Jokhini - 1 in Hindi Horror Stories by Maya books and stories PDF | जोखिनी - 1

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जोखिनी - 1

रात के 12:30 बज रहे थे एक सुनसान पतला सा रास्ता जो कि कब्रस्तान की तरफ जा रहा था उस पर एक नई नवेली सुहाग की चहल कदमी हो रही थी उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था रात का सन्नाटा उसकी हिम्मत को तोड़ने की ताकत रखता था ले फिर भी अपने हाथ में एक छोटी सी काले कपड़े की पोटली लिए वह कब्रस्तान के गेट तक पहुंच गई उसने कब्रस्तान का गेट खोला और अंदर कदम रखा चारों तरफ कब्र ही कब्र और उनके बीच से होती हुई वह सुहागन एक छोटी सी कब्र के करीब पहुंची उसने उस कब्र के पास की थोड़ी सी मिट्टी अपने हाथों से हटाई और उस पोटली को जमीन में दफन कर दिया उसके बाद वो इतनी तेजी से वहां से निकल गई जैसे कि उसके पैरों में पं लग गए उसके कुछ देर बाद ही लाल लहंगा चुनरी पहने अपने चेहरे को घूंघट से छिपाए हाथ में लाल टेन लिए एक दूसरी औरत वहां पहुंची उसने उस पोटली को वापस जमीन से निकाला और फिर लाल टेन उस पर दे मारा इस तरह लालटेन टूटा और वो पोटली आग के चपेट में आ गई इसी कब्रस्तान से कुछ ही दूरी पर एक बड़े से घर के एक कमरे में नितिन अपने बिस्तर पर लेटा सिगार के कश लगा रहा था दरवाजा खुला और वह सुहागन अंदर दाखिल हुई अनुष्का आ गई तुम यह सुनकर वह नितिन के पास आकर बैठी और गुस्से में बोली हां आ गई मैं व भी जिंदा अरे गुस्सा क्यों कर रही हो जिस तरह की फालतू रस्में तुम्हारे इस घर में मुझसे करवाई जा रही है ना ऐसी रस्मों के बारे में मैंने सुना तक नहीं इतनी रात में एक पोटली को जमीन में गाड़ने के लिए मुझे कब्रिस्तान भेज दिया अगर मुझे कुछ हो जाता तो उसकी बात को नितिन सुन तो रहा था लेकिन मु से कुछ भी नहीं बोल पा रहा था यह बस आखिरी रस्म थी जो मैंने कर दी अब आगे से अगर मुझसे मां जी ने कोई भी ऐसी वाहियात रस्म करवाई ना तो मैं पता नहीं क्या कर बैठूंगी यह कहकर अनुष्का ने चादर डनी और सोने गई नितिन सोच रहा था कि जिस मां के आगे उसके पिता नहीं बोलते थे वह उसके आगे क्या बोलेगा इसलिए वह चुप ही रहा उस रात से करीब 9 महीने गुजर जाने के बाद रात के समय अनुष्का को प्रसव पीड़ा शुरू हुई नितिन नितिन ड्रॉइंग रूम में अपनी मां पल्लवी के पास गया जहां उसकी बहन कामिनी भी बैठी थी मां अनुष्का को लेबर पेन शुरू हो गया है हमें उसे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए डॉक्टर की जरूरत नहीं है हमने उसका प्रबंध कर दिया है तभी दरवाजे से होती हुई एक बूढ़ी औरत अंदर आई पल्लवी ने उसको अनुष्का के कमरे में भेज दिया और बूढ़ी ने अंदर जाते ही दरवाजा बंद कर दिया कुछ देर बाद हमारे खान न का वारिस आने वाला है कामनी बेटा तुम सुबह से ही जश्न मनाने की तैयारी शुरू कर देना कुछ देर बाद एक बच्चे की किलकारी की आवाज सभी को सुनाई दी और वो बूढ़ी बाहर निकली मुबारक हो आपको बेटी हुई है यह सुनकर नितिन बहुत खुश हुआ और कमरे के अंदर दाखिल हो गया लेकिन पल्लवी के चेहरे पर गुस्सा उबल आया यह कैसे हो सकता है एक लड़की क्या तुमने उससे वो विधि नहीं करवाई थी करवाई थी मां भाभी के पेट पर से मैंने अपने हाथों से वो पोटली पूरे नौ बार घुमाई थी और उनको कब्रिस्तान भी भेजा था इसका मतलब है उस तांत्रिका ने हमें गलत टोटका बताया था चलो अभी उसके पास चलते हैं पल्लवी ने कामिनी को अपने साथ लिया और उसी टाइम घर से निकलकर शमशान भूमि की तरफ रवाना हो गई कामिनी को इस समय डर तो बहुत लग रहा था लेकिन अपनी मां के गुस्से के आगे वोह कुछ नहीं बोल रही थी थी अचानक उसको पायलों की आवाज सुनाई दी और दोनों ने पलट कर पीछे देखा उनसे काफी पीछे वही लाल टेन वाली औरत उनको नजर आई मां यह कौन है होगी कोई पागल तुम पीछे मत देखो आगे बढ़ो वह दोनों फिर से आगे बढ़ने लगी और कुछ कदम चलने के बाद उन दोनों की सांसे और कदम दोनों रुक गए उन्होंने देखा कि जो लालटेन वाली औरत उनके बहुत पीछे थी अब वही उनसे 10 कदम आगे खड़ी नजर आ रही थी ए लड़की कौन है तू पल्लवी ने उससे सवाल किया उसने धीरे से अपना लालटेन चेहरे के करीब लाकर उन दोनों को अपना चेहरा दिखाया जिसे देखकर पल्लवी और कामिनी दोनों का दिल दहल उठा दोनों चीखती चिल्लाती हुई अपने घर की तरफ वापस भागने गली वह सीधा अपने कमरे में आकर रुकी और लंबी लंबी सांसे लेने लगी मम्मी वो औरत कौन थी कितना भयानक चेहरा था उसका वो कौन थी इस बात से ज्यादा मुझे चिंता इस बात की है कि अनुष्का ने जिंदा लड़की कैसे पैदा की उस तांत्रिका ने कहा था कि अनुष्का के पेट पर से उस बोटली को नौ बार घुमाकर अनुष्का के हाथों ही कब्रिस्तान में गड़वाला है उसके बाद अगर अनुष्का के पेट में लड़की हुई तो वह पैदा होने से पहले ही मर जाएगी और अगर लड़का हुआ तो ही वह सही सलामत पैदा होगा इस का मतलब है कि उस तांत्रिका ने हमें बेवकूफ बनाया है कोई बात नहीं अगर वो टोटका काम नहीं आया तो हम खुद उस नवजात बच्ची को खत्म कर देंगे इस इरादे के साथ पल्लवी ने कामिनी के साथ मिलकर एक प्लान बनाया अगली सुबह अनुष्का और नितिन अपने कमरे में अपनी नवजात बच्ची के साथ खेल रहे थे तभी पल्लवी वहां आई प्रणाम मां जी आपने तो अपनी पोती की शक्ल तक नहीं देखी देखिए यह कितनी प्यारी है इसका नाम हमने पिंकी रखा है यह सुनकर पल्लवी ने एक बार उस बच्ची की तरफ देखा और बोली बहू मोहनपुरी गांव में हमारी पुश्तैनी हवेली है और हमारी कुलदेवी का मंदिर भी है अब तुम मां बन गई हो समय आ गया है कि हम सब वहां जाकर कुलदेवी की पूजा करें और कुछ दिन वहां रहे जी मां जी जैसा आप कहे घर के सभी मेंबर उसी दिन कार से मोहनपुरी गांव की तरफ रवाना हो गए पल्लवी पलपल अनुष्का की