Love and Tragedy - 3 in Hindi Love Stories by Urooj Khan books and stories PDF | लव एंड ट्रेजडी - 3

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लव एंड ट्रेजडी - 3




"रुपाली बेटा जा जाकर देख हंक्षित को कही कुछ कर न बैठे। मैं तो सीड़िया नही चढ़ सकती जल्दी जल्दी, जा उसे समझा कही वो हंसु की बातों को दिल पर लेकर ये घर छोड़ कर ही न चला जाए " हेमलता जी ने कहा पास ख़डी अपनी बहु से घबराते हुए।



"नही माँ, आप घबराओं नही मैं जाकर देखती हूँ, इन दोनों बाप बेटे का झगड़ा आज से थोड़ी है, न जाने क्यू इन बाप बेटे की कुण्डली नही मिलती है एक दुसरे से "रुपाली जी ने कहा भावुक होते हुए।


"माँ तुम ही भैया को समझा सकती हो, उनसे कहो की पापा की बात मान लिया करे, या फिर खामोश रहा करे लेकिन न जाने क्यू वो दोनों एक दुसरे से उलझते रहते है " काव्या ने कहा।


" तू आराम से नाश्ता खत्म कर और कॉलेज जा इस तरह बड़ो के मामले में अपनी टांग मत अड़ा मेरी माँ मत बन मुझे पता है कि क्या करना है " रुपाली जी ने कहा थोड़ा गुस्से से।


"इस घर में तो मेरी कोई इज्जत ही नही किसी को कुछ कहना भी गलत है इस घर में, जा रही हूँ कॉलेज आप लोग आराम से नाश्ता करो, सबको भाई ही प्यारा लगता है मेरी तो कोई हैसियत ही नही है इस घर में छोटी जो हूँ " काव्या ने गुस्से में कहा और अपना बेग उठा कर चल दी।


" अरे! बेटा मेरी बात तो सुन, अपना नाश्ता तो ख़त्म करती जा, बेवजह बहु तुमने अपना गुस्सा काव्या पर निकाल दिया अब दिन भर भूखी रहेगी " हेमलता जी ने काव्या को रोकते हुए कहा।




" किस - किस को खुश रखु माँ, जिसे देखो नाराज है इस घर में एक दुसरे से, बेटा बाप से नाराज है, बाप बेटे से नाराज और पति मुझसे नाराज बेटे का साथ देने की वजह से और अब बेटी भी नाराज हो कर चली गयी।

किस - किस को सँभालु माँ होना भी कितना कठिन है, अपनी औलाद को एक साथ खुश रखने के लिए ना जाने कौन कौन से कड़वे घूँट पीना पड़ते है फिर भी औलाद को माँ की कदर नही होती ज़ब चाहा नाराज़ हो जाते है जरा सी बात पर " रुपाली जी ने रोंधी आवाज़ में कहा।


" मम्मी जी आप परेशान मत होइए हम सब है ना, सब संभाल लेंगे देखना शाम को ज़ब पापा और ये दफ्तर से आएंगे तब ईश्वर ने चाहा तो सब ठीक होगा काव्या की भी आपसे नाराज़गी जल्द ख़त्म हो जाएगी और रही बात हंक्षित भैया की तो वो भी समय के साथ साथ सही हो जाएंगे उस हादसे ने उन्हें ऐसा बना दिया है उनका इंसानों पर से ही नही भगवान पर से भी भरोसा उठ गया है।

वो उस हादसे की वजह से खुद को इस तरह का बना रहे है, देखना ज़ब कोई उनकी जिंदगी में आएगी जो उन्हें जिंदगी को जीने का मकसद सिखाएगी तब वो बिलकुल पहले वाले हंक्षित भैया बन जाएंगे " रजनी ने अपनी सास रुपाली जी से कहा उन्हें समझाते हुए।


"सही कहा रजनी बेटा तुमने, वो अपने दर्द को किसी से बताता नही है वो अंदर ही अंदर उस हुए हादसे का जिम्मेदार खुद को मानता है, उसे तो बरसात से ही नफरत हो गयी है उस हादसे के बाद बिजली बारिश होते ही वो खुद को समेट लेता था उस हादसे के बाद अब जाकर वो थोड़ा ठीक हुआ है। लेकिन बरसात और बारिश उसे अभी भी अच्छे नही लगते जबकी मानसून आते ही उसका चेहरा खिल सा जाता था और प्रार्थना करता था कि बारिश हो जाए जिसमे वो खूब नहाये और मस्ती करे। उस हादसे ने तो मेरा पुराना हंक्षित छीन ही लिया जैसे मुझसे और उसे नास्तिक बना दिया, काश की वो हादसा उसकी जिंदगी हुआ ही न होता उस दिन" रुपाली जी ने कहा नम आँखों से वो आगे कुछ और कहती तब ही हेमलता जी बोल पड़ी





