10 नवंबर 1990 को कार्यभार संभालने के 12 दिनों के ही भीतर चंद्रशेखर पांचवे सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने माले मालदीव गए. वहाँ उन्होंने ठेठ हिंदी औऱ अपनी मातृभाषा भोजपुरी में ज़बर्दस्त भाषण दिया जिसे वहाँ मौजूद सभी नेताओं ने काफ़ी पसंद किया...
तत्कालीन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ चंद्रशेखर के भाषण से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उस समय अपने कार्यालय में काम कर रहे रियाज़ खोखड़ से कहा कि काश तुम भी मेरे लिए इतना अच्छी तक़रीर( भाषण ) लिखते....''
खोखड़ ने जवाब दिया कि चंद्रशेखर के लिए वो भाषण किसी ने लिखा नहीं था, बल्कि उन्होंने बिना किसी तैयारी के एक्सटेंपोर दिया था....
इस घटना के कुछ दिनों बाद ही एक रात स्वीडिश राजदूत ने प्रधानमंत्री कार्यालय में संपर्क किया और उन्होंने अपने इंजीनयरों को छुड़ाने के लिए भारत की मदद मांगी जिनका पाकिस्तान में अपहरण कर लिया गया था . उनके जाने के बाद चंद्रशेखर ने हॉटलाइन पर नवाज़ शरीफ़ को फ़ोन मिलाया. जैसे ही वो लाइन पर आए, चन्द्रशेखर बोले, 'भाईजान, आप क्या बदमाशी कर रहे हैं?'
आश्चर्यचकित नवाज़ शरीफ़ ने कहा, 'मैंने क्या गुस्ताख़ी कर दी?' चंद्रशेखर ने कहा, 'आपने मासूम स्वीडिश इंजीनयरों का अपहरण करवा लिया है.' नवाज़ शरीफ़ ने कहा, 'मैंने भी इसके बारे में सुना है. ये आतंकवादियों का काम है, हमारा इससे कोई लेना देना नहीं!'
चंद्रशेखर का जवाब था, 'भाईजान, दुनिया को दिखाने के लिए आप जो कुछ कहें लेकिन हम और आप दोनों जानते हैं कि असलियत क्या है. हमें मानवीय पक्ष की अनदेखी नहीं करनी चाहिए....'
कुछ दिनों के अंदर वो स्वीडिश इंजीनयर रिहा कर दिए गए...
प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें यदि थोड़ा औऱ समय मिल गया होता तो शायद वह भारत के सफलतम प्रधानमंत्रियों की कतार में होते!
एक ऐसा राजनेता जिसने नेहरु के दौर की राजनीति को बेहद करीबी से देखा, काँग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के ख़िलाफ़ सड़को पर उतरा फ़िर काँग्रेस की मदद से ही भारत के प्रधानमंत्री का सफ़र....
राजीव गाँधी ने चन्द्रशेखर को मनाने के लिए शरद पवार को भेजा ताकि चन्द्रशेखर अपना इस्तीफ़ा वापस लें लें.
शरद पवार ने चन्द्रशेखर को बताया कि "शायद कुछ गलतफहमियां हो गयी है काँग्रेस नहीं चाहती कि आपकी सरकार गिरें आप अपना इस्तीफ़ा वापस ले लें हम चाहते है आप पद पर बने रहे "
गुस्से में चन्द्रशेखर गरजते हुए बोले - " आप लोगों ने प्रधानमंत्री पद का उपहास बना रखा है आपकी पार्टी के अध्यक्ष भी इस पद पर रह चुके हैं. क्या कांग्रेस वाकई ये मानती है कि मैं राजीव की जासूसी के लिए पुलिस के सिपाही भेजूंगा?'
औऱ अंत में उन्होने शरद पवार से कहा - 'जाओ और उनसे कह दो, चंद्रशेखर एक दिन में तीन बार अपने विचार नहीं बदलता...."
कैसे बने प्रधानमंत्री
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने लोकसभा में 400 से अधिक सीटें जीती थी। लेकिन राजीव गांधी सरकार पर लगे बोफोर्स घोटाले के आरोपों के बाद 1989 के चुनावों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई और जनता दल की सरकार बनी...
एक वर्ष के अंतराल में ही भाजपा के समर्थन वापस लेने के कारण वीपी सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई और उनकी पार्टी के 64 सांसद अलग हो गए। कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बन गए। 3 महीने के बाद ही कांग्रेस ने राजीव की जासूसी कराने के आरोप में चंद्रशेखर की पार्टी से समर्थन वापस ले लिया। आदर्शवादी नेता के रूप में पहचान वाले चंद्रेखर 21 जून 1991 को इस्तीफा देना पड़ा...
युवा तुर्क (अध्यक्ष जी) हमारी यादों में सदैव जीवित रहेंगे, मेरे राजनैतिक आदर्श परम श्रद्धेय "जननायक चन्द्रशेखर जी" की जयन्ति पर उन्हें शत शत नमन....