Pehla Pyar - 7 in Hindi Love Stories by Kripa Dhaani books and stories PDF | पहला प्यार - भाग 7

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पहला प्यार - भाग 7

इसाबेला को फौरन अस्पताल पहुँचाया गया, पर बचाया न जा सका। ज़िन्दगी के आखिरी लम्हों में मैं उसके साथ थी और उस वक़्त उसकी ज़ुबान पर आपका ही नाम था राज। उसके आखिरी शब्द थे – “मैं चाहती हूँ कि राज ख़ुश रहे और तुम उसे ख़ुश रख सकती हो बेला, क्योंकि उसकी ख़ुशी है - बेला!”


उस वक़्त उसके इन शब्दों का मतलब मुझे समझ नहीं आया।उसके जाने के दो दिन बाद मैंने उसका कॉलेज बैग देखा, जो मेरे पास रह गया था। उसमें मुझे उसका ख़त मिला, जो उसने आपको लिखा था। उस ख़त में उसने वो बातें लिखी थी, जो उसने न आपको बताई थी न मुझे। वह आपको लिखने वाले ख़त में अपना पूरा नाम ‘इसाबेला’ न लिखकर सिर्फ़ ‘बेला’ लिखा करती थी। उसकी माँ उसे 'बेला' पुकारा करती थी। घर का पता मेरा था, जहाँ आपका ख़त आया करता था और मेरा नाम ‘बेला’ था। इस वजह से आपको लगता कि आप बेला शुक्ला को ख़त लिखा करते हैं। ये बात इसाबेला ने आपको कभी बताई नहीं। पता नहीं क्यों, पर शायद उसे डर था कि कहीं उसका नाम आपके और उसके रिश्ते के बीच न आ जाये, क्योंकि नाम बस नाम ही तो नहीं होता। नाम के साथ कितने ही सामाजिक बंधनों की ज़ंजीर हमें जकड़े हुए होती है। हालांकि कई बार उसने आपको सब कुछ बताना चाहा, पर बता नहीं पाई। मगर जब आपने उससे प्यार का इज़हार कर फोटो भेजी, तो उसने अपने आखिरी ख़त में सारा सच लिख दिया, सिवाय इस एक सच के कि वो आपसे प्यार करती है। वो जानती थी कि धर्म की दीवार आप दोनों के प्यार के बीच आयेगी। इसलिए अपने आखिरी ख़त में उसने लिखा था कि आप उसके लिए एक अच्छे दोस्त हैं और मरते दम तक रहेंगे। मगर वह उस ख़त को भेज नहीं पाई। उसके पहले ही वह दुनिया छोड़कर चली गई।


मैं उसके घर से आपके सारे ख़त के आई और एक-एक कर सारे ख़त पढ़ डाले। आपका आखिरी ख़त भी पढ़ा और आपकी फोटो भी देखी। उस ख़त को पढ़कर मुझे इसाबेला की ख़ुद से कही आखिरी बात याद आई –


‘मैं चाहती हूँ कि राज ख़ुश रहे और तुम उसे ख़ुश रख सकती हो बेला, क्योंकि उसकी ख़ुशी है - बेला!’


और तब मुझे उस बात का मतलब समझ आया। मैंने आपके ख़त के जवाब में अपनी फोटो भेज दी। कुछ दिनों बाद आपके माँ-बाबा ने आकर आपके लिए मेरा हाथ मांगा और हमारी शादी हो गई।


मैंने आपसे शादी कर ली, क्योंकि मैं अपनी सहेली की आखिरी ख्वाहिश का मान रखना चाहती थी। मेरी वजह से उसकी जान गई थी, मैं उसकी गुनहगार थी। मेरी ग्लानि ने भी मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था। पत्नी के तौर पर मैंने हर तरह से आपको ख़ुश रखने की कोशिश की, लेकिन ये सच है राज कि मैं आपकी दोस्त नहीं, मैं आपका प्यार नहीं। बल्कि मैं वो हूँ, जिसने आपकी दोस्त और आपका प्यार छीन लिया है। मैं आपकी भी गुनहगार हूँ राज़!


आज ही के दिन इसाबेला इस दुनिया से गई थी। आज आपका जन्मदिन भी है।


मैंने ये सच इतने महीनों से अपने दिल में छुपाकर रखा है। पर सच कहूं, मैं एक पल को भी चैन से नहीं रह पाई हूँ। आप मुझ पर जो प्यार लुटाते हैं, वो मेरे हिस्से का नहीं है राज़। मैं आपके प्यार के क़ाबिल नहीं हूँ। इसलिए मैं जा रही हूँ...आपसे दूर...हमेशा के लिये।


क्रमश: