भाग–२३
राजीव नशे ने चूर था।मैने उसे बेड पर लेटा दिया ।
राजीव ने नशीली आवाज में धीरे से कहा "कीर्ति"
मेरी धड़कने तेज हो गई। उसकी नशीली आवाज मेरे कानों से होते हुए सीधे दिल में लग रही थी।
"हां"
"वैशाली कह रही थी तू मुझसे प्यार करती है, क्या सच में तू मुझे चाहती है?"
"राजीव सो जाओ चुपचाप।"
"जानती है कीर्ति , वैशाली के अलावा में किसी से प्यार नहीं कर सकता , घर में सब मेरी शादी करवाना चाहते है। मैं शादी नही करना चाहता । मैं अब किसी और से प्यार नहीं कर पाऊंगा" उसने लड़खड़ाते शब्दों में जैसे तैसे अपनी बात पूरी की।
उसकी बातें दिल में तीर की तरह लग रही थी।
"किट्टू" उसने ये नाम लेकर मेरे बालों की लट को मेरे कान के पीछे धकेल दिया।
मैं उसके स्पर्श से हिल गई थी। हृदयगति सामान्य से 4 गुना थी। शरीर में अजीब सी हलचल होने लगी। ऐसा पहले कभी नही हुआ था।
"आई लव यू" उसने कहा।
मेरी तो कुछ भी समझ नही आ रहा था ये क्या कह रहा है। परंतु मुझे ये शब्द सुनकर बहुत खुशी महसूस हुई । लेकिन अगले ही पल वो कहीं खो गई।
"आई लव यू वैशू" राजीव ने कहा ।
वैशाली का नाम सुनकर मैने खुद को उससे दूर करने की कोशिश की।
तो उसने मुझे पकड़ कर अपने पास खींच लिया ।
"राजीव , छोड़ो मुझे, संभालो खुद को , मैं वैशु नही कीर्ति हूं ,तुमने पी रखी है राजीव । सो जाओ" मैने कसमसाते हुए उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करते हुए कहा ।
उसने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथो में भर लिया । और मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए ।मेरे दिल की धड़कने रुक सी गई।और मेरी आंखे बंद हो गई।
मैं उसे अब नही रोक पा रही थी । क्योंकि कहीं न कहीं मैं हमेशा से उसके प्यार के लिए तरसी थी। आज वो प्यार वो मुझ पर लूटा रहा था । और मैं उसे लूट लेना चाहती थी। या यूं कहे कि मैं उसपर लुट जाना चाहती थी ।मैं उसके एक दिन के प्यार को अपनी जिंदगी भर की कमाई बना कर अपने साथ रख लेना चाहती थी। मैने खुद को ढीला छोड़ दिया ।
नशा तो उसने किया था लेकिन चढ़ मुझे रहा था।
"राजीव" मेरी नशीली आवाज से मैने उसे पुकारा।
उसने मुझे बाहों में भर लिया । और मुझे बिस्तर पर लेटा दिया । मेरे गले पर और होठों पर किस करते हुए वो मेरी कमर चूमने लगा।
मैं मदहोश होने लगी उसके प्यार में । जानती थी ये प्यार मेरे नही वैशाली के हिस्से का है । लेकिन मुझे उसके इस प्यार की जरूरत थी। उसने मुझे बाहों में लिया और अचानक से ढीला पड़ गया।
मैने जब देखा तो वो सो चुका था या शायद नशे से बेहोश हो चुका था ।मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लेटा दिया । लेकिन आज फिर उसका प्यार पाने से वंचित हो गई । आज जो भी होता मैं उसके लिए तैयार थी। यहां तक कि मैं भी अब शादी नही करना चाहती थी जीवन में कभी भी । मैं उसके प्यार के सहारे जी लेना चाहती थी सारी जिंदगी।
वो तो सो गया था लेकिन मैं शरीर में उठी झनझनाहट से बेचैन हो रही थी । मैं सो नही पा रही थी। आज फिर मैं राजीव को खो चुकी थी। नशे में उसने बताया था कि वो शादी नही करना चाहता है। इसलिए मैं अब उससे शादी नही करना चाहती थी । मैं उसकी जिंदगी में बोझ नहीं बनना चाहती थी। उसकी दोस्ती को नही खोना चाहती थी। उसे दोस्त के रूप में साथ रखना ही मेरे लिए काफी था ।मैं जाकर सम्राट अंकल को शादी के लिए ना कह दूंगी।
सोचते सोचते ना जाने कब मैं सो गई। सुबह राजीव की आवाज से नींद खुली, "आह, किट्टू, यार बहुत सिरदर्द हो रहा है कोई टैबलेट हो तो दे यार"
मैने उसे पैन किलर दी, और फ्रेश होने चली गई।
कुछ देर में वह अच्छा महसूस कर रहा था।"
राजीव को याद ही नहीं था कि रात उसने क्या किया था। या शायद वो अनजान बन रहा था । कई बार मैं समझ नही पाती थी राजीव अनजान है या बन रहा है।
दिल्ली घूमे?"राजीव ने तैयार होकर पूछा।
"राजीव मुझे घर जाना है"
"लेकिन क्यों?"
"बस यूंही तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही मैने उससे कहा "
"डॉक्टर को दिखा दे?"
"नही राजीव , बस घर जाना है"
"अजीब हो तुम"
"जिस काम से आए थे हो गया न? अब चलते है ।"
हमने टिकट्स बुक की और रेलवे स्टेशन पहुंच गए ।
ट्रेन आई और हम उसमे चढ़ गए ।
"राजीव , कल कहां गया था और क्या हुआ था?"कुछ देर की चुप्पी के बाद मैने उससे पूछा।
"कुछ नही किट्टू"
"वैशाली से मिला था?"
"नहीं तो"
मैं समझ गई कि ये मुझसे कुछ छुपाना चाहता है। अब मेरा उससे कुछ पूछने का दिल भी नही किया । मैं फिर खामोश हो गई ।
सफर खामोशी में ही कट गया। हम लोग घर आ चुके थे।
क्या छुपा रहा था राजीव? क्यों आई थी वैशाली ?क्या राजीव जानबूझ कर मेरी भावनाओं के साथ खेल रहा था?