Safarnama (tale of hearts) in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | सफरनामा (दिलो की दास्तान)

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सफरनामा (दिलो की दास्तान)

1.
बिखर कर भी संभल जाना
मज़ाक थोड़े है

यादों की किताब में
फट चुके पन्नों को संभाल कर रखना
मज़ाक थोड़े है

आंखों में आंसुओं को पाल कर रखना
मज़ाक थोड़े है

दिल में बसे इन्सान को
दिल से निकाल कर रखना
मज़ाक थोड़े है

2.
कभी वो दिन कभी रात याद किया करती थी
तस्वीरों से ख्वाब सजाया करती थी
मझधार में जब होती पुकारा करती
जीवन के श्रृंगार हाथो से सजाया करती ...
उनकी यादों का सफर हमसाया रहा
आज भी यादों में भींग जाया करते
लौट आओ फिर ख्वाबों को सजाया जाए
जैसे पहले तुम बेखुभि सजाया करती थी !

3.
क्यूं लिखती हो यूं तुम
रेत पर नाम मेरा...?

इक हवा के झोंके से जो
कभी भी बिखर जाएगा...?

गर लिखना ही है तो
लिखो दिल ज़मीं पर...

याद आए भी कभी तो
सांसें महक जाएंगी...

4.
एक उलझन है जो सुलझती नही

बात दिल में उठी है मगर जुबां कहती नही

कश्मकश में है जज़्बात और दिल बैचेन है

कहे बिना रह नहीं पाते बिन कहे वो समझती नही

गर कह दी बात तो उसे समझाना महंगा है

ना कहे तो अपने दिल को बहलाना महंगा है

6.
यकीनन यकीं से कहता तुमसे
दर्द आंखो का देख कह रहा तुझसे ...!

कभी मिलेंगे दुबारा गर बिछड़े तुमसे
आशुंवो में लिपटा दर्द कह रहा तुमसे ...!

अजी सुनो न तुम्ही भी कहो मुझसे
मेरे हिस्से का दर्द, होता अहसास तुमको ...!

7.
बहका हुआ मैं मंजिल से
अकेला रह गया दिल से

दूर दराज सब हो चुके
राह जीवन का खो चुके

समुद्र दूर है साहिल से
बहका हुआ मैं मंजिल से

मन सबसे मेरा ऊब गया
उम्मीद का सूर्य डूब गया

दिन गुजर रहे मुश्किल से
बहका हुआ मैं मंजिल से

8.
नज़रें तुम्हारा ही इंतजार करती हैं
आंखों में बसी तेरी तस्वीर का दीदार करती हैं

मुझमें घूलकर, अपना रंग समाकर मुझमें
बैठ जाती हो चुपचाप होकर खामोश क्यों

मुझे बेचैनी, बेकरारी, बेबसी में डालकर
कहां छुप जाती हो मेरे दिल की ऐ चैन - ओ - सुकून तुम...

9.
उसे हमने बहुत चाहा था पर पा न सके,
उसके सिवा ख्यालो में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर मुस्कुरा न सके...

10.
सोचा ना था...
कभी ऐसा दिन भी आएगा
मेरी धड़कन...
तेरी मुस्कान से धड़का करेगी
कहने को तो ये जिंदगी
सिर्फ मेरी है...
मगर ये जिंदगी...
भी तेरी सांसो से जुड़ी है...
गर तुम हो...
तो मैं हूँ...
मेरा वजूद सिर्फ तुमसे है...
सिर्फ तुमसे...

11.
जिन्दगी का एक और वर्ष
कम हो चला
कम नहीं हो रहा
वो है इंतजार तेरा
कुछ पुरानी यादें
पीछे छोड़ चला
कुछ ख्वाहिशें दिल मे रह गईं
कुछ मुझसे खफा हैं
क्या कहूँ तुम्हें
तुम तो छोड़ कर चली गई
हम खड़े रह गए
सफर के उसी मोड़ पर
तुम मुझे मिल के भी भूल गई
तुम आज भी मुझे याद रह गई...

12.
गुजरते साल के गुजरते लम्हे
जब कहेंगे कहानी तुम्हारी

छुपी होगी उसमे दास्तां हमारी

खो गया मेरा वजूद तेरी परछाई में
अब तेरे बिना कुछ नहीं है जिंदगी हमारी

13.
जब तन्हाई हमे अपने भंवर में डुबोती है,
जब किसी की याद आकर हमे तड़पा देती है

चाहकर भी उसे पा नही सकते,
उनसे मिल नही सकते है,

फाड़ देती है हमारी उम्मीदों के चादर को,
उधेड़ देती है क़तरा - क़तरा हमारे ख्वाबो के स्वेटर को,
तिनका - तिनका बिखेर देती है ज़ज़्बातों के घरौंदे...