विनायक शर्मा
लेखक की बात
सबसे पहले तो आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आपने मेरी इस किताब का चयन किया। इस किताब में एक प्रेम कहानी है, जो श्याम और कोयल के बीच के प्रेम को दर्शाता है। प्रेम के अलावा इस किताब में कई पहलुओं को छूने का प्रयास किया गया है। समाज में हम किसी का भी मजाक किस हद तक बना देते हैं, किताब की शुरुआत के कुछ चैप्टर्स में आपको यह देखने को मिलेगा। किस तरह एक अननॉन कॉल आने के बाद श्याम और कोयल एक दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं, यह देखने को मिलेगा और जब वो शादी करना चाहते हैं तो किस तरह धर्म उनकी शादी के आड़े आता है। समाज के कई रूप दिखाती यह किताब आपको जरुर पसंद आएगी।
© Vinayak Sharma
भावना
अमोल ने अपना ग्रेजुएशन बहुत ही अच्छे अंकों के साथ ख़त्म किया था और फिर एक आदर्श हिन्दुस्तानी युवा की तरह वो भी सरकारी नौकरी पाने की जुगत में लग गया था। भारत के अन्य युवाओं की तरह उसकी भी ख्वाहिश थी कि वो एक कुर्सी पर बैठ कर काम करे, अपने माँ-बाप का नाम रौशन करे और कुछ लोग उसका सम्मान करें।
देश के अस्सी प्रतिशत युवा आज यही चाहते हैं कि कोई भी ऐसी सरकारी नौकरी उन्हें मिल जाए, जिसमें महीने की अंतिम तारीख को 40-45 हजार रूपये उनके अकाउंट में क्रेडिट होते रहें। एक टिपिकल मिडिल क्लास फैमिली का लड़का होने के नाते उसने भी अपनी आँखों में वही सपना सजा लिया और फिर दिन रात उसी के लिए मेहनत करने लग गया।
सामान्य वर्ग का होने के कारण उसे मेहनत थोड़ी ज्यादा करनी पड़ रही थी। मगर अमोल को किसी नुक्कड़ के कथित महापुरुष ने बचपन में ही ये अनमोल वचन कंठस्त करवा दिए थे कि, ‘अगर अपनी पूरी इमानदारी से मेहनत की जाए तो सफलता एक दिन जरुर कदम चूमती है।’ अमोल इस अनमोल वचन को हमेशा रटते रहता था। अमोल को ऐसा लगता था कि वो जब भी इन बातों को याद करता है तो उसे कुछ और ताकत मिल जाती है।
जिस साल उसका स्नातक ख़त्म हुआ था, उसी साल उसने एसएससी का भी एग्जाम दिया था। मगर कुछ नंबरों से वो प्री में ही पास नहीं हो पाया था। उसके एक-दो साथी बाजी मार गए थे। इन बातों से अमोल थोड़ा दुखी तो था, पर महापुरुष के अनमोल वचन को वो अपने अस्त्र की तरह इस्तेमाल करता था। अब उसे सफलता चाहिए तो उसे और ज्यादा मेहनत करनी थी। वो और ज्यादा मेहनत के साथ जुट गया और सचमुच उसने अगले साल सरकारी नौकरी पा ली।
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अमोल बचपन से लड़कियों से थोड़ा दूर रहता है, ऐसा दिखाने की कोशिश करता था। जब अमोल दसवीं में था तो उसे भावना नाम की एक लड़की बहुत ज्यादा पसंद थी। यह बात वो किसी से नहीं बताना चाहता था क्योंकि सभी उसकी भावना के साथ खेलने लगते। बहुत ही ज्यादा विश्वास के साथ उसने यह बात मुझे बताई थी।
उसने जब मुझे भावना के बारे में बताया था तो उसने सौ बार मुझसे कहा था कि यार किसी को नहीं बताना इस बारे में कि मैं भावना को पसंद करता हूँ। मैं हर बार हाँ में सर हिला देता था।
