Love and Tragedy - 2 in Hindi Love Stories by Urooj Khan books and stories PDF | लव एंड ट्रेजडी - 2

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लव एंड ट्रेजडी - 2




अपने बेटे हंसराज के मूंह से अपने पोते के लिए इस तरह की बात सुन हेमलता जी बोल पड़ी क्यूंकि वो जानती थी कि अगर उन्होंने बात को यही नही रोका तो बाप बेटे के बीच और तकरार हो जाएगी इस लिए वो बात को सँभालते हुए बोली "क्या हंसु ( हेमलता जी अपने बेटे को प्यार से हंसु बुलाती है )तू फिर मेरे पोते के पीछे पड़ गया हाथ धो कर चल अब अपना नाश्ता ख़त्म कर जा हंक्षित तू भी नहा धो फिर नाश्ता करना "


"अब क्या ही नाश्ता होगा चलो रजत दफ्तर चले?" हंसराज जी ने कहा वहाँ से उठते हुए।


एक मिनट पापा रुकिए और दादी आप भी कहने दो आज इन्हे जो भी कुछ ये कहना चाहते है, एक बार में ही आज सब फाइनल कर देते है, इन्हे लगता है ना कि सिर्फ इनका ही नाम मशहूर है दुनिया में क्यूंकि ये एक बड़े बिज़नेस मैन है और इनका ही प्रोफेशन सबसे अच्छा है बाकी सबका बेकार


पापा, जिस कैमरे को आप दो कोड़ी का कह रहे है उसमे मेरी जान बसती है, जो तस्वीरे में खींचता हूँ वही मेरे लिए सब कुछ है क्यूंकि मुझे पसंद है, मेरा दिल चाहता है पूरी दुनिया घूमने का मैं आप लोगो की तरह कागज के नोटों को कमाने के लिए अपनी जिंदगी का और जमीर का सौदा नही कर सकता जिंदगी एक बार मिली है मैं इसे खुल कर जीना चाहता हूँ ना कि आपके दबाव में आकर दफ्तर जाकर कम्यूटर और फ़ाइल में अपना सर खापाना चाहता हूँ नही है मुझे दिलचस्पी बिज़नेस में नही करना मुझे कारोबार नही देना लोगो को धोखा।


आप ईश्वर में आस्था रखते है, सुबह सवेरे उसके सामने अपना सर झुका कर दफ्तर जाते है तो बताये क्या आप अपना कारोबार ईमानदारी से करते है, मैं भले ही ईश्वर में आस्था नही रखता हूँ लेकिन अपना काम ईमानदारी से करता हूँ किसी से झूठ नही बोलता हूँ, किसी को धोखे में नही रखता हूँ किसी कि मासूमियत और उसकी गरीबी का फायदा नही उठाता हूँ, किसी से उसकी जमीन धोखे से नही खरीदता हूँ

और तो और सबसे बड़ी बात मैं किसी के सपने को नही कुचलता हूँ सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए आप को मालूम ही होगा कि रजत भैया क्या बनना चाहते थे लेकिन आपने उनके सपने को एहमियत नही दी उनके हाथ से गिटार छीन कर दफ्तर कि फ़ाइल थमा दी वो सिंगर बनना चाहते थे लेकिन आपने उन्हें अपने सपने को एक तरफ रख कर अपने इशारों पर चलने वाला एक रोबोट बना दिया हंक्षित और कुछ कहता तब ही हंसराज जी तेश में आकर अपनी पत्नि की तरफ देख कर बोले


" देखा तुमने ये किस तरह अपने बाप से बात कर रहा है, नमक हराम कही का, मेरे ही घर में रहता है मेरी ही कमाई खाता है और मुझे ही गाली दे रहा है, देखा आप लोगो ने इसका पक्ष लेने का नतीजा


"हंक्षित!खामोश हो जाओ भगवान के लिए अपनी जुबान को लगाम दो, ये किस तरह अपने पिता से बात कर रहे हो तमीज भूल गए हो क्या?"रुपाली जी ने कहा।



हंक्षित कुछ कहता तब ही हंसराज जी बोल पड़े " अगर मेरी कमाई हराम की है, मैं झूठ बोल कर पैसे कमाता हूँ लोगो को धोखा देता हूँ, इस घर को बनाने में तुम सब को पाल पोस कर बड़ा करने में हराम का पैसा लगा है तो क्यू रह रहे हो इस घर में छोड़ कर क्यू नही चले जाते, क्यू मेरे पैसे पर ऐश कर रहे हो?"


