज़िम्मेदारी भी निभाऊंगी, लेकिन साथ ही अपना करियर भी बनाना चाहती हूं। क्या आप मेरा साथ देंगी?"

शांतिदेवी रिया की आंखों में दृढ़ता देख स्तब्ध रह गईं। उन्हें अपनी ही मां की याद आई, जो कभी अपनी इच्छाएं दबाकर सिर्फ घर संभालती रहीं। शायद रिया सही कह रही थी।

अगले दिन से सब कुछ बदल गया। शांतिदेवी ने रिया को समझा। उन्होंने रिया की मदद भी शुरू कर दी। रिया के ऑफिस जाने के बाद वह थोड़ा घर का काम संभाल लेतीं। रिया के दोस्त भी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।

कुछ समय बाद रिया को एक बड़े अवार्ड के लिए नामांकन मिला। पूरा परिवार खुश था। रिया की सफलता ने शांतिदेवी की सोच को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने महसूस किया कि एक सफल करियर घर की खुशियों को कम नहीं करता, बल्कि बढ़ाता है।

धीरे-धीरे शांतिदेवी और रिया के बीच एक मजबूत रिश्ता बन गया। रिया ने अपनी सासूजी को कंप्यूटर चलाना भी सिखा दिया। अब शांतिदेवी सोशल मीडिया पर रिया की उपलब्धियों को गर्व से शेयर करती थीं।

रिया की कहानी आसपास की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गई। अब गांव की और भी महिलाएं अपने सपनों को पूरा करने की हिम्मत जुटा रही थीं। रिया ने साबित कर दिया कि आधुनिक बहू परंपरा का सम्मान करते हुए भी अपने सपनों को पूरा कर सकती है।