Shoharat ka Ghamand - 64 in Hindi Moral Stories by shama parveen books and stories PDF | शोहरत का घमंड - 64

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शोहरत का घमंड - 64

आलिया के घर में सभी खाना खा रहे होते हैं। आलिया का अपनी बुआ जी के साथ बैठ कर खाने का मन बिल्कुल भी नही करता है, मगर मजबूरी में उसे उनके साथ बैठना पड़ता है।

खाना खाते खाते बुआ जी बोलती है, "तीन तीन बेटी के रहते हुए तुम दोनों के मुंह से निवाला केसे उतर सकता है, भगवान ने हमे एक ही बेटी दी और तीन तीन बेटे, मगर हमे उस एक लड़की के चक्कर में अपना होश नही रहता था की केसे इसकी शादी होगी कहा से इतना सारा दहेज का इंतजाम करेंगे, और तुम्हारे पास तो कोई बेटा भी नही है और ऊपर से तीन तीन बेटी है और तो और तुम तो अब कुछ कर भी नहीं सकते हो और जिंदगी का क्या भरोसा है, अगर कल को तुम दोनो को कुछ हो गया तो फिर क्या होगा इन तीनों का कुछ सोचा है "।

तब आलिया के पापा बोलते हैं, "दीदी अब मेरे हाथ में कुछ भी नही है जो मै अपनी मर्जी से कर दू, और मुझे भी कोई शोक नही है यू बिस्तर पर पड़े रहने का "।

तब बुआ जी बोलती है, "वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो तुम्हे मुझ जैसी बहन मिली है जिसे तुम्हारी इतनी फिक्र रहती हैं सुबहो शाम, तभी तो इतना अच्छा रिश्ता बताया है मेने तुम्हे "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "अच्छा रिश्ता, कहा से आपको अच्छा रिश्ता लग रहा है वो दीदी, एक तो वो शादी शुदा है ऊपर से पता नहीं कितने बच्चों बाप है और उसकी उम्र भी आलिया से बहुत ज्यादा है "।

तब बुआ जी बोलती है, "तुम्हे उसकी उम्र और बच्चे नजर आ रहे हैं, तुम्हे ये नजर नही आ रहा है कि वो कोई दहेज नही ले रहा है, यहां पर लोगो की एक बेटी की शादी करने मे ही कमर टूट जाती है और तुम्हारी तो तीन तीन है और ऊपर से पेसो का कोई ठिकाना भी नहीं है "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "दीदी हमारी बेटियां हम पर बोझ नहीं है और हम इन्हे पढ़ा लिखा कर इतना काबिल कर देंगे की इन्हे दहेज की कोई जरूरत नही होगी और, वैसे भी दहेज लेना और देना कोई अच्छी बात नहीं है, एक तो हम अपनी बेटी को जो हमारे कलेजे का टुकड़ा होती हैं, उसे दूसरों को देते है"।

तभी बीच में बुआ जी बोलने लगती है, "ओ तुम्हारी बेटी कोई हूर की परी नही है जिसकी शक्ल देख कर लोग इससे शादी कर लेंगे और वैसे भी आज कल शक्ल और सूरत कोई नहीं देखता है, सब बस दहेज़ देखते हैं दहेज की लड़की को कितना दहेज मिल रहा है, फिर चाहें लड़की काली हो, छोटी हो,मोटी हो कोई फर्क नही पड़ता है "।

तब आलिया की मम्मी बोलती है, "दीदी मेने आपको उसी दिन मना कर दिया था की मै उस आदमी से अपनी बेटी की शादी नही करवाऊंगी, चाहें मुझे जिंदगी भर अपनी बेटी को घर में ही क्यो ना रखना पड़े "।

तब बुआ जी बोलती है, "ये बड़ी बड़ी बाते बोलने में बहुत ही अच्छी लगती है, मगर जब लोग ताना देना शुरू करते हैं ना, तक अक्ल ठिकाने आती हैं और वैसे भी मैं तुम से बात नही कर रही हू, मैं तो अपने भाई से बात कर रही हू और मेरे भाई की बेटी पर भी मेरा उतना ही अधिकार है जितना की मेरे भाई का..............