The Author DINESH KUMAR KEER Follow Current Read एक उम्मीद की किरण By DINESH KUMAR KEER Hindi Anything Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books तेरी मेरी यारी - 10 (10)मीडिया में करन के किडनैपिंग की खबर फैल जाने से किड... सामने वाले की पहचान आज के युग मैं जरूरी हैँ सामने वाले की पहचान उसकी भाषा मैं बो... नागेंद्र - भाग 7 गायत्री जी से हमें पता चलता है कि किस तरह से वर्धा ने उसकी प... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 75 अब आगे,अपने बड़े पोते राजवीर की बात सुन कर कि वो कुछ दिन बाद... मंजिले - भाग 2 ( मोक्ष ) " ------ आप को भगवान समझना... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share एक उम्मीद की किरण 408 1.6k 1.तेरे बिन मेरा मनजैसे बन में हिरनजैसे पगली पवनलागी तुमसे मन की लगनलगन लागी तुमसे मन की लगन2.वो खेल वो साथी वो झूले वो दौड़ के कहना आ छू लेहम आज तलक भी न भूले वो ख़्वाब सुहाना बचपन का3.तुम्हे याद करते करते जाएगी रैन सारीतुम ले गए हो अपने सँग नींद भी हमारी4.सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैंसो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैंसुना है हश्र हैं उस की ग़ज़ाल सी आँखेंसुना है उस को हिरन दश्त भर के देखते हैं5.देर से लहरों मैं कमल सम्भाले हुए मन काजीवन ताल मैं भटक रहा रे तेरा हँसाओ हँसनी ... मेरी हँसनी, कहाँ उड़ चली, मेरे अरमानो के पँख लगाके, कहाँ उड़ चली6.जलती बुझती यादों कि किरणों को सजाकर रोये हैवो चेहरा याद आया हम शमा जलाकर रोये हैतुझसे रिश्ता क्या छूटा हर गम से रिश्ता टूटा थाये आँसू है खुशी के आँसू जो तुमको पाकर रोये है7.शबनम से भीगे लब हैं, और सुर्खरू से रुख़सार,आवाज़ में खनक और, बदन महका हुआ सा है,जाने वालों ज़रा सम्हल के, उनके सामने जाना,मेरे महबूब के चेहरे से, नक़ाब सरका हुआ सा है।सुर्खरू - लालरुखसार - गाल, चेहरा8.वा के बिन मैं भई बावरीभूख प्यास सब खोईजा दिन ते परदेस गयोमैं एक रैन न सोईमेरे दिल को दर्द न जाने कोईमैं कबते देख रही हर ओरवन में नाचे मोर सखी रीवन में नाचे मोर9.ख़याल - ओ - ख़्वाब के सब रंग भर के देखते हैंहम उस की याद को तस्वीर कर के देखते हैंजहाँ जहाँ हैं ज़मीं पर क़दम - निशाँ उस केहर उस जगह को सितारे उतर के देखते हैं10.दुल्हन चली, ओ पहन चली, तीन रंग की चोलीबाहों में लहराये गंगा जमुना, देख के दुनिया डोलीगर्व से कहो हम भारतीय है11.दश्त ओ जुनूँ का सिलसिला मेरे लहू में आ गयाये किस जगह पे मैं तुम्हारी जुस्तुजू में आ गयाचारों तरफ़ ही तितलियों के रक़्स होने लग गएतू आ गया तो बाग़ सारा रंग - ओ - बू में आ गया12.गुलाब - रुत की देवियाँ नगर गुलाल कर गईंमैं सुर्ख़ - रू हुआ उसे भी लाल कर दिया गया13.उसे इक अजनबी खिड़की से झाँकाज़माने को नई खिड़की से झाँकावो पूरा चाँद था लेकिन हमेशागली में अध - खुली खिड़की से झाँका14.साँस लेता हुआ हर रंग नज़र आएगातुम किसी रोज़ मिरे रंग में आओ तो सही15.फीकी है हर चुनरीफीका हर बंधेजजो रूह को रंग दे वो सच्चा रँगरेज16.मेरे सामने से जो कोई रहगुज़र गुज़रे...ढूंढती हूँ अक्स तेरा जब कोई बशर गुज़रे...17.तेरे होंटों पे तबस्सुम की वो हल्की सी लकीरमेरे तख़्य्युल में रह रह के झलक उठती हैयूं अचानक तिरे आरिज़ का ख़याल आता हैजैसे ज़ुल्मत में कोई शमां भड़क उठती है18.हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देनाहसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना19.चिड़िया होती है लड़कियाँमगर पंख नहीं होते लड़कियों के,मायका भी होता है, ससुराल भी होता हैमगर घर नहीं होते लड़कियों के,मायका कहता है, ये बेटियां पराई हैंससुराल कहता है, ये दूसरे घर से आई हैंखुदा अब तू ही बताये बेटियां किस घर के लिए बनाई हैं? Download Our App