"बस बहु अब गुज़रा वक़्त याद करके खुद को परेशान और उदास मत करो जो ईश्वर की मर्ज़ी, होनी को कौन टाल सकता है, जो होना था वो हो गया अब जाओ ऊपर जाकर देखो की हंशित क्या कर रहा है उसने नाश्ता किया की नही " हेमलता जी ने रुपाली को बीच में ही टोकते हुए कहा

रुपाली जी अपने आंसू साफ करते हुए बोली " जी माँ अभी जाकर देखती हूँ रात भी पता नही खाना खाया था या नही उसने "ये कह कर रुपाली जी हाथ में नाश्ते की थाली सजा कर सीड़ियों की और बड़ती

हे! प्रभु मेरे घर की सारी दुख परेशानियों को हर लीजिये ताकि मेरा घर स्वर्ग बन सके हमारे सब के दिलो में एक दूसरे के प्रति प्रेम भावना भर दीजिये बस यही विनती हे मेरी हेमलता जी ने कहा हाथ जोड़ कर

"जी दादी एक दिन आपकी प्रार्थना जरूर रंग लाएगी " रजनी ने कहा

"रजनी बेटा कल तुम दोनों डॉक्टर के पास गए थे, क्या बताया डॉक्टर ने तुम दोनों ठीक तो हो " हेमलता जी ने पूछा

"जी दादी, डॉक्टर ने बताया हम दोनों बिलकुल ठीक हे " रजनी ने कहा

"अगर सब कुछ ठीक हे तो अब तक तुम लोगो की औलाद क्यू नहीं हुई?" हेमलता जी ने पूछा

"अगर सब कुछ ठीक हे तो अब तक तुम लोगो की औलाद क्यू नही हुयी " हेमलता जी ने पूछा

"दादी ईश्वर की मर्ज़ी " रजनी ने जवाब दिया

"हाँ, बेटा ये तो हे, लेकिन तुम उदास मत हो वो अपने नेक बन्दों की ज़रूर सुनता है देखना एक दिन तुम्हारी कोख भी हरी हो जाएगी और तुम भी माँ बनने के एहसास का अनुभव ज़रूर प्राप्त करोगी " हेमलता जी ने कहा

"जी दादी, बस ईश्वर में ही आस्था है मेरी तो, माँ ( रजनी की माँ) तो कह रही थी कि किसी बाबा को दिखा दे शायद उनके आशीर्वाद से कुछ हो जाए। लेकिन मेने मना कर दिया क्यूंकि होगा तो वही जो ईश्वर चाहेगा बाबा भी तो ईश्वर की अराधना करते है वो भी तो उन्ही से फरयाद करेंगे मेरी झोली भरने की, तो इससे अच्छा क्यू ना मैं खुद ही सच्चे मन से ईश्वर से फरयाद करू शायद वो मेरी दर्द भरी फरयाद सुन ले और बरसो से सूनी पड़ी कोख हरी हो जाए, " रजनी ने कहा

"सही कहा तुमने अपनी माँ से इन बाबाओ के चककर में फस कर इंसान ईश्वर से दूर होता जाता है और इन बाबाओ और फ़कीरो को ही भगवान बना बैठता है। तुम स्वयं सच्चे मन से उससे प्रार्थना करो वो तुम्हारी अवश्य सुनेगा। मनुष्य और ईश्वर के बीच सम्बन्ध स्थापित करने के लिए किसी तीसरे की ज़रुरत नही वो तो दिलो में बस्ता है बस आपकी नज़र और नियत अच्छी होनी चाहिए उसे देखने और महसूस करने के लिए और अटूट आस्था और तवक्कुल होना चाहिए फिर देखो तुम्हारी हर जाइज मनोकामना कैसे पूरी होती है बस मार्ग नही भटकना किसी के भी कहने पर " हेमलता जी ने कहा



उसके बाद हेमलता जी अपने कमरे मे चली गयी माला जपने और रजनी दोपहर का खाना बनाने की तैयारी के लिए नौकरों के साथ रसोई में चली गयी उनकी मदद करने।

"मुझे रहना ही नहीं है अब इस घर में जहाँ मेरे प्रोफेशन की कद्र नही वहा मुझे नही रहना, वैसे भी मैं इतना कमा लेता हूँ की मुझे किसी के सहारे की जरुरत नहीं हंशित गुस्से में कह रहा था। अपने कमरे में बैठ कर

