two moments of happiness in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | दो पल की खुशी

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दो पल की खुशी

1.
तुमने पूछा था ना मेरे लिए कौन हो तुम...

तो सुनो इस स्वार्थी जीवन में निःस्वार्थ प्रेम हो तुम...

2.
सौ तरह के रोग ले लूँ इश्क़ का मर्ज़ क्या है...

तू कहे तो जान दे दूँ कहने में हर्ज़ क्या है...

3.
मरता नहीं कोई किसी के इश्क़ में...

बस यादें कत्ल करती हैं किश्त - किश्त में...

4.
काश मुझे लिखना आ जाए गुलज़ार की तरह...

मैं उसके हर सितम छाप दूँ अख़बार की तरह...

5.
हजारों चाहनें वाले होंगे तेरे ज़माने में...
कोई मुझसे बेहतर मिले तो खबर करना...

और अगर मिल भी जाए कोई मुझसे भी बेहतर...
तो ज़ालिम कम से कम उस की तो कदर करना...

6.
ना पूछो यारो मोहब्बत कैसी बीमारी होती है...

दिख जाये तो सुकून दिल को...

ना दिखे तो तबियत भारी - भारी रहती है...

7.
खुद ही जवाब देते हो
खुद ही सवाल करते हो
वाह मेरे मुर्शीद मेरा कितना
ख्याल करते हो

नजरों से गिरा कर दिल में
जगह देते हो
दो पल की खुशी के लिए
कितना बवाल करते हो

दिलों को जितना यूं
तो तुम्हे बा खूब आता है
बड़ा सोच समझ कर
माशूका को हलाल करते हो

वो जान से जाता है और
उफ्फ तलक नही करता
वाह रे कातिल कत्ल भी
क्या कमाल करते हो...!!

8.
या रब वो कातिल नहीं है

फिर भी लगता है जान ले गया

9.
ये मत समझ कि तेरे काबिल नहीं हैं हम,

तड़प रहे हैं वो अब भी जिसे हासिल नहीं हैं हम

10.
मत पढा देना तुम अपनी
शायरीयां किसी और को

जिसने देखा भी नहीं तुम्हे
वो मुहब्बत कर बैठेगा तुमसे

11.
बेरंग ख़्वाबों को भी रंगीन कहा हमने,
मुस्करा कर तेरी हर बात पर आमीन कहा हमने,

तू हो ना ख़फा कभी किसी बात पे जाना,
हँसते लबों को भी संगीन कहा हमने,

तेरी हर बात क़बूल है राज़ी मन से,
यहाँ आसमान को भी ज़मीन कहा हमने,

जूस्तजू प्रीत की तेरी रुह में बसे रहने की,
हिज़्र ए दर्द को भी हसीन कहा हमने...

12.
रिवायतों के सताए तुम भी, पुरानेपन के शिकार हम भी

न तुम ही अपनी हदों से निकले, न खुलके कर पाए प्यार हम भी

13.
"सबको हैरत है,खत मेरा पढ़कर
मोहब्बत मे हमने ऐ क्या लिख दिया है

जिसको लिखना था जालिम सितमगर
उसको जान - ए - वफा लिख दिया है...।"

14.
बस एक ख़्वाब की ताबीर लिए बैठे हैं...!

हम अपने हाथ में तेरी तस्वीर लिए बैठे हैं...!!

15.
तेरे मिलने का गुमान
तेरे न मिलने की खलिश

वक़्त गुज़रेगा तो
ज़ख्म भी भर जायेंगे...!!

16.
जिक्र जब लोग जिन्दगी का करते हैं…

हम तसव्वुर में सिर्फ तुम्हें लाते हैं…

17.
"जिन से मोहब्बत हो नखरे भी उन्हीं पर जचते हैं,

वरना कभी देखा है गैरो को पलकों पे बैठाते हुऐ"

18.
किसी भी दीद की हसरत हमें नहीं रहती

समझा करो

हमारी आंखों में चेहरा तुम्हारा रहता है

19.
वो कहते थे मनानें का हुनर खूब है मुझमें

अपनें आप से बस इसीलिए रूठी हुई हूँ मैं

20.
मर भी जाएं तो क्या फर्क़ पड़ता है

हम कौनसा किसी की मन्नत या ख़्वाहिश
हैं

21.
ये ख़ौफ़ है कि रगों में लहू न जम जाए,

तुम्हें गले से लगाया नहीं बहुत दिनो से...!

22.
मुद्दतों बाद उसने हमसे पूछा
कहाँ रहते हो आज कल

हमने भी हँस के कह दिया
सिर्फ तुम्हारी तलाश में