Aathva Vachan - 1 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | आठवां वचन ( एक वादा खुद से) - 1

Featured Books
Categories
Share

आठवां वचन ( एक वादा खुद से) - 1

मेघना ने ध्यान दिया कि सुबह से ही घर पर तैयारियां चल रही है।

कल देर रात तक भी अभिषेक वैभव और मम्मी पापा किसी विशेष चर्चा में व्यस्त थे पर मेघना को समझ नहीं आया कि क्या बात है? और वह अपने गम में इतनी डूबी हुई थी कि उसने जानने की कोशिश भी नहीं की।

शाम को कुछ लोग घर आए और अभिषेक ने उनका गर्म जोशी से उनका स्वागत किया।

"मां के कहने पर वह चाय नाश्ते का प्रबंध करने लगी। उसने सोचा कि शायद वैभव के लिए कोई रिश्ता आया है पर यह उसकी गलतफहमी थी जोकि जल्दी ही खत्म हो गई।

"आओ मेघना इनसे मिलो!" अभिषेक ने उन लोगों के साथ आए एक युवक का परिचय कराया।

" मेघना यह मेरे बचपन का दोस्त है सौरभ अभी कुछ ही दिन हुए कनाडा से लौटा है और अब यही मुंबई में ही रहेगा , और यह सौरभ के मौसी जी मौसा जी है!" अभिषेक बोला!

मेघना ने औपचारिकता बस उनको नमस्कार किया और फिर अभिषेक के पास में ही बैठ गई।

"सौरभ यह मेरी वाइफ है मेघना।" अभिषेक बोला।

"हैलो मेघना...!" सौरभ बोला।

"अंकल आंटी मैंने मेघना से ही सौरभ के रिश्ते की बात की थी!" अभिषेक बोला।

मेघना को तो अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ। उसे लगा कि शायद उसने कुछ गलत सुन लिया है।

तभी सौरभ की मौसी उठकर उसके पास आई और उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा।

"अभिषेक बेटा हमें तो इस रिश्ते से कभी कोई ऐतराज था ही नहीं बस हम एक बार मेघना से मिलना चाहते थे। तुमने और इस परिवार ने जो सौरभ के लिए किया है उसके बाद इनकार का तो सवाल ही नही उठता!" सौरभ की मौसी बोली।

"अब हमारी तरफ से बात पक्की! " सौरभ के मौसा जी बोले!

इसके आगे मेघना से कुछ सुना नहीं गया और वह रोते हुए अपने कमरे में चली गई।

सौरव और उसके मौसा मौसी ने अभिषेक की तरफ देखा।

" भावुक लड़की है वो और अभी मुझसे और इस घर से बहुत ही ज्यादा जुड़ी हुई है पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूं वह बहुत ही अच्छी जीवनसंगिनी और बहुत ही अच्छी बहू साबित होगी। आपको कभी भी अपने फैसले पर अफसोस नहीं होगा!" अभिषेक बोला।

सौरभ की मौसी मुस्करा उठी।

" मेघना की तरफ से मैं पूरी जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं और आप समझ सकते हैं आज इस स्थिति में मैं आपसे झूठ नहीं कहूंगा।"अभिषेक बोला।

"हां बेटा हम समझते हैं आखिर तुमको बहुत अच्छे से जानते है हम और हम समझते हैं और साथ ही साथ मेघना के मन का हाल भी। आसान नहीं है किसी के लिए यूं यह सब करना और तुम्हारा दिल भी बहुत बड़ा है बेटा जो तुमने इस तरीके का सोचा। आखिर कौन पति होगा जो खुद ही अपनी पत्नी के रिश्ते की बात करें! " सौरभ के मौसा जी बोले।

सौरभ खामोश बैठा हुआ था।

"चलो बाहर चलते हैं!" अभिषेक बोला और सौरभ के साथ बाहर आ गया।

" माफ़ी चाहूंगा सौरभ आज मेघना ने जो व्यवहार किया उसके लिए!" अभिषेक बोला।

"समझ सकता हूं मैं दोस्त...! तुम्हारी पत्नी है और तुम्हें बहुत चाहती है। आसान नही है उसके लिए इस तरीके से सब कुछ जानना और सच को स्वीकार करना!" सौरभ बोला।

"तुमसे एक ही विनती है उसे हमेशा खुश रखना उसे बहुत प्यार करना। अभी उसकी कोई उम्र नहीं है। सिर्फ 23 साल की है वह।"अभिषेक बोला।