गोद में सोर उस प्यारी सी बच्ची को कोस रही थी कुछ घंटों बाद शाम के 7:00 बज चुके थे उनको एक ढावा नजर आया तो पल्लवी ने नितिन से कहकर गाड़ी उस ढाबे पर रुकवा दी चलो सब यहां खाना खा लेते हैं थोड़ी देर यहां रुककर आगे बढ़ेंगे यह सुनकर सभी लोग गाड़ी से उतरे एक पुराना सा ढावा जहां टेबल की जगह कई चारपाई बिची थी पल्लवी ने कामिनी को इशारा किया जिसे समझकर वह अनुष्का के पास गई लाइए भाभी जब तक आप खाना खा खाती है मैं पिंकी को संभाल लेती हूं अरे नहीं कामिनी मैं एडजस्ट कर लूंगी कामिनी ठीक कह रही है अनुष्का कम से कम खाना तो आराम से खाओ चलो पिंकी को कामिनी को दे दो यह सुनकर अनुष्का ने पिंकी कामिनी को धमा दी कामिनी भी उसके साथ खेलने लगी और उसको लेकर टहलने लगी कामिनी वहां कहां जा रही हो अरे भाभी मैं यही हूं आप फिक्र मत करो मैं बस पिंकी को थोड़ा घुमा लाती हूं अनुष्का तुम खाने पर ध्यान दो ना वो उसकी बुआ संभाल लेगी उसको अब अनुष्का और नितिन खाना खाने में लग गए कामिनी पिंकी को ढाब के पीछे वाले जंगल में ले गई जहां से भेड़ियों की आवाजें भी सुनाई दे रही थी अरे बाप रे यहां तो जंगली जानवर काफी ज्यादा महसूस हो रहे हैं वहां कह दूंगी पिंकी को एक भेड़िया खींच कर ले गया यह कहकर कामनी ने पिंकी को जमीन पर रख दिया और फिर बोली पिंकी बेटा तुम यही आराम से लेटो थोड़ी देर बाद भेड़ अंकल तुमको ले आने वाले हैं यह कहकर व पीछे मोड़ी तभी उसको सामने वही लाल टेन वाली औरत नजर आई जिसे देखकर कामिनी की रोह काप उठी उसको समझ नहीं आया कि वह क्या करें डरते डरते उसने जैसे ही पीछे कदम लिया उसका पैर मुड़ा और वह जमीन पर गिर गई यह तो कामिनी की आवाज लगती है यह सुनकर नितिन और अनुष्का भी उठ खड़ और तीनों डरी हुई हालत में धावे के पीछे जंगल की तरफ भागे कामिनी के हाथ में पिंकी भी है पता नहीं क्या हुआ होगा उसको वो उसको आवाज लगाते लेकिन सामने से कोई जवाब नहीं मिल रहा था तभी कुछ ही दूरी पर जमीन पर उन सभी को पिंकी पड़ी हुई नजर आई पिंकी मेरी बच्ची अनुष्का ने पिंकी को गोद में उठाकर प्यार किया और अगले ही पल पलवी चिल्ला उठी कामिनी नहीं सामने कामिनी की लाश पड़ी थी उसके जिस्म से उसका सर और एक हाथ गायब था यह खौफनाक मंजर देखकर सभी का दिल दहल उठा मेरी बच्ची कामिनी पल्लवी कामिनी की लाश के पास बैठकर रोने लगी अनुष्का और नितिन की आंखों से भी आंसू बह रहे थे और उनसे कुछ ही दूरी वही लाल टन वाली औरत खड़ी होकर सब कुछ देख रही थी की मौत से पल्लवी की बुद्धि मानो भ्रष्ट हो गई थी और उसके दिल से यही आवाज आ रही थी इस मन होस लड़की की वजह से ही मेरी बेटी की जान गई है मैं अब इसको खुद अपने हाथों से खत्म करूंगी उन लोगों ने कामिनी के शरीर को मोहनपुरी ले जाकर उसका अंतिम संस्कार किया और फिर वहीं पर अपनी पुश्तैनी हवेली में रहने लगे अभी कुछ ही दिन गुजरने