Manav Bhediya aur Rohini - 5 in Hindi Spiritual Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 5

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मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 5


रोहिणी आंखें बंद करके सो गई।

कुछ देर बाद माँ रोहिणी को जगाने आई, उठ जा बेटा देख तेरा कोई कॉलेज वाला दोस्त मिलने आया है।

रोहिणी ने बाहर आकर देखा तो सामने उसके आकाश खड़ा था।

आकाश में उससे से कहा चलो आओ आज हम कहीं बाहर घूमने चलते हैं, रोहिणी ने कुछ पल सोचा और सोचा चलो आकाश के साथ घूम कर आती हूँ, शायद मेरा मन हल्का हो जाए और मेरा मूड भी ठीक हो जाए ।

फिर वह दोनों बाहर चले गए चलते चलते रोहिणी ने आकाश से पूछा कि हम कहां जा रहे हैं । आकाश ने बोला आज मैं तुम्हें अपने घर ले जा रहा हूं और वहां मैं तुम्हें अपने परिवार वालों से मिलवाऊंगा ।

फिर वह दोनों बातें करते हुए आगे चलते रहे, आकाश उसे जंगल की तरफ ले जा रहा था। रोहिणी ने कहा यह कहां ले जा रहे हो इस रास्ते पर तो भयानक जंगल आता है। आकाश ने बोला कि मेरा घर इस तरफ ही है ।

मैं यहीं रहता हूं, फिर वह दोनों आगे चलते गए । फिर आकाश एक बड़ी सी गुफा के सामने आकर रुक गया।

रोहिणी उसको देख कर बोली यह कहां ले आए यह तो किसी जानवर की गुफा लगती हैं और तब आकाश ने बोला मैं यहीं रहता हूं तुम अंदर तो चलो।

फिर आकाश और रोहिणी उसमें अंदर चले गए। अंदर जाने के बाद आकाश में अपने परिवार वालों को आवाज लगाई । बोला कि देखो मैं किसे लाया हूं मिलवाने के लिए, थोड़ी देर में वहां से भेड़ियों के गुर्राने की आवाजें आने लगी और दो भेड़िए बाहर निकल कर आए उन्हें देखकर रोहिणी डरने लगी।

डरते डरते बोली आकाश यह दोनों कौन है? मुझे बहुत डर लग रहा ।

आकाश ने कहा डरो नहीं यह मेरे माता-पिता है और फिर वह दोनों तुरंत ही मनुष्य रूप में रोहिणी के सामने आ गए ।

यह सब देखकर रोहिणी बहुत घबरा रही थी, कुछ बोल नही पा रही थी।

आकाश ने रोहिणी से कहा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं इसलिए मैं तुम्हें आज अपने माता-पिता से मिलवाने लाया हूं।

यह सुनकर रोहिणी दंग रह गई और बोली कि मैं जानवरों से शादी नहीं कर सकती मुझे जानवर बिल्कुल पसंद नहीं है।

तुम जानवर हो तुम्हारे माता-पिता भी जानवर है ।

यह कहकर रोहिणी वहां से चली गई।

यह सब सुनकर आकाश के माता-पिता को बहुत गुस्सा आया और वह भेड़िए रूप में वापस आ गए और गुस्से में गुर्राते हुए रोहिणी के पीछे भागे ।

आकाश समझ चुका था कि उसके माता पिता रोहिणी को जीवित नहीं छोड़ेंगे, आकाश भी उनके पीछे भागा लेकिन जब तक आकाश वहाँ पहुँचा तब तक उन्होंने रोहिणी को मार दिया था ।

रोहिणी को अपने सामने मरा हुआ देख आकाश बहुत दुखी हुआ, वो खुद को इस सब का जिम्मेदार मानने लगा, और फिर उसने अपनी शक्ति से खुद की बलि देकर रोहिणी को जीवित कर दिया ।

थोड़ी देर बाद जब रोहिणी को होश आया तो उसने देखा कि उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा हैं ।

उसने उसे खोला और पढ़ा तो उसमें लिखा था कि रोहिणी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, इसलिए मैं अपने प्राणों की आहुति देकर तुम्हारा जीवन लौटा रहा हूं, अब तुम इस शहर में मत रहना यहाँ से कही दूर जाकर रहना और अब मैं तुम्हें कभी नहीं मिल पाऊंगा । फिर उसने देखा कि वही पास ही में एक भेड़ियाँ है जिसमें अब प्राण नहीं बचे थे। वो समझ गई ये आकाश ही हैं ।

रोहिणी थोड़ा विचलित हुई उसकी आंखें नम हुई पर वो सब कुछ भुलाकर अपने घर चली गई ।

कुछ दिनों बाद रोहिणी की माता जी का ट्रांसफर हो गया अब रोहिणी अपनी माताजी के साथ एक नए शहर में थी ।