सौरभ ने उसकी तरफ देखा ।

"तुम कैसे कर पा रहे हो ये सब मुझे यकीन नहीं होता। पहले उस एक्सीडेंट में मुझे जान पर खेलकर बचाया और अपनी दोस्ती लायक समझा और अब मेघना के बारे मे ये सब...! कोई भी इंसान यह कदम नहीं उठा सकता जो तुम ने उठाया है! "सौरभ ने कहा।

"विवाह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है सौरभ! यहां जितना प्यार और समर्पण होता है उतना ही एक दूसरे के का भला सोचने की चाहत होती है, और फिर मेघना को मैंने सिर्फ सात वचन नहीं दिए थे। एक आठवां वचन दिया था मैंने मेघना को और खुद को भी कि मैं उसकी खुशियों और उसकी और उसकी भलाई को सबसे पहले रखूंगा। मेरे रहते उसके साथ कभी भी कुछ गलत नहीं होगा। उसको हर खुशी हर रंग दूंगा। बस अपने उसी आठवे वचन को निभाने की कोशिश कर रहा हूं!" अभिषेक बोला और उसकी आवाज भर्रा गई।

सौरभ ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

"तुम्हें भी बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और सब्र रखना पड़ेगा। मेघना के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए पर मैं विश्वास दिलाता हूं जिस दिन उसके दिल में तुम्हारे लिए फीलिंग्स आ जाएंगी वह सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे बारे में सोचेगी और सिर्फ तुम्हें चाहेगी। बहुत साफ दिल है उसका और प्रेम तो एकदम निश्चल है। जिसे चाहती है टूट कर चाहती है और यह मैं अपने से अनुभव से कह रहा हूं।" अभिषेक बोला।

"क्या ये सही है?" सौरभ ने सवाल किया।

" शायद...! अगर किस्मत ने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा नही किया होता तो अपनी मेघना को कभी किसी को न देता। वह मेरे लिए अनमोल है और इसीलिए उसे तुम्हारे हाथों सौंपना चाहता हूं। तुम मेरे बचपन के दोस्त हो। मैं बहुत अच्छे से जानता हूं और मुझे विश्वास है कि तुम मेघना को बहुत बेहतर तरीके से संभाल लोगे!" अभिषेक बोला।

" कोशिश करूँगा!" सौरभ ने कहा।

"प्लीज दोस्त तुम उसे सच्चे दिल से अपना पाओगे? " अभिषेक ने कहा तो सौरभ ने उसका हाथ थाम लिया।

"कभी सोचा नहीं कि अब इस तरीके की कंडीशन हमारे सामने आएगी। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं दोस्त।तुम्हें अपना दोस्त नहीं भाई माना है। मैं भी जानता हूं कि यह सफर आसान नहीं होगा। मेरे लिए भले यह एक सामान्य रिश्ता है पर मेघना के लिए यह एक समझौते की शादी है। और यह रिश्ता उसके लिए एक मजबूरी और समझौता है। पर मैं अपनी तरफ से उसे खुश रखने की पूरी कोशिश करूंगा। जितना मुझसे हो सकेगा मैं अपनी तरफ से उसे सम्भालूँगा उसे कभी भी हर्ट नहीं करूंगा क्योंकि मैं जानता हूं वो तुम्हारे लिए क्या है और तुम्हें मैं कभी भी तकलीफ नहीं दे सकता! "सौरभ बोला तो अभिषेक ने उसे अपने गले से लगा लिया।

"कभी उससे कुछ भूल हो जाए तो उसे माफ कर देना! अभी उसे दुनियादारी की ज्यादा समझ नहीं है। एक ही साल तो हुआ है शादी को हमारी। वो सीख ही रही है। धीरे-धीरे सब सीख जाएगी।" अभिषेक भावुक होकर बोला।

सौरभ ने उसकी पीठ को सहलाया।

" तुम बेफिक्र रहो दोस्त अब से मेघना मेरी जिम्मेदारी है मेरी तरफ से इस रिश्ते के लिए हां है, बाकी मेघना को मनाने की जिम्मेदारी तुम्हारी। " सौरभ बोला।

" आसान नही है पर मैं कर लूंगा! " अभिषेक बोला और फिर थोड़ी देर में सौरभ और उसके मौसा मौसी निकल गए।

😍😍सरप्राइज 😍😍

ये स्टोरी पहले से ही लिखी रखी थी किसी अन्य जगह के लिए तो सोचा यहाँ पोस्ट करूं। शॉर्ट स्टोरी है 15-20 पार्ट की।
पार्ट ऐसे ही छोटे रहेंगे क्योंकि ऐसे ही लिखे है।

बाकी अभी व्यस्तता है तो जैसे जैसे लिख लुंगी पोस्ट करती जाऊंगी सभी स्टोरिज को।

क्रमश:

©️डॉ. शैलजा श्रीवास्तव ®️