Manav Bhediya aur Rohini - 4 in Hindi Spiritual Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 4

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मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 4


वह उस पेड़ के नजदीक गई और उसने देखा वहां पर एक सुंदर युवक हरे रंग की आंखों वाला उसके सामने खड़ा है वह उसे देख कर चौंक गई और पूछने लगी कि तुम इस जंगल में क्या कर रहे हो ? कहां रहते हो ? वह नौजवान कुछ जवाब दे पाता इससे पहले ही घड़ी ने अलार्म की आवाज बजानी शुरू कर दी और रोहिणी की नींद टूट गई उसने घड़ी में समय देखा और उठकर जल्दी जल्दी कॉलेज के लिए तैयार हो गई।

जब वह कॉलेज पहुंची तो वहां पर एक दो अध्यापक के अलावा अन्य कोई अध्यापक मौजूद नहीं था। इसलिए उसके सभी क्लासेस खाली ही जा रही थी।

तो वह पार्क में एक बेंच पर अकेली बैठकर रात वाले सपने के बारे में सोचने लगे तभी उसे एहसास हुआ कि जैसे कोई उसके पास आकर खड़ा हो गया हैं। उसने अपना सिर ऊपर करके देखा तो वह अचंभित रह गई, उसके सामने वही हरी आंख वाला लड़का खड़ा था। जिसको उसने सपने में देखा था।

लड़की ने उससे पूछा कि तुम कौन हो, यहां क्या कर रहे हो ?

लड़के ने जवाब दिया की मेरा नाम आकाश हैं, मैं इस शहर में नया आया हूं। आज ही इस कॉलेज में एडमिशन लिया हैं मेरा कोई दोस्त नहीं है। तुम्हें यहां अकेले बैठा देखा तो सोचा की तुमसे बातें कर लू, फिर रोहिणी ने पूछा तुम कौन सी कक्षा में पढ़ते हो?

आकाश ने जवाब दिया की मैं बी. कॉम. फर्स्ट ईयर का छात्र हूं रोहिणी झट से बोली, अरे मैं भी तो उसी क्लास में पढ़ती हूं फिर दोनों बातें करते रहे और कॉलेज की छुट्टी के बाद दोनों अपने अपने घर चले गए।

अब वह दोनों रोज कॉलेज में मिलते और रोज बातें करते यह सिलसिला काफी दिनों तक ऐसे ही चलता रहा ।

धीरे धीरे दोनों एक दूजे के काफी नजदीक आ चुके थे अब दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करने लगे थे ।

एक दिन रोहिणी अपने घर पर अकेली बैठी हुई बोर हो रही थी, उसने सोचा क्यों ना थोड़ी देर बाहर जंगल की ओर घूम कर आ जाऊँ और वह जंगल की ओर घूमने निकल गई।

थोड़ी दूर आगे चलकर उसने देखा कि कोई उसे काफी देर से टकटकी बांधे हुए देखे जा रहा है उसे लगा की जैसे कोई भेड़िया उसे घूर रहा है और उस पर हमला करने वाला हैं, परंतु वह भेड़िया सिर्फ उसे देखे जा रहा था और अपनी जगह से हिल भी नहीं रहा था। रोहिणी कुछ समझ नहीं पाई और वो काफी डर चुकी थी। डर के मारे उसकी कँपकँपी छूटने लगी थी और वह भागते भागते अपने घर पहुंची डरी सहमी सी वह अपने बिस्तर में जाकर लेट गई थोड़ी देर बाद उसकी मां ने उसको आवाज़ लगाई, परन्तु रोहिणी अभी भी डर से कांप रही थी, जब मां को रोहिणी का कोई भी उत्तर नहीं मिला तो माँ उसके कमरे में गई और उससे पूछा कि क्या हुआ बेटा ....??

माँ देख चुकी थी कि वह डरी हुई है, रोहिणी माँ के गले लगी और जोर जोर से रोने लगी रोते-रोते उसने बताया कि मां हमारे पास वाले जंगल में बहुत ही भयानक भेड़ियाँ है, बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर आई हूं आज, माँ ने बोला तू घबरा मत मैं अभी वन विभाग को फोन करके भेड़िए के बारे में बताती हूं, वो उसको पकड़ कर ले जाएंगे या इसे कहीं और घने जंगल में दूर छोड़ आएंगे फिर रोहिणी आंखें बंद करके सो गई।