The Missed Call - 10 in Hindi Love Stories by vinayak sharma books and stories PDF | द मिस्ड कॉल - 10

Featured Books
Categories
Share

द मिस्ड कॉल - 10

पहली मुलाक़ात
 

जैसे ही मैंने फोन रखा था मुझमें एक अलग ही उत्साह था। मेरा चेहरा एक अलग ही परिभाषा कहने को बेताब था। मेरी चाल में हर तरह का रंग देखने को मिल रहा था। कोई भी मुझे देखकर यह कह देता कि मैं नोर्मल से कुछ अलग ही व्यवहार कर रहा हूँ। 

 एक-एक दिन मेरे लिए बिताना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। मैं जब कोयल को फोन करता था तो वो ये कहके फोन रख देती थी कि सारी बातें अभी ही खत्म कर दोगे तो मिलने पर क्या बात करोगे? मैं चाहता था कि उससे बात ही करता रहूँ पर ऐसा हो नहीं पा रहा था। मैं बहुत ही ज्यादा बेसब्री से उस दिन का इन्तजार करने लगा था जिस दिन मैं कोयल से मिलने वाला था। मैंने उस दिन छुट्टी ले रखी थी। और आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मैं और शायद कोयल भी उतना ही बेताबी से इन्तजार कर रही होगी जितना कि मैं।

 हमदोनों तयशुदा जगह पर मिले और उसने मुझे देखते ही पहचान लिया। चूँकि मैंने उसे कभी नहीं देखा था और वो इतनी ज्यादा खूबसूरत थी कि मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि मैं इतनी ज्यादा खुबसूरत लड़की से मिलने आया हूँ। एक बार को तो मैं यह मान भी लेता लेकिन ये मानना मुश्किल हो रहा था कि इतनी खुबसूरत लड़की मुझसे मिलने आई है।

 मैं पूरी तरह तैयार होकर गया था। चूँकि मेरी देह थोड़ी अच्छी थी और रंग रूप उतना ज्यादा अच्छा न होने के बावजूद मुझपर कपड़े जँचते थे, इसलिए मुझे कपड़े का चयन करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मैंने नीले रंग की एक पूरी बाँह वाली शर्ट पहन रखी थी, जिसे मैंने दोनों बाजुओं को केहुनियों से थोड़ा नीचे तक मोड़ रखा था। नीचे मैंने एक चलताऊ जींस पहन रखी थी और पैरों में इम्प्रैशन जमाने के लिए मैंने वुडलैंड का जूता पहन रखा था। इसे इम्प्रैशन जमाने के लिए न कहें तो वो ज्यादा उचित होगा, क्योंकि मेरे पास इस जूते के अलावा कोई और जूता था भी नहीं। मैं जहाँ कहीं भी जाता था, यही जूता पहन कर जाता था। बहुत दिनों से एक स्पोर्ट्स शू पहनना चाहता था, मगर खरीद नहीं पा रहा था। 

 मैंने बाल थोड़े बड़े रख रखे थे, जो मेरे चेहरे पर सूट करते थे। मैंने अपनी दाढ़ी और बिना दाढ़ी वाली तस्वीर का कई बार तुलनात्मक अध्ययन किया और यह पाया था कि फुल शेव के बाद मेरा चेहरा ज्यादा अच्छा दिखता है। इसलिए मैंने फुल शेव कर रखा था। अपनी तरफ से कुल मिलाकर मेरी यही तैयारी थी और क्या बोलना है यह मुझे पता नहीं था। रास्ते में मैंने कई बार यह सोचा भी था कि मिलकर क्या बोलेंगे मगर समझ नहीं आया। मैं जानता था कि फोन पर इतनी ज्यादा बातें हो चुकी हैं कि एक बार अगर बात की शुरुआत हो जाती है तो फिर बात तो हो ही जायेगी।

 मेरी इस दुविधा को भी कोयल ने ही दूर कर दिया और मिलने के साथ उसने मुझे पहचान तो लिया ही साथ में कहा, “हाय, कैसे हो?” इतना पूछते हुए उसने अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिए बढ़ा दिया।

 मैं जानता था कि वो मुस्लिम है और मेरे मन में उसकी एक अलग ही तस्वीर बनी हुई थी कि वो एक अलग ही तरह के लिबास में आएगी, जिसमें उसका शरीर पूरी तरह से ढँका होगा और बाल तो पक्का उसने ढँक रखे होंगे। मगर ऐसा बिलकुल नहीं था।

 उसने जींस पहन रखी थी। उसके ऊपर उसने एक काले रंग का बहुत ही सुन्दर कुरता डाल रखा था। या ये हो सकता है कि कुरते को कोयल ने पहन रखा था इसलिए कुरता ज्यादा सुन्दर लग रहा था। मैं कोयल को अपलक निहारते रह गया। वाकई में मैंने इतनी सुन्दर लड़की इतने नजदीक से नहीं देखा था।

 कोयल ने मुझसे कहा, “कुछ बोलोगे भी?” तब मुझे ध्यान आया कि मैं कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। यहाँ तक कि मैंने उसे उसके हाय का जवाब तक भी नहीं दिया था।

 “हाय कैसी हो?” मैंने पूछा।

 “मैं ठीक हूँ। और सुनो मैं यहाँ ये फॉर्मल बातें करने नहीं आई हूँ श्याम, मुझे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी है। चलो कॉफ़ी शॉप के अन्दर चलते हैं।”