दरअसल जब हम नौवीं में थे, तभी हमारे क्लास का एक लड़का आदित्य कहीं से नोकिया 6600 फोन लेकर आया था। मोबाइल में वीडियो भी चल सकता है, यह हमें आदित्य ने ही बताया था। इससे पहले हम केवल टीवी या सिनेमा हॉल में वीडियो देखते आये थे। अमोल भी मोबाइल में गाने का वीडियो चलता देख ख़ासा उत्साहित था।
मगर आदित्य ने हमें एक और बात बताई कि जो चीज अब तक हम केवल सीडी या डीवीडी प्लेयर पर चलाकर देखते आये हैं, वो भी उसके मोबाइल में चल सकता है। उस छोटे से स्क्रीन पर इतनी बड़ी चीज देखके सभी उत्साहित थे, सिवाय अमोल के। जैसे ही आदित्य ने पोर्न शुरू किया, अमोल ने अपना सर दूसरी ओर कर लिया। उसे ये लगता था कि पोर्न देखना गलत बात है। तब से सभी दोस्तों में उसकी एक अलग ही छवि बन गयी थी।
अब जब उसे भावना शर्मा पसंद आ गयी तो बेचारा इसी लाज से किसी को नहीं बता रहा था कि सभी उसका भरपूर मजाक उड़ायेंगे। वह अपनी बात भावना से कहने में डरता था, लेकिन इसके बावजूद वह अपनी उठती-गिरती नजरें भावना तक जाने से नहीं रोक पा रहा था।
एक दिन आदित्य ने मुझसे कहा, “यार तुझे नहीं लगता कि अमोल और भावना में कुछ चल रहा है?” मैं आदित्य की बात सुनकर थोड़ा चौंक गया कि जो बात सिर्फ मेरे और अमोल के बीच में है, वो बात आदित्य कैसे जान गया? मैंने अपने चेहरे के भाव को थोड़ा बदला; हालाँकि आश्चर्य तो मुझे उसकी बात पर भी करना था, इसलिए मैंने आश्चर्य में डूबते हुए कहा, “ये क्या कह रहे हो तुम? अमोल और लड़की, ये संभव ही नहीं है!”
“अरे हाँ, वो तो मुझे भी पता है। लेकिन मैं इधर कुछ दिनों से देख रहा हूँ कि जहाँ भी भावना होती है, वहाँ अमोल जरुर होता है। और वो उसे कुछ अलग ही नजरों से देखता है।”
“अच्छा, मतलब तुम भावना पर इतना ध्यान दे रहे हो कि तुम्हें तुरंत ही इस बात का पता चल गया कि और कौन उस पर ध्यान दे रहा है! लेकिन जहाँ तक मुझे लगता है अमोल की भावनायें नियंत्रित होंगी। तुमने उसका हाल नहीं देखा था, जब तुमने अपने मोबाइल पर पोर्न चलाया था?” मैंने आदित्य को थोड़ा भटकाने की कोशिश की।
“हाँ इसीलिए तो मुझे बस थोड़ा-सा शक है। अगर अमोल को छोड़कर कोई और होता और वो इस तरह कर रहा होता, तब तो मैं पूरे यकीन के साथ यह कह सकता था कि वो भावना को लाइन मार रहा है। मगर अमोल थोड़ा सीधा लड़का है, इसलिए मुझे यकीन नहीं हो रहा कि वो भावना पर लाइन मार रहा है।”
“तुम बिलकुल सही कह रहे हो। वो जब भी उसके पास होगा, जरुर किसी न किसी काम से होगा। और अगर उसे देखा भी होगा तो किसी ख़ास मकसद से नहीं, बस ऐसे ही जैसे हम तुम एक दूसरे को देखते हैं।” मैंने आदित्य को पूरी तरह से विश्वास दिलाने की कोशिश की कि अमोल भावना के बारे में कुछ भी नहीं सोच रहा है।
“हाँ शायद तुम सही कह रहे हो।” आदित्य मेरी बात से लगभग राजी हो गया।
मैं अमोल के पास गया। मैंने उसे बताया कि आदित्य उसके बारे में क्या बातें कर रहा था। उसने मुझे जवाब दिया, “यार मैं खुद चाहता हूँ कि मैं अपनी पढ़ाई-लिखाई में ही रहूँ, मगर मेरे साथ कुछ हो रहा है। हमेशा उसकी याद आती रहती है। लगता है मैं उसे देखने का कोई भी मौका न खोऊँ। घर पर भी उसकी ही याद, समझ नहीं आ रहा ये हो क्या रहा है?”
“बेटा कहीं तुम ये तो नहीं सोच रहे कि तुम्हें प्यार वगैरह हो गया है?”