के बाद पल्लवी ने फिर से अपने काम को अंजाम देने के बारे में सोचा उस रात पल्लवी ने बड़ी बेसब्र के साथ आधी रात होने का इंतजार किया और करीब 10 बजे वो दबे पांव अनुष्का के कमरे में गई अनुष्का और नितिन दोनों ही बेखबर सो रहे थे उसने पिंकी को पालने से उठाया और फिर हवेली से निकल गई अपनी गोद में पिंकी को लिए हुए वह जंगल के बीचोबीच बने एक तालाब पर आ चुकी थी मेरी बेटी को खाने वाली डायन भाड़ में जा यह कहकर उसने पिंकी को छपाक के तालाब में फेंक दिया उसके बाद जैसे ही पीछे मुड़ी तो उसको जमीन पर वही लाल टेन रखा हुआ नजर आया उसके चेहरे के भाव बदल गए तभी उसको पानी की आवाज सुनाई दी और उसने पीछे पलट कर देखा तालाब के अंदर से दो हाथ ऊपर निकल कर आ रहे थे जिनके अंदर सही सलामत पिंकी पड़ी मुस्कुरा रही थी फिर तेजी से पानी के अंदर से वही औरत अपनी गोद में पिंकी लिए हुए बाहर निकल आई वह पल्लवी के ठीक सामने थी उस औरत के कपड़ों से पानी टपक रहा था उसकी खौफनाक सांसों की आवाज पल्लवी के दिल को अंदर से दहला रही थी कौन है तू क्यों बार-बार इस बच्ची को बचा लेती है इस पर उस औरत के मुंह से एक शब्द निकला जो खिनी यह नाम सुनकर पल्लवी के डर का कोई ठिकाना नहीं रहा वह वहां से भागना चाहती थी लेकिन जोख ने उसकी बाल पकड़ [प्रशंसा] ली उसने एक ही झटके में पल्लवी की गर्दन उसके धर से अलग कर दी और इसी पल अनुष्का और नितिन भी वहां आ पहुंचे यह देखकर उन दोनों का दिल दहल उठा था कि वल्लवी की मौत हो गई थी और उसकी बच्ची घूंघट वाली एक अनजान औरत की गोद में थी तुम जो भी हो मुझ पर रहम करो तुमने जैसे मेरी प्यारी सासू मां को मार दिया मेरी बेटी को मत मारना मेरी बच्ची मुझे दे दो मेरी बच्ची मुझे वापस कर दो यह कहते हुए अनुषका हाथों को फैलाए जमीन पर घुटने एक आंसू बहाने लगी मैं तुम्हारी बच्ची को मारने नहीं बचाने आई हूं और पहले भी बचाया था इसकी बुआ से जो इसको खत्म करना चाहती थी यह सुनकर अनुष्का और नितिन को सब कुछ समझ में आ गया उसने आगे बढ़कर अनुष्का को उसकी बच्ची सौंप दी अनुष्का ने खुशी के आंसू बहाते हुए पिंकी को चूमा और खुद से चिपटा लिया पुराने समय में अश्वथामा ने उत्तरा की कोक पर हमला किया था जिससे क्रोधित होकर भगवान श्री कृष्ण ने उसको श्राप दिया था उसके बाद उत्तरा ने मुझे यानी जोख को जन्म दिया और मेरा काम मांओं की कोख और उनके नवजात बच्चों की रक्षा करना था इस तरह जब भी किसी मां की कोख या उसके नवजात बच्चे को कोई अश्वथामा की तरह खत्म करने की कोशिश करेगा तो जो खिनी यानी मैं वापस आऊंगी उस बच्चे को बचाने के लिए यह सुनकर अनुष्का और नितिन उसको हैरानी से घूरते रह गए और जोखन धुए की तरह हवा में गायब हो गई दोनों ने अपनी बच्ची को खूब प्यार किया और सामने रखे हुए उस लाल टेन को देखने लगे जो अभी भी मध्यम रोशनी के साथ जल रहा था पढ़ते रहिये