 हमदोनों कॉफ़ी शॉप के अन्दर गए। उसने हमारे लिए दो कॉफ़ी आर्डर किया। मुझे नहीं पता क्या फ्लेवर था उसका, क्योंकि मुझे कॉफ़ी के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। हम कॉफ़ी आने का इन्तजार कर रहे थे इतने में कोयल ने मुझसे कहा,

 “एक बात पूछूँ श्याम?” एकाएक उसके इस तरह से पूछने पर मुझे थोड़ा अजीब लगा। मुझे वो थोड़ी हड़बड़ी में भी लग रही थी। 

 “हाँ-हाँ, पूछो न।” मैंने भी उतनी ही जल्दबाजी में उत्तर दिया।

 “तुम मुझसे प्यार तो करते हो न?” मुझे यह सवाल बहुत ही ज्यादा अजीब लगा क्योंकि अभी तक हमने हाय हेल्लो के अलावा कोई भी बात नहीं की थी। सेकंड दो सेकंड तक तो मैं यह सोचता रहा कि कोयल को हो क्या गया है और वो ऐसे सवाल क्यों कर रही है और मैं इसका क्या जवाब दूँ।

 “हाँ, इसमें भी कोई शक है क्या?” जो सच्चाई थी वो मैंने कोयल के सामने रख दी।

 “तो फिर मुझसे शादी करनी होगी।” कोयल ने फिर से एक चौकाने वाली बात मुझे कह दी। 

 “कोयल तुम ठीक तो हो न?” 

 “क्या हुआ तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते? तुम हिन्दू हो और मैं मुस्लिम शायद इसीलिए; है न?” ये कोयल का ऐसा सवाल था जिसके बारे में मैंने सोचा ही नहीं था। मैंने सोचा नहीं था कि पहली ही मुलाक़ात में शादी की बात हो जायेगी। 

 मैंने अभी तक अपने घर में भी इस बाबत कोई बात नहीं की थी। मैंने सोचा था कि एक दो बार मिलने के बाद अगर बात थोड़ी आगे बढ़ेगी तो इस बारे में बात की जायेगी और इसकी सबसे बड़ी वजह यही थी जो कोयल बोल रही थी।

 “क्या हुआ तुम मुझसे शादी नहीं कर सकते न?” जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो कोयल ने मुझसे फिर से प्रश्न किया।

 “नहीं कोयल ऐसी बात नहीं है, तुम जब कहो, जहाँ कहो, मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ। मगर ये बताओ तुम सीधे शादी की बात क्यों कर रही हो? अभी तो तुम्हारी पढ़ाई आगे है।” मैंने बात को समझने के लिए बात के अन्दर घुसने का प्रयास किया।

 “हाँ आगे मेरी पढ़ाई तो है और मैं भी यही चाहती थी कि मेरी शादी मेरी पढ़ाई ख़त्म होने के बाद ही हो। मगर मेरे घर वाले मेरी शादी कर देना चाहते हैं और उन्होंने मेरे लिए जो परिवार देखा है वो एक टिपिकल फैमिली है। हो सकता है वो मुझे आगे पढ़ाई भी न करने दें। श्याम तुम मुझे बहुत पसंद हो, तुम्हारी सोच आज के हिसाब से है इसलिए तुम मुझे इतने पसंद भी हो। अगर तुम्हें दिक्कत है तो कोई बात नहीं।” बात खत्म करते-करते वो दुखी हो गयी थी।

 “कोयल मैंने तो कहा ही तुम जब बोलो मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ। मगर क्या तुम्हारे घरवाले इस शादी के लिए तैयार हैं?” 

 “हाँ श्याम मैंने अपने घर में बात की। पहले तो वो बिलकुल तैयार नहीं हो रहे थे, मगर जब मैंने तुम्हारे बारे में बताया तो मान गए। हाँ, उनकी एक शर्त यह थी कि मैं अपना धर्म परिवर्तन न करूँ।” 

 “कोयल यह तुम सोचना भी मत कि मैं तुम्हें कभी धर्म परिवर्तन के लिए कहूँगा। हाँ, मगर मेरे घर में रहोगी तो मेरे घरवाले हिन्दू रीतिरिवाज से रहेंगे उससे तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी?” 

“नहीं श्याम मुझे कोई भी दिक्कत नहीं होगी।”

“कोयल फिर मैं अपने घर वालों से बात करूँगा। क्योंकि मैंने अभी तक उनसे इस बारे में कोई बात नहीं की है। एक बार उनसे भी बात करना जरुरी है। मगर तुम डरना मत, अगर वो मान गए तब तो धूमधाम से नहीं तो फिर कोर्ट में शादी करने के लिए तैयार रहना मेरे साथ।” मैंने देखा मेरे इस जवाब के बाद कोयल की आँखों में एक अलग ही चमक थी। उसने मुझे शुक्रिया कहा। 

हमदोनों ने अपनी-अपनी कॉफ़ी ख़त्म कर ली थी।

“ठीक है श्याम तुम अपने घर में बात करके मुझे बताना कि वहाँ क्या माहौल है।”

“हाँ जरुर।” मैंने कहा, दोनों ने हाथ मिलाये और फिर अपने अपने रास्ते चले गए। 

 मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं इस बारे में अपने घरवालों से कैसे बात करूँ? न जाने उनका क्या रिएक्शन होगा? कोयल से बात करते हुए मैंने ये सोचा ही नहीं था कि बात इतनी जल्दी शादी तक आ जाएगी।