“मुझे भी यही लग रहा है यार, प्लीज कुछ कर दो ।” अमोल ने मुझसे विनती की।
“अच्छा ठीक है, मैं देखता हूँ कि भावना तेरे बारे में क्या सोच रही है। तुझे, या तेरे बारे में वो कुछ जानती भी है कि नहीं?” मैंने उसे थोड़ी-सी उम्मीद थमा दी।
“अरे यार तुम तो गलत समझ बैठे। मैं इसलिए मदद नहीं माँग रहा कि तुम मुझे उसके साथ अफेयर चलाने में मदद करो। मैं कह रहा हूँ कि मुझे अभी इन सारी चीजों में फँसना ही नहीं है। मुझे कुछ ऐसा उपाय बताओ, जिससे मेरा ध्यान भावना पर जाए ही नहीं।” अमोल ने अपनी बात पूरी तरह से सपष्ट कर दी।
“अच्छा तो तुम अपनी भावना पर कंट्रोल करना चाहते हो? तो ये जान लो बेटा, इस उम्र में पहला-पहला प्यार होता है, और पहला प्यार कभी कोई नहीं भुला सकता।” मैंने उसकी उलझन शायद थोड़ी और बढ़ा दी।
“यार तुम्हें मैं अपनी मदद करने कह रहा हूँ और तुम हो कि और ये झूठमूठ का प्यार का पाठ पढ़ा रहे हो। मुझे पता है कि मुझे कोई प्यार-व्यार नहीं हुआ है। ये सब बस क्षणिक आकर्षण मात्र है और मैं इसपर काबू पा लूँगा। अपना ये प्यार वाला ज्ञान मुझे मत दिया करो।” जैसा मुझे लग रहा था, सचमुच मैंने उसकी उलझन थोड़ी बढ़ा दी थी। जिस चीज से वो निकलना चाहता था, मेरे जवाब से उसे ऐसा लगा, जैसे वो और भी ज्यादा फँसा जा रहा है।
मगर अमोल वाकई एक दृढ़-प्रतिज्ञ लड़का था। हालाँकि उसे थोड़ा समय लग गया भावना के आकर्षण से निकलने में, और तब तक स्कूल में बहुत सारे लोगों को पता भी चल गया था कि अमोल के दिल में भावना के लिए कुछ है, मगर अमोल ने अपने-आप को भावना के आकर्षण से पूरी तरह बाहर निकाल लिया।
मुझे लगता था कि अमोल पहला ऐसा लड़का था जो अपने पहले प्यार को पूरी तरह भूल गया। उसने भावना से कभी कोई बात नहीं की। यहाँ तक कि पढ़ाई-लिखाई को लेकर भी दोनों के बीच कभी कोई बात नहीं हुई। मुझे यह भी पता नहीं चल पाया कि भावना जान पायी कि नहीं कि अमोल के दिल में उसके लिए कुछ था।
अमोल ने अच्छे से बोर्ड एग्जाम लिखा और काफी अच्छे नम्बरों के साथ पास भी हुआ। जब वो बहुत ही ज्यादा अच्छे नम्बर लेकर आया था, तब उसने मुझसे कहा था, “अगर मैं उस समय तुम्हारी बात मान लेता कि हाँ मुझे सचमुच प्यार हो गया है और भावना की भावनाएँ मेरे लिए जागृत हो जाती तो शायद मेरे मार्कशीट पर आज इतने अंक नहीं होते।” अमोल ने बहुत ही ज्यादा गर्व से कहा।
“लेकिन तुम्हारे जीवन में लड़की का खाता खुल जाता, जो अभी तक शून्य है।” मैंने मजे लेने के लिए कहा।
“लड़की के रहने से जिन्दगी में क्या फर्क पड़ जाता है?” उसने बहुत ही ज्यादा बेरुखी से कहा। वो थोड़ी देर चुप रहा और फिर से बोल पड़ा, “एक बार अच्छा करियर सेट हो जाए तो कई लड़कियाँ मिल जाती हैं। निठल्ले के साथ भले कुछ दिन वो टाइम पास कर लें, मगर वो भी उसे कोई वैल्यू नहीं ही देती हैं।”
मैं जितना सीरियस अमोल को समझ रहा था, उससे कहीं ज्यादा सीरियस वो बोर्ड पास होकर हो गया था। उसने आगे भी यही मेहनत जारी रखी थी और फिर उसने नौकरी हासिल कर ली।
मुझे और बाकी दोस्तों को भी लगा था कि अमोल शायद पहला ऐसा लड़का था, जिसे प्यार हुआ और वो उस प्यार को भूलकर अपनी जिन्दगी को आगे बढ़ा चुका था। उसने न तो भावना से कोई बात की थी और न ही अब वो उसके बारे में कुछ सोचता था। मगर हमसब का सोचना तब गलत हो गया, जब हम सबके बीच के सबसे खुरापाती लड़के आदित्य ने एक शरारत कर दी।