बेटा मुझे और अपनी दादी को भी छोड़ कर चले जाओगे " दरवाजे पर खड़ी रुपाली जी ने कहा

"अरे माँ तुम, माँ आप और दादी की वजह है जो मैं इस घर में रह रहा हूँ वरना तो मैं कब का इस घर से चला जाता, जहाँ मेरे प्रोफेशन को गाली दी जाए सिर्फ इस वजह से की इस प्रोफेशन में पैसे कम है। माँ हर चीज पैसा नही होती है आदमी को अपने काम में दिलचस्पी और संतुष्टि भी मायने रखती है, मुझे सुकून मिलता है भले ही मैं पापा जितने नोट नहीं कमाता लेकिन जितने भी कमाता हूँ उसमे खुश रहता हूँ, अपनी जिन्दगी का हर एक पल जीता हूँ, अपने दिल की सुनता हूँ और ईमानदारी से अपना काम अंजाम देता हूँ बिना किसी को तकलीफ पहुचाये।

लेकिन माँ अब बहुत हुआ, अब मैं जा रहा हूँ ये घर छोड़ कर बहुत बर्दाश कर ली पापा की बातें हशित, ने कहा।


रुपाली जी हलकी सी मुस्कान चेहरे पर लेकर हशित के नजदीक आयी और उसके सर पर प्यार से हाथ फेर कर बोली " बेटा तू इस घर से चला जाएगा तो तेरी माँ का क्या होगा कभी सोचा है और तेरी दादी कितना प्यार करती है तुझसे वो तो तुझे देख कर ही खुश हो जाती है उनके तो जीने की वजह सिर्फ तू ही है, तेरे खातिर तो वो तेरे पापा तक से लड़ जाती है और तू उन्हें छोड़ कर चला जाएगा तू

बेटा हशित तुम्हारे पापा बाहर से जितने सख्त दिखते है अंदर से उतने ही नर्म है। वो बस तुम्हारा भला चाहते है, वो चाहते है की तुम भी उनकी तरह कुछ बनो तुम्हारी भी अलग पहचान हो इस बिजनेस वर्ल्ड में।

"माँ मुझे नहीं बनाना कोई पहचान में जैसा हूँ अपनी जिन्दगी में खुश हूँ, मुझे नहीं बनना कोई बड़ा आदमी मुझे एक अच्छा और सच्चा ईसान ही रहने दो, मुझे नही बनाना कोई झूठी पहचान और शान । मेरे लिए मेरा काम ही सब कुछ है और एक दिन मैं पापा को दिखा दूंगा की अखबार में नाम रूपवाने के लिए बड़ा आदमी होना जरूरी नही जबकी कुछ ऐसा कर जाओ जो दूसरे के दिलों में आपकी छाप छोड़ जाए "हशित ने कहा

अच्छा बेटा जो दिल में आये वो करो लेकिन हमसे दूर जाने का फैसला त्याग दो, हम सब तुम्हारे साथ है। तुम्हारे पापा भी समझ जाएंगे एक दिन तुमको ईश्वर ने चाहा तो देखो तुम्हारी वजह से काव्या को भी नाराज कर दिया मेने अब उसे भी मनाना पड़ेगा रूपाली जी ने कहा

"अरे माँ तुमने फिर काव्या को नाराज कर दिया अब वो फिर दिन भर भूखी रहेगी और ना जाने मुझे क्या कुछ कहेगी अपने दिल में, माँ मुझे जाने दो जब तक मैं यहाँ रहूगा इस घर में कोई ना कोई परेशानी आते ही रहेगी मेरी नादानियों की वजह से ही सब लोग नाराज रहते हैं एक दूसरे से मुझे जाने दो माँ" हंक्षित ने कहा।



"तू कही नही जाएगा इस घर को छोड़ कर खामोशी से ये नाश्ता कर और फिर नीचे आ तेरी दादी तुझसे मिलना चाहती है इतने दिनों बाद तो तू सही हुआ है मैं तुझे दोबारा उस अतीत में जाने नहीं दूंगी तुझे जो करना है कर लेकिन हमसे दूर मत जा " रुपाली जी ने कहा

ठीक है माँ नही जाता लेकिन पापा से कह देना कि वो मेरे प्रोफेशन के बारे में कुछ ना कहे वरना वो दिन इस घर में मेरा आखरी दिन होगा और माँ दोपहर में मेरे कुछ दोस्त आएंगे क्यूकि हमे फोटो शूट करने के लिए जगह का डिसकस करना है क्यूंकि इस बार मेने वर्ल्ड फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है अगर मैं उसमे प्रथम आया तो देखना पापा को अपने सवालों का जवाब मिल जाएगा कि नाम सिर्फ बिजनेस करने से नही बनता दुनिया में और भी बहुत काम है जिनसे नाम कमाया जा सकता है हंशित ने कहा

"जरूर बेटा, तू जरूर प्रथम आएगा मेरी दुआ हर दम तेरे साथ है, ईश्वर तुझे जरूर कामयाब करेगा चल अब नाश्ता कर ठंडा हो रहा है " रुपाली जी ने कहा

हशित का मोबाइल बज उठता है। आखिर किसका फोन आया था हशित को जानने के लिए पढ़िए, अगला भाग