children's gang in Hindi Motivational Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | बच्चों की टोली

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बच्चों की टोली

1. बदमाश बच्चों की टोली

एक छोटे से गाँव में रहने वाले कुछ बच्चे अक्सर विद्यालय नहीं जाते थे। वे शैतान और बिगड़ैल बच्चे अनीश और उसके मित्रों को विद्यालय आते - जाते समय अक्सर परेशान करते थे। अपनी इस समस्या के बारे में अनीश ने विद्यालय में गुरु जी से कहा। गुरु जी ने पूरी बात सुनी और बड़े प्यार से समझाया - "बच्चों! आप सभी ने महात्मा बुद्ध की कथा सुनी है?" बच्चे बोले - "हांँ, गुरुजी!"
"तो उनके जीवन के उस प्रसंग से तुम सभी को सीख लेनी चाहिए। किसी ग्रामीण ने अकारण ही महात्मा बुद्ध को भद्दी - भद्दी गालियांँ दीं, लेकिन महात्मा बुद्ध मुस्कुराते रहे। इस तरह वह व्यक्ति उनसे प्रभावित हो गया और उनका शिष्य बन गया। इसी तरह ये गांँव के नटखट बच्चे, जिन्हें अच्छे - बुरे की पहचान नहीं है। एक दिन यह बच्चे अपनी ग़लती समझेंगे और शैतानी छोड़ देंगे, बस! तुम बिना क्रोध किये शान्त रहना।"
उस छोटे से गाँव के अलावा कुछ और पड़ोस के गाँवों से भी बच्चे यहाँ पढ़ने आते थे। विद्यालय गाँव के अलग छोर पर बना होने के कारण अन्य गाँवों के बच्चे पूरा गाँव निकलकर विद्यालय तक पहुँचते थे, तब तक पीछे - पीछे उन शैतानों की पूरी टोली अनीश और उसके मित्रों को न जाने क्या - क्या कहकर चिढ़ाती थी?
रोज की तरह गाँव में घुसते ही इन बच्चों के पीछे - पीछे शैतान टोली शोर मचाते हुए चल रही थी। गांँव के बीच बड़ा सा नाला था। उनमें से एक बच्चे को दो - तीन कुत्तों ने दौड़ा लिया। डर के मारे सभी बच्चे इधर - उधर भागने लगे। उनमें से एक बच्चा उसी नाले में गिर गया। सभी बच्चे अपनी - अपनी जान बचाकर भागे। तब विद्यालय आ रहे बच्चों ने बहादुरी का परिचय दिया और उस बच्चे को नाले से बाहर निकालकर उसे चुप कराया और सभी उसे उसके घर पहुंँचा आये। उसी गाँव के शैतान बच्चे ये सब देख रहे थे और अपने ही मन में ग्लानि से दबे जा रहे थे। जिन लोगों को वे अकारण रोज परेशान करते थे, उन्होंने ही आज उनके साथी की सहायता की थी। सबको अपनी करनी पर पछतावा हो रहा था।
विद्यालय से छुट्टी के समय वापस आते समय शैतानी टोली सिर झुकाये खड़ी थी। तभी अनीश और उसके साथियों को गुरुजी की बात याद आयी। विजयी मुस्कान लिए वे सब अपने घर की राह चलते चले गये।

संस्कार सन्देश :-
हमेशा करो अच्छे काम, बुरे काम का बुरा परिणाम।
क्षमावान हो सदा बलवान। सब वेदों का एक ही ज्ञान।।

2.
कुछ देर बैठ गया मैं भी, रईसों की महफ़िल में,
ऊंचे - ऊंचे ख्वाबों ने, मेरा चाल - चलन बदल दिया,

अब डरता हूं मैं, लोग गरीब ना समझ ले मुझको,
गरीबों की दोस्ती को मैंने, अमीरों में बदल दिया,

जब लगने लगा, मुझे, मेरा‌ लिबास और पोशीदा,
मेरे फटे लिबास को, शीशे के फरेब ने बदल दिया,

अब नींद ने भी आना छोड़ा, मेरे कच्चे मकान पर,
जब आंख लगी तो, मलबे को महल में बदल दिया,

3.
हर शाख पे बैठने वाले पंछी
किसी दिन किसी शिकारी के चंगुल में आ ही जाते हैं।