Sathiya - 75 in Hindi Fiction Stories by डॉ. शैलजा श्रीवास्तव books and stories PDF | साथिया - 75

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साथिया - 75







प्लीज पापा ऐसा मत कीजिए..!! आप मुझे इस तरीके से बीच रास्ते में नहीं छोड़ सकते।" रिया ने कहा तो एक जोरदार तमाचा मिस्टर मल्होत्रा ने रिया के गाल पर जड़ दिया।

"नहीं सोचा था मैंने कि तुम मुझे ऐसा दिन दिखाओगे..!! मुझे मैं सच में इस बात से दुख था कि तुम्हारे साथ गलत हुआ है। तुम्हारे साथ इस लड़के ने धोखा किया है, और तुम्हें न्याय दिलाने के लिए मैं हर किसी से लड़ने के लिए तैयार हो गया था। यहां आया तुम्हारी बातों में आकर पर तुमने तो मुझे ही झूठा साबित कर दिया। तुमने आज मेरी परवरिश को ही गलत साबित कर दिया। मुझे नहीं पता था कि मेरी बेटी इतनी बड़ी झूठी धोखेबाज और मक्कार होगी कि किसी लड़की के साथ इस तरीके से धोख़ा करेगी.??" मिस्टर मल्होत्रा ने कहा तो रिया की आंखों से आंसू निकलने लगे।

"सर बताइए फिर रिपोर्ट...??" इंस्पेक्टर ने कहा।

"नहीं इंस्पेक्टर अभी आप जाइए यह सब सबूत रखियेगा। अगर कभी आगे ऐसी कोई बात आती है तो तो फिर मैं जरुर कंप्लेन करना चाहूंगा और इन्हें सजा भी दिलवाना चाहूंगा। पर आज के लिए सबक काफी है, क्योंकि गलती सिर्फ रिया की है उसके मां-बाप की नहीं। और यहां सजा सिर्फ रिया को नहीं मिलेगी बल्कि उनके पूरे परिवार को मिलेगी।" अक्षत बोला और निखिल को देखा।

"और हां निखिल तुम्हें यह आखरी वार्निंग दे रहा हूं..!! बहुत हुआ तुम्हारा..!! कॉलेज के जमाने गए अब मैच्योर हो..! तो समझदारी दिखाओ और समझदारी के काम करो। अगर इसी तरीके की हरकतें करते रहे ना तो तुम कहीं के नहीं रहोगे..!! ध्यान रखना इस बात का।" अक्षत ने निखिल को उंगली दिखाकर कहा तो निखिल ने उसे सॉरी बोला और तुरंत अपने दोस्तों के साथ निकल गया।

मिस्टर मल्होत्रा और मिसेज मल्होत्रा ने मिस्टर वर्मा और श्रीमती वर्मा के आगे हाथ जोड़ उनसे माफी मांगी और रिया को लेकर वहां से निकल गए।

"देखा मैंने कहा था ना पापा भाई की कोई गलती नहीं है..!! निशि ने कहा तो मिस्टर वर्मा ने नील को अपने सीने से लगा लिया।

"विश्वास तो मुझे भी नहीं था बेटा पर जब सामने सबूत हो तो हमें अनदेखा भी नहीं कर सकते ना..?? मैं जानता था कि मेरा बेटा ऐसा कुछ नहीं कर सकता पर फिर भी एक पल को विश्वास डगमगा आ गया तुम्हारे पापा का। उसके लिए माफ कर दो बच्चे।" मिस्टर वर्मा बोले।

"कोई बात नहीं पापा..!! आपकी जगह कोई भी होता तो यही करता। वह तो अच्छा है कि कल पार्टी में अक्षत भी आ गया था और उसने सारी चीजे क्लियर कर दी, वरन अगर अच्छा नहीं अक्षत नही तो आज आप तो छोड़ो पूरी दुनिया मुझे गुनहगार समझ रही होती।" नीले ने भावुक होकर कहा।

"बस अब ज्यादा दुखी होने की जरूरत नहीं है..!!" अक्षत ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा.!!