" आप के पैसे, आपके पैसे तो मैंने न जाने कब से लेना छोड़ दिए है, पूछो माँ से और दादी से जो भी कपड़ा जूती पहनता हूँ अपनी मेहनत की कमाई से पहनता हूँ जितना भी कमाता हूँ और रही बात इस घर में रहने की तो इस घर में सिर्फ आप नही रहते है और लोग भी है जिनसे मैं प्यार करता हूँ और वो मुझसे अगर जिस दिन उन लोगो ने भी नजरें फेर ली उस दिन मेरा आखिरी दिन होगा इस घर में "हंक्षित ने कहा।


"हंक्षित, अब खामोश हो जाओ बहुत हुआ जाओ अपने कमरे में, पापा आप आइये हमें दफ्तर के लिए देर हो रही है, रजनी तुम जाओ मेरा कोर्ट ले आओ " वहाँ खडे रजत ने हंक्षित को समझाते हुए कहा।


"क्या कह रहे थे तुम? कि मैंने इसके सपने को कुचल दिया, पूछो इससे कि ये कितना कमा लेता अपने उस गाना बजाने के शोक से आज ऊपर वाले कि किरपा से दो दो कम्पनी संभाल रहा है मालिक बना बैठा है, हजारों लोग इसके नीचे काम करते है इसके दस्तखत की कितनी एहमियत है, इसके एक हाँ पर और एक ना पर काम रुक और चालू हो जाता है, तुम क्या समझो बिज़नेस किसे कहते है, आवारा गर्दी से फुरसत मिले तो कुछ समझो " हंसराज जी ने कहा हंक्षित की तरफ देख कर।



"ठीक कहा पाप आपने, होगा भाई आज दो कंपनी का मालिक होगी इसके दस्तखत की एहमियत लेकिन क्या आपने इससे एक बार पूछा है कि क्या ये दिल से ख़ुश है उस काम को करने में,क्या इसके उस काम में इसकी अपनी मर्जी शामिल है भले ही ये लाखो कमा रहा है लेकिन क्या इसे मन कि संतुष्टि है नही पापा आप कभी नही पूछेंगे क्यूंकि आपको इस बात का एहसास ही नही आपने भाई को इशारों पर चलने वाला रोबोट बना दिया है, वो अब चाह कर भी अपनी जिंदगी अपने हिसाब से नही जी सकता उसने अपने सपने को आपके दबाव में मार दिया है उसे अब जिन्दा करके भी कोई फायदा नही " हंक्षित ने कहा।



"तुमने तो अपना प्रोफेशन फ़ॉलो किया, छोड़ दी थी न तुमने पढ़ाई अधूरी कर ली थी न अपने बाप से बगावत और थाम लिया था अपने हाथ में वो कैमरा और निकल पड़े थे लोगो कि तस्वीरे खींचने तो तुमने क्या कमा लिया,बताओ जरा क्या तुम्हारी कोई तस्वीर छपी है आज तक अख़बार में क्या तुम्हे कोई जानता है, मेरे नाम से ही तो तुम्हारी पहचान है देखो, देखो इस अख़बार को पहले पर्चे पर ही मेरी तस्वीर छपी है और साथ में तुम्हारे भाई की भी क्या तुम्हारी कभी छपी अख़बार में तस्वीर " हंसराज जी ने गुस्से में आकर कहा।


"ये किस तरह की बहस पर उतर आये है आप लोग, भगवान के लिए शांत हो जाइये, देखिए घर के नौकर भी सुन और देख रहे है वो क्या सोचेंगे कि बाप बेटे किस तरह लड़ रहे है " रुपाली जी ने कहा।


"सुन लेने दो और देख भी लेने दो " हंसराज जी ने गुस्से में कहा।


"पापा, अखबर में फोटो आना कोई बड़ी बात नही है, बात तो ज़ब है ज़ब लोगो के दिलों में आपकी तस्वीर छपी हो और मैं ये जानता हूँ जो काम में करता हूँ उससे भले ही मेरी अख़बार में तस्वीर नही छपति लेकिन मेरे मन को संतुष्टि हमेशा रहती है जो काम में करता हूँ उससे और रही बात अख़बार में तस्वीर आने की तो देखना आपका ये ख्वाब भी एक दिन हकीकत बन कर रहेगा फिर आपको यकीन हो जाएगा कि सिर्फ आपके ही प्रोफेशन में अख़बार में तस्वीर नही छपती है" हंक्षित ने कहा।


