लापता लेडीज
लापता लेडीज - बहुत दिनों के बाद एक साफ़ सुथरी ऐसी हिंदी फिल्म आयी है जिसे आप सपरिवार बैठ कर एक साथ देख सकते हैं .फिल्म में ज्यादातर साइलेंट कॉमेडी है , बिना किसी शोर शराबे के . दूसरी तरफ कुछ गंभीर मामले जैसे नारी की स्वतंत्रता , दहेज़ प्रथा आदि को भी सौम्य तरीके से दिखाया गया है .
फिल्म की मूल कथा बिप्लब गोस्वामी द्वारा लिखी गयी है जबकि स्क्रीन प्ले स्नेह देसाई और दिव्यनिधि शर्मा का है . इसके निर्माता आमिर खान , किरण राव और ज्योति देशपांडे हैं और निर्देशिका किरण राव .
कहानी - दीपक ( स्पर्श श्रीवास्तव ) अपनी नयी नवेली दुल्हन फूल ( नीतांशी गोयल ) के साथ एक भीड़ से भरी पैसेंजर ट्रेन में अपने गाँव लौट रहा है . उस ट्रेन में एक और नयी जोड़ी प्रदीप (भास्कर झा ) और जया ( नाम बदल कर पुष्पा भी - प्रतिभा रन्ता ) पहले से ही बैठी थी . दोनों दुल्हनें अपनी पारंपरिक लाल चुनरी में घूंघट में बैठी हैं . दीपक को पहले सूरजमुखी स्टेशन उतरना है और उसे नींद आ जाती है . अचानक नींद टूटने पर उसे अपना स्टेशन दिखता है और वह जया के साथ उतर जाता है . बाद में पतीली स्टेशन पर फूल और प्रदीप उतरते हैं पर फूल दीपक को नहीं देख कर छिप जाती है . उसे मंजू माई ( छाया कदम ) के प्लेटफार्म स्टाल में काम मिलता है और रहने के लिए छोटू ( सत्येंद्र सोनी ) की झोपड़ी .
उधर दीपक को गलत बहू ले कर आने के लिए अपने घर में खरी खोटी सुनना पड़ता है . दीपक पुलिस के पास भी जाता है . जया अपना गलत नाम पुष्पा और गलत पता बताती है . पुलिस इंस्पेक्टर श्याम मनोहर ( रवि किशन ) को पुष्पा पर शक होता है . उसकी शादी के कार्ड से उसका सही नाम और पता देख कर वहां की पुलिस से भी तहकीकात करने के लिए कहता है . पुष्पा की जेठानी एक चित्रकार है जिससे वह फूल का चित्र बनवा कर सभी जगह दीवारों पर उसकी गुमशुदा होने की नोटिस और फोटो लगवाती है . वह फोटो प्रदीप भी देखता है और वहां का इंस्पेक्टर भी मनोहर को भेजता है . फोटो में मोबाइल नंबर भी होता है हालांकि वह सिम पुष्पा फेंक देती है . इधर फूल नोटिस देख कर दीपक के गाँव लौटती है .
इधर प्रदीप भी जया ( पुष्पा ) को लेने मनोहर के थाने में आता है और उस पर गहने चोरी का दोष लगता है . . पुलिस पुष्पा को गिरफ्तार कर लाती है . दरअसल प्रदीप को जया से कोई मतलब नहीं है वह तो उसके गहने चाहता है . वहां जया को थप्पड़ मारता है और उसे साथ ले जाना चाहता है . पुष्पा ने बताया कि वह आगे पढ़ना चाहती थी पर उसकी शादी जबरदस्ती प्रदीप से कर दी गयी है . प्रदीप की पहली पत्नी की मौत जलने से हुई थी , जया को शक है कि कहीं उसे जला कर तो नहीं मारा गया . जब उसने थाने में सच्ची कहानी बताई तब थानेदार को भी उस पर दया आयी . हालांकि मनोहर को शुरू में कुछ लालची दिखाया गया है पर सच जानने के बाद पर प्रदीप को दहेज़ और जया के प्रति डोमेस्टिक वॉयलेंस और अन्य धाराओं में गिरफ्तार करने की धमकी देता है . उसने कहा कि जया वयस्क है और उसकी मर्जी के विरुद्ध उसे नहीं ले जा सकता है . दीपक को फूल मिल जाती है और जया पढ़ने के लिए देहरादून जाती है .
फिल्म का निर्देशन लाजवाब है . फिल्म के सभी कलाकार नए और अपरिचित हैं एक रवि किशन को छोड़ कर . सभी नए कलाकारों ने अच्छा अभिनय किया है मानों कहानी उन्हीं के लिए लिखी गयी हो . पूरी कहानी दो गाँवों के इर्द गिर्द घूमती है , कहीं भी शहर का दृश्य नहीं मिलेगा . सभी किरदार गाँव के ही लगते हैं . कहानी का आधार , दुल्हन का घूंघट और गाँवों में विदाई के समय एक समान दिखने वाली लाल चुनरी है , को बहुत सुहावने रूप से बनाया गया है . प्रतिभा और नीतांशी दोनों का दुल्हनों का रोल सराहनीय रहा है . थानेदार रवि किशन का अभिनय धमाकेदार रहा है . सिंगल वुमन की छोटी सी भूमिका में छाया कदम का अभिनय भी शानदार है . लगता है फिल्म के निर्माण और निर्देशन में कहीं कुछ कमी नहीं रही है .
यह फिल्म एक मस्ट वाच मूवी है . इसे आप OTT पर देख सकते हैं . सम्भव है इसे देख कर आपको उम्मीद से ज्यादा ख़ुशी मिले . बहुत कम खर्च में बनी यह एक आश्चर्यजनक रूप से बेहतरीन मूवी है . हाँ इस मूवी में ग्लैमर , तथाकथित सुपरस्टार एक्टर्स ,पश्चिमी धुनें और आइटम सांग या जिस्म का प्रदर्शन नहीं मिलेगा . लापता लेडीज मूवी मार्च 2024 से नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है .
मूल्यांकन की दृष्टि से निजी आकलन 10 में 9 है .