शोरगुल बढ़ने लगा।
ऐसा लग रहा था कही आसपास झगड़ा लड़ाई हो रही हो रही थी। सुबह 10 बजे का समय था। गांव के सभी बच्चे जो पढ़ते है, स्कूल जा चुके थे।
औरते दोपहर के खाने की तैयारी मे लगी थी। घरों के पुरुष कुछ खेतों की ओर चले गये थे। बरगद के नीचे बने चबूतरे पर बुजुर्गो की चौपाल लगी थी।
सब अपनी बीती या फिर गांव के ही विषयों पर चर्चा करने मे व्यस्त थे। शोर शराबा बढ़ता ही जा रहा था। अब तो किसी पुरुष की रोने की आवाज भी तेज होती जा रही थी।
बरगद के नीचे बैठे बुजुर्गों के कान आवाज की ओर टिके थे। उन्ही मे से एक ने कहा- लगता है आज फिर मुरली को मारपीट रहे है उसके बच्चें (लम्बी सांस लेकर फिर बोला) क्या जमाना आ गया है, जब औलाद ही ऐसा करेंगी तो क्या होगा बुढ़े माँ बाप का ।
उन्ही मे से दूसरे ने कहा- मनोहर भईया, मुरली की यह दशा तो आये दिन होती है, अच्छा होता कि भगवान मुरली को उठा लेते।' ऐसा कहते हुये उसके झुर्रीदार चेहरे पर दर्द थम। का समुन्दर उफान मार रहा था।
वो सभी बुजुर्ग उठें और उधर ही बढ़ गयें जिधर से मुरली की अवाज आ रही थी।
मुरली के पड़ोसी तमाशाई बने, इकट्ठा भीड़ का ही हिस्सा थे। बस सब मूक दर्शक बने तमाशा देख रहे थे।
उन्ही मे से कुछ कानाफूसी कर रहे थे कि ये तो इनका रोज का नाटक है। कोई मुरली के प्रति सहानुभूति दर्शा लच्छेदार बातें कर रहा था तो कोई उसके परिवार को ठीक बता रहा था।
मनोहर नाम का बुजुर्ण तमाशा बीनों के बीच से आगे बढ़ा। उसने देखा--चालीस साल का मुरलीधर जमीन पर पड़ा था और उसकी बीबी चमेली जिसकी उम्र 38 वर्ष के आसपास थी, और उसके दोनों बेटे बनवारी(18) और बिहारी (17) और बड़ी बेटी अनीता (20), लात घूंसों और डंडे से मुरली को पूरी निर्लज्जता से धोबी के गधे की तरह पीटे जा रहे थे।
छोटी बेटी मधु (16)पिता को छुड़ाने की जद्दोजहद कर रही थी मनोहर ने उन सभी को डपटते हुये मुरली को छुड़ाया था।
"अरे कोई जानवरो की तरह मारता है क्या, अरे बाप है तुम्हारा, शर्म नहीं आती तुझे भी , बच्चों को समझाने और रोकने के बजाय खुद तू अपने पति को मार रही है। ही: तुम लोगों को नरक में भी जगह नहीं मिलेगी।
मनोहर नाम का बुजुर्ग बुरी तरह विफर गया, उसका चेहरा क्रोध की ज्यादती से सुर्ख हो उठा था और शरीर भी कांप रहा था।
मुरली की नाक से खून बह रहा था, चेहरा चोट से कई जगह काला पड़ चुका था। यदि शरीर से कपड़े हटा कर देखा जाता तो शायद शरीर का पर भी चोट की कालिमा दिखने लगती । छोटी बेटी अपने घायल पिता से चिपट कर फफक-2 कर रो रही थी।
मनोहर ने मुरली से पूछा था- "क्या हो गया था मुरली ।"
कुछ नही मनोहर काका.. (सुबकते हुये) मैं खेत से लौटा था, तबियत ठीक नही लग रही थी बुखार था कल दोपहर से, खाना भी नही दिया था इसने , मैने इससे बोला की दवा दे दें, कुछ खाने को दे दे ताकि खाना खा कर दवा खालूं खेतों मे पानी लगाना है।
क्रमशः......