1.
तुम थी,
वक़्त था
मैं नहीं...
मैं था
वक़्त था
तुम नहीं...
मैं हूँ
तुम हो
वक़्त नहीं...
वक़्त रहेगा
मैं नहीं
तुम नहीं...
2.
रात फिर खूब जमके बरसे बादल,
आंखों के पानी को भी संग में लेकर ।
पता तो था की आज बारिश होगी
संग में लायेगी सुनामी,
बादलों को सुनाई थी जो अपनी कहानी ।
एक तरफ़ उमड़ते आंखों में दर्द के अरमान,
दूसरी तरफ़ बरसते रहे झमाझम आसमान ।
बारिश की बूंदों से रात्रि होती रही बियाबान,
थम ही नही रहा था रात्रि मेरे आंसु का तूफ़ान।।
3.
रिश्तों का मुझे यूं आजमाना
क्या बात है ...
अल्फाजों से नमक लगाना
क्या बात है ...
वो हर रोज मुझे,
अपना बनाते हैं ...
मगर,
अपना बना के मुझे ठुकराना
क्या बात है ...!
4.
जिस्म से जिस्म का आलिंगन नहीं...
बस रुह से रुह का मिलन चाहते हैं...
चाह नहीं है तेरा पाक बदन छूने की...
माथे पर प्यारा सा एक चुम्बन चाहते हैं...
थक जाऊँ जब मैं इस दुनिया की भीड़ में...
तेरी बाहों में सिमटकर तेरा दामन चाहते हैं...
5.
... चिरागों से कह दो
न बुझे एक आस बाकी है
धड़कने चल रही है
अभी साँस बाकी है
कब से दबे हैं दिल में
अल्फाजों के काफिले
कई अनकहे से
वो अभीं जज्बात बाकी है
ये तय हुआ था कि
आखिरी दीदार करेंगे,
जरा ठहर जाओ अभी
वो मुलाकात बाकी है
6.
प्रेम...
यानी तुमसे अनगिनत बातें करता
बेफिक्र सा मैं,
आंखें मेरी, नींद मेरी
और स्वप्न तुम्हारा,
कविताएं, रचनाएं, नज़्म मेरी
और ज़िक्र तुम्हारा,
जिंदगी मेरी
और हक बस तुम्हारा...
7.
सितारों में सिमटी हुई हो
माहताब का नूर हो तुम
पंखुङी गुलाब की हो
या दिलफरेब गुल हो तुम
एक ख़्वाब सुहाना सा हो
ख़्यालों का सुरूर हो तुम
रहते है ग़ुम तेरी यादों में
सच में कोई हूर हो तुम
8.
मैने खोया है अपना निस्वार्थ प्रेम,
अब मुझे कुछ खोने का डर नही...!
मैने खोया अपना निश्छल मन,
अब मुझे कुछ खोने का डर नही...।।
मैने खो दिया अपने कीमती एहसास,
अब कुछ पाने की चाह नही।
मैने खो दिया एक इन्सान,
अब किसी की चाह नही।।
9.
छुपा सको तो छुपा लो तुम,पर
ये सिलवटें तुम्हारी चुग़ली कर रही हैं
होकर गालों से बह रही है हया
मिलकर तुमसे अदायें निखर रही हैं
नज़ाकत तो शबनम से भी नाज़ुक है
शरारतें भले ही हमेशा से मुखर रही हैं
धड़कनों की रफ़्तार को कैसे बयॉ करें
दिल में हलचल जज़्बातें छू शिहर रही हैं
10.
जो रिश्ते खामोश हो चुके है
अब उन के लिए शोर नहीं करना
बहुत लड़ लिए सबके लिए
अब खुद को कमज़ोर नही करना
जिंदगी ले ही जाती है
सबको अपनी मंजिल के पास
पर जिन राहो को छोड़ दिया है
अब खुद को उस ओर नही करना...
11.
इश्क़ में लोग ग़मज़दा निकले
दर्द की कोई तो दवा निकले
क्या गिला कीजिएगा दुनिया से
मेरे अपने ही बेवफ़ा निकले
दीप की लौ को छू के देखा था
हाथ अपना ही अब जला निकले
आपसे भूल हो नहीं सकती
जब भी निकले मेरी ख़ता निकले...
12.
आज फिर उनकी आँखों में मुझे वो
चाहत नजर आई,
बड़ा सुकून मिला
जब तेरे चेहरे पर मुस्कुराहट
नजर आई...।
13.
चली आओ कभी इशारों में बात करें हम
छुप छुप कर कहीं किनारों से बात करें हम।
चंद दिनों की बची हुई इन ज़िन्दगी में
थोड़ा एहसास ए दिलों से मुलाकात करें हम।
बहुत हुआ दूरियों का ये बेरुख सा अंदाज़
चलो फिर से इशारों - इशारों से बात करें हम।