Manav Bhediya aur Rohini - 2 in Hindi Spiritual Stories by Sonali Rawat books and stories PDF | मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 2

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मानव भेड़ियाँ और रोहिणी - 2

हम नहीं जानते थे कि वह क्या था? इस समय तक विकास काफी ज्यादा डर चुका था और साथ में, मैं भी। हम सभी राजेश पर चिल्लाये कि हम सबको यहां से निकालो। वह भी हमारी ही तरह डरा हुआ था।

उसने गाड़ी को स्टार्ट किया और आगे जाने की बजाय वह गाड़ी को रिवर्स में ले गया ताकि हम पीछे होते हुए उस जगह से मेन रोड पर पहुंच सकें। हम किसी तरह से चलते-फिसलते हुए ऊपर चढ़ते हुए मेन रोड पर आ पहुंचे। हमने सोचा कि अब सब कुछ ठीक हैं पर तभी मैंने अपनी जिंदगी की सबसे डरावनी चीज का अनुभव किया ,जिसे शायद ही मैंने पहले कभी महसूस किया हो।

जैसे ही हम ऊपर चढ़े हमने देखा कि कार की हेडलाइट की रोशनी जहां पर जाकर खत्म हो रही थी उस जगह पर एक जानवर खड़ा था।

वह उस जगह पर एक ऐसे आदमी की तरह खड़ा था ,जो पूरी तरह से बड़े-बड़े बालों से ढका हुआ हो। तथा बहुत ही डरावना हो। जब उस पर लाइट पड़ी तो वह मुड़ा। अब हम उसको पूरी तरह से देख पा रहे थे, वह मेरी ही आंखों में देख रहा था और कसम से उस समय मेरी दिल की धड़कन बस रुकने ही वाली थी।

उसकी आंखों की जगह गहरे काले गड्ढे थे और उसकी आंखों में दहशत और पागलपन के सिवा और कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसा बस कुछ सेकंड के लिए ही हुआ था ,कि तभी राजेश ने कार की स्पीड बढ़ायी। वह उसको कार से टक्कर मारना चाहता था। पर वो जानवर वहां से बड़ी ही तेजी से गायब हो गया, मानो जैसे वह पहले कभी वहां था ही नहीं।

वो हेडलाइट की रोशनी से क्यूँ डरता था।

यह तो मैं नहीं जानता। पर जितनी तेजी से हो सके हम उतनी तेजी से उस जगह से निकल गए।

बाहर बहुत ठंड थी और ठंड के इस समय में बाहर न तो कोई आदमी होता हैं और ना ही कोई दुकान खुली होती हैं और दूसरी बात वह इलाका बिल्कुल सुनसान था। और रात के इस समय में वहाँ

मुश्किल से ही कोई गाड़ी दिखाई देती थी।

हम नहीं जानते कि वो क्या था और वह कहाँ से आया था ?

खैर जैसे तैसे हम अपने पिकनिक वाले स्थान पर पहुँच गए।

हमने अपना कैंप लगाया और एन्जॉय करने लगे, बियर की बोतल खोली और ठंडी रात में आग के आगे बैठकर बियर का मजा लेने लगे, विकास ने भी आज बियर की बोतल लेकर अपनी पहली बियर कुछ इस तरह पी जैसे वो अपने बड़े होने का सबूत दे रहा हो, हम मौज मस्ती करते रहे और बाते करते रहे, तभी दूर से कोई आता हुआ दिखाई दिया, हम घबरा गए कही, वो ही जानवर फिर से तो नहीं आ गया, हम ये सोचने लगे हुए थे, पर कुछ देर बाद हमें साफ साफ दिखने लगा वो हमारे काफी नजदीक आ चुका था।

हमने देखा कि एक नौजवान ठंड में कांपते हुए हमारे नजदीक आ रहा था ।
उसने बताया कि वो इसी तरह नई नई जगह पर जाता रहता हैं और पर्वतों तथा जंगलों में घूमकर नई नई जड़ी बूटियों की खोज करता रहता हैं, आज उसे यहाँ ज्यादा देर हो गई ठंड भी बढ़ चुकी थी और मैं साथियों से भी बिछड़ चुका हु, अगर मैं थोड़ी देर में वापस नहीं लौटा तो वो मुझे जरूर ढूंढने आएंगे, तब तक मैं आप लोगों के साथ समय बिता लेता हूं ।