"यजमान मंडप तैयार है..! विवाह के लिए वर लिए वधू को लाइए।" तभी पंडित जी बोले तो सबने उनकी तरफ देखा और मुस्करा उठे।

"पंडित जी विवाह तो होगा लेकिन कुछ दिन कुछ बाद..!! अभी आप आकर यहां सोफे पर विराजिये।" अक्षत बोला और उसने तुरंत ही अरविंद और साधना को कॉल कर दिया।

अक्षत ने फोन लगाया तो अरविंद ने फोन उठाया।

"हां अक्षत बेटा..!! बताओ क्या हुआ? आना है हमें वहां..? कुछ बात हुई है क्या? " अरविंद बोले।

"आपको आना है लिए और शगुन लेकर आईयेगा। आपकी बेटी का रिश्ता तय करना है हमें नील के साथ।" अक्षत ने मुस्करा के कहा।

" नील के साथ? ' अरविंद ने खुश होकर बोला।

"हां पापा..!! पागल है दोनों। एक दूसरे को पसंद करते हैं पर कभी भी एक दूसरे से कहा नहीं। दोनों के बीच हमेशा लड़ाई झगड़ा ही होता था और फाइनली अब सब कुछ ठीक हो गया है और इससे पहले की यह दोनों बेवकूफ फिर से लड़ने लगे इन्हें बंधन में बांध ही देते हैं।" अक्षत ने कहा।

"यह तो बहुत खुशी की बात है मैं और साधना आधे घंटे में पहुंचते हैं..!" अरविंद बोले और फिर ईशान और साधना को लेकर वर्मा जी के घर निकल गए।

"वर्मा अंकल यह रिया के चंगुल से तो यह छूट गया है पर अब इसे दूसरे बंधन में बांधने की इजाजत चाहूंगा।" अक्षत ने कहा।

"मतलब?" मिस्टर वर्मा बोले।

"यह दोनों एक दूसरे को चाहते हैं बहुत पहले से और आप मानसी को बहुत पहले से जानते हो..!; हम लोग भी नील को जानते हैं। इसलिए ऐसी कोई परेशानी नहीं है। अगर आपकी इजाजत हो तो मैं अपनी बहन का रिश्ता आपके घर में करना चाहूंगा बाकी अभी मेरे मम्मी पापा और इशु भी आ रहे हैं आपसे बात करने के लिए।" अक्षत ने कहा।

"अरे इतनी खुशी की बात और तुम इस तरीके से कह रहे हो..!! भला इस बच्ची के लिए कोई मना कैसे कर सकता है। " वर्मा जी ने मनु के सिर पर हाथ रखकर कहा तो सब लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

थोड़ी देर में अरविंद साधना और ईशान वहां आ पहुंचे ।

सब लोगों ने मिल बैठकर रिश्ता तय किया और और पंद्रह दिन बाद शादी की तारीख पंडित जी ने निकाल दी।

"पर सगाई अभी कर लेते तो बेहतर होता..!"' मिसेज वर्मा बोली।

"बिल्कुल मिसेज वर्मा..!! हम सगाई की तैयारी के साथ ही आए हैं क्योंकि अक्षत ने हमें सारी बातें बता दी थी।" साधना बोली और फिर अंगूठियां निकाल कर सामने रख दी।

घर परिवार के लोगों के सामने ही मनु और नील ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई।

मिसेज वर्मा ने मनु को एक गोल्ड का सेट दिया और उसके हाथों में अपने खानदानी कंगन पहना के रिश्ता तय कर दिया।

बड़े लोग बैठकर वही बातचीत करने लगे।

ईशान जो बहुत देर से खामोश बैठा था अचानक से उसने मनु और नील के कंधों पर हाथ रखा जो की एक ही सोफे पर बैठे थे।

"तो फाइनली यह बात तो मुझे पता ही नहीं था कि यहां राम मिलाई जोड़ी है। मतलब अतरंगी जोड़ी..!!"' ईशान बोला तो सब ने उसे घूर कर देखा।

"मतलब वही मैं सोचूं कि तभी कोई इस चुड़ैल को पसंद नहीं कर रहा है और ना ही यह चुड़