"देखेंगे कब तुम कोई ऐसा काम करोगे उम्मीद करता हूँ मेरे जीवन में ही ये काम हो जाए लेकिन मुझे लगता नही क्यूंकि अख़बार में तस्वीर मेहनती लोगो कि छपती है, जो जिंदगी को अपने मेहनत के दम पर जीने का हौसला रखते है न कि तुम जैसे काम चोर लड़कों की जो अपनी जिंदगी को खेल समझते है और उसे यूं ही गुजार देते है " हंसराज जी ने कहा।


"वो दिन आएगा, देख लेना एक दिन आपको पता चल जाएगा आपका तो पता नही शायद मैं आपसे बहुत दूर चला जाऊंगा ज़ब तक " हंक्षित ने कहा और वहाँ से अपने कमरे में चला गया।

"ये क्या कह कर चला गया? हे! भगवान आप दोनों बाप बेटे की लड़ाई में हमेशा मैं ही क्यू पिसती हूँ? आप दोनों क्यू एक दुसरे के पीछे हाथ धो कर पड़ गए हे माँ होना भी किसी मुसीबत से कम नही आपका साथ दू तो बेटे की बुरी बन जाऊ बेटे का साथ दू तो आपकी " रुपाली जी ने कहा थोड़ा भावुक होते हुए।


थोड़ी देर के लिए वहाँ ख़ामोशी सी पसर गयी थी। सब लोग एक दुसरे को ही देख रहे थे।


तब हंसराज जी अपने बेटे रजत की तरफ देख कर बोले " तुम्हे भी कुछ कहना हो तो कह दो, तुम्हारा छोटा भाई तो मुझे तुम्हारा दुश्मन समझता हे तुम्हारा मन हो तो आ जाना दफ्तर मैं जा रहा हूँ "


"प,, प,,, पापा केसी बातें कर रहे हे, हंक्षित तो नादान हे आप उसकी बातों को दिल पर मत लीजिये मैं चल रहा हूँ आपके साथ और वैसे भी आज तो मलिक ब्रदर्स के साथ मीटिंग हे हमारी " रजत ने कहा अपने पिता की तरफ देखते हुए।


"मैं तो भूल ही गया था, तुमने सब तैयारी कर ली हे ना, ये कॉन्ट्रैक्ट हमें ही मिलना चाहिए " हंसराज जी ने कहा रजत की तरफ देख कर।


"जी,, जी,,, पापा सारी तैयारी हो गयी हे,आप परेशान न हो " रजत ने कहा हकलाते हुए।

"ठीक हे, तो चलो फिर अब यहां रुक कर क्या फायदा जो सुबह सुबह कलेश होना था वो तो हो गया, खेर घर की बात घर में ही छोड़ देना चाहिए शुकर हे कि भगवान ने मेरे दुसरे बेटे को सद्बुद्धि दी हे वरना तो शायद मेरा सारा बिज़नेस मेरे दुश्मन ही डुबो देते जिसे मैंने अपने खून पसीने की कमाई से खड़ा किया हे " हंसराज जी ने कहा।


"ऐसा कुछ नही होगा पापा, रही बात हंक्षित की तो देखना कुछ सालो बाद वो भी इसी कंपनी को संभालेगा अभी थोड़ा नादान हे अच्छे बुरे की समझ नही हे ज़ब जिम्मेदार होगा तब सीधा दफ्तर ही आएगा " रजत ने कहा।


"रजत ठीक कह रहा हे, हंसु हंक्षित अभी छोटा हे इस उम्र में सब ही ऐसे ही होते हे अल्हड़ अपनी मर्जी के मलिक जैसे जैसे उम्र होगी वो भी समझदार हो जाएगा चल अब सारा गुस्सा थूक और ख़ुशी ख़ुशी घर से विदा ले " हेमलता जी ने कहा।


"ये सब आप लोगो के लाड़ प्यार का नतीजा हे, खास कर आपका माँ, जो वो इस तरह का हो गया हे मैं भी तो उसी दौर से होकर गुजरा था मैंने तो कुछ नही कहा था ऐसा पापा जैसा कहते वैसा ही करता " हंसराज जी ने कहा।


"छोड़ दीजिये पापा अब, हमें देर हो रही हे चलना चाहिए कही वो लोग हमारा इंतजार नही कर रहे हो, क्लाइंट को इंतज़ार कराना अच्छी बात नही आपने ही सिखाया हे " रजत ने कहा अपने पिता को समझाते हुए।


"ठीक हे चलो " हंसराज जी ने कहा और बाप बेटे वहाँ से जाने लगे रजनी रजत का कोर्ट ले आयी जिसके बाद दोनों वहाँ से चले गए।

आगे क्या होगा, जानने के लिए पढ़े अगला भाग