you and me in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | हम और तुम

Featured Books
Categories
Share

हम और तुम

1.
मैं न यूसुफ़ हूँ न ये शहर - ए - ज़ुलेख़ा यारो
क्यों चले आए हो ले कर सर - ए - बाज़ार मुझे

2.
इक़रार - ए - मोहब्बत तो बड़ी बात है लेकिन
इंकार - ए - मोहब्बत की अदा और ही कुछ है

3.
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो
तुम को देखें कि तुम से बात करें

4.
तितली से दोस्ती न गुलाबों का शौक है...
मेरी तरह उसे भी शायरी का शौक है...

5.
कोहिनूर से भी क़ीमती समझा था तुझे ...!
मगर कोयले से भी काली, करतूते थीं तेरी ...!!

6.
सूरज और पिता की गर्मी बर्दाश्त करना सीखिए
जब यह डूब जाते हैं तो हर तरफ अंधेरा हो जाता हैं

7.
कभी आँखों पे कभी सर पे बिठाए रखना...
ज़िंदगी तल्ख़ सही दिल से लगाए रखना...

8.
कहते हो _ के सबके मुताबिक़ हो जाओ ...!
यानी कभी मोमिन तो कभी मुनाफिक हो जाओ ...?

9.
ये तो सियासत ने खींच दी है लकीरे वरना
तेरी आस्था से मेरा झगड़ा कब था।

10.
जिस तरह गुजर जाती है हर रात सुबह आने के बाद,
ए जान तुम भी यूँ ही मान जाओ ना रुठ जाने के बाद ...!

11.
पुरानी कलम को एक नया मोड़ दिया है |
मैंने तुम पर लिखना छोड़ दिया है ||

12.
हँसकर कबुल क्या कर ली
सजायें मेने...
आपने तो दस्तूर ही बना लिया
हर इलजाम मुझ पर लगाने
का ...!

13.
बाबूजी कहते है कि
एहतियात पछतावे से बेहतर है,
हर हाथ मिलाने वाला दोस्त नहीं होता!

14.
डर सा लग रहा है की कुछ बुरा न हो
लोग बहुत करीब आते जा रहे है मेरे

15.
कभी तो समझो खामोश लब और झुकी नजरों को मेरी,
अब हर शाम तुम्हें, तुमसे ही मांगे हम... ये जरूरी तो नहीं ...!

16.
तेरे पाँउ में छनकने लगा है दिल मेरा,
मेरे सीने में धड़कने लगी पाँयल तेरी...

17.
यार माँ के शाने बहुत ज़रूरी हैं
हम लोग तकियों पर रो नही सकते...

18.
खिलाने और पिलाने की रस्म ख़ुद ही निभाते हैं
ख़ुदा का शुक्र है _ हमने कोई बाबू नहीं रखा

19.
मेरी दहलीज पर आ रूकी है हवा ए मोहब्बत,
मेहमान नवाजी का शौक भी है उजड़ जाने का खौफ भी!

20.
वो लफ्ज़ कहा से लाऊँ, जो तेरे दिल को मोम कर दे,
मेरा वजूद पिघल रहा है, तेरी बेरुखी से ...!

21.
पल्लू ओढ़कर निकले थे वो आज घर से,
पहली दफा देखा धूप में चांद को जलते हुए।

22.
तन्हाई में बैठकर दो ही काम आसान है
एक इबादत करना दूसरा महबूब को याद करना

23.
किसी औरत की इज़्ज़त करना उसे
ख़ूबसूरत कहने से ज़्यादा ख़ूबसूरत है।

24.
लफ्जो की तरह मुझसे किताबो में मिला कर
दुनिया का तुझे डर है, तो ख्वाबो में मिला कर

25.
उस ने फोन पर भेजे थे बोसे मुझे,
मैंने तब से फोन गालों पे लगा रक्खा है ...!

26.
दब के मर जाओगे जवाबों में
कभी पूछना मत 'जिंदगी' क्या है।

27.
शायरी खुदकुशी का धंधा है, लाश अपनी है अपना ही कंधा है,
आईना बेचता फिरता है "शायर" उस शहर मे, जो शहर अंधा है।

28.
एक आरजू तो थी तेरे कानो मैं बालियां पहनाने की...
मगर तेरे बालो की खुशबू ने पहले ही मदहोश कर दिया।

29.
मेरी रातों से मेरी नींद चुराने वाले...
मेरी आँखों से मेरे ख़ाब चुरा कर देखो...

30.
कई महफिलो से बिना बताये ही जाना पड़ता है,
ज़रूरी तो नहीं हर बार समान समेटा ही जाये ...!