Amavasya me Khila Chaand - 20 in Hindi Fiction Stories by Lajpat Rai Garg books and stories PDF | अमावस्या में खिला चाँद - 20

Featured Books
Categories
Share

अमावस्या में खिला चाँद - 20

- 20 -

         दूसरे दिन कान्हा की अन्त्येष्टि से पहले मुक्ता को व्हीलचेयर पर घर लाया गया। माँ आख़िर माँ होती है! बच्चा कैसा भी रहा हो, उसके मृतक शरीर को देखकर कोई भी माँ अपना आपा खो बैठती है। कान्हा के मृत शरीर को सामने पड़ा देखकर मुक्ता दहाड़े मारकर विलाप करने लगी। बार-बार उठने का प्रयास करने लगी। प्रवीर कुमार ने व्हीलचेयर पकड़ी हुई थी। नवनीता ने मुक्ता को व्हीलचेयर से उठने से रोके रखा। बड़ी मुश्किल से मुक्ता को वहाँ से घर के अन्दर ले जाया गया। आँसुओं के बहने की भी सीमा होती है। दूसरे, स्वयं की ही नहीं, अपने पति और बेटी की भी सुध लेनी थी। मुक्ता ने धोती के पल्लू से आँखें पोंछी और शीतल को कहा - ‘बेटे, कान्हा को नहलाने के लिए अपने पापा और प्रवीर को बाल्टी आदि देकर आओ।’ 

           इस प्रकार कान्हा की अन्तिम यात्रा की तैयारी की जाने लगी।

         कॉलेज से आए हुए शीतल के सहकर्मी तो प्रिंसिपल सर के साथ श्मशान से ही वापस लौट गए थे, किन्तु प्रवीर कुमार मुरलीधर तथा पड़ोसियों के साथ घर आया, क्योंकि नवनीता घर पर थी। 

          प्रवीर कुमार ने जब शीतल को कहा कि तुम्हारी भाभी को ‘उठाले’ तक यहाँ छोड़ जाता हूँ तो पास ही खड़े मुरलीधर ने कहा - ‘नहीं बेटे, बहू को यहाँ छोड़ने की ज़रूरत नहीं। छोटे बच्चों को बहू के बिना सम्भालना तुम्हारे लिए मुश्किल होगा।’ 

         शीतल ने भी मुरलीधर की बात का समर्थन किया तो उसने बात को आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा।

        सोने से पूर्व शीतल ने कान्हा की मृत्यु का समाचार फ़ेसबुक पर डाल दिया। सुबह उठी तो सहज स्वभाव उसने मोबाइल उठाकर देखा। कुछ परिचितों ने उसके दु:ख में दु:ख जताते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए परमपिता परमात्मा से प्रार्थना की थी तो कुछ आभासी मित्रों ने अंग्रेज़ी में ‘आरआईपी’ अर्थात् ‘शान्ति से विश्राम करें’ लिखकर अपनी संवेदना प्रकट की थी। बहुत से आभासी मित्रों ने तो बिना किसी तरह की संवेदना व्यक्त करते हुए केवल ‘लाइक’ आइकन को ही टच किया था। वह सोचने लगी, हमें इस आभासी दुनिया ने कितना संवेदनहीन बना दिया है! ‘आरआईपी’ लिखने वाले लोगों को यह भी नहीं पता कि मृत शरीर को जिन समुदायों में दफ़नाने की रीति है, वे दफ़नाने के पश्चात् प्रार्थना करते हैं कि मृत व्यक्ति शान्ति से विश्राम करे, जबकि हिन्दू परम्परा में तो शव को अग्नि के सुपुर्द किया जाता है। आत्मा अजर अमर है, उसके लिए तो यही प्रार्थना बनती है कि प्रभु उस आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। उसे उन लोगों पर ग़ुस्सा भी आया जिन्होंने इस पोस्ट को ‘लाइक’ भर  किया था।

        वह स्नान करने के बाद पापा को नाश्ता करवा रही थी कि मानसी का फ़ोन आया। उसने बताया कि उसे फ़ेसबुक से कान्हा की मृत्यु का समाचार पता चला। उसने दु:ख जताते हुए शीतल को सांत्वना दी। धन्यवाद करने के बाद शीतल ने पूछा - ‘मानसी, तुम्हारी लाइफ़ कैसी चल रही है तो उसने उत्तर दिया - ‘शीतल, यह समय तो नहीं है ऐसी बात करने का, लेकिन जब तुमने पूछ ही लिया है तो बता दूँ कि मुझे मेरा प्रिंस चार्मिंग मिल गया है और मैं जल्दी ही शादी करने वाली हूँ।’

        क्षण भर के लिए अपना दु:ख भूलकर शीतल ने कहा - ‘अरे, यह तो बहुत अच्छी खबर दी है तूने। मेरी बधाई स्वीकार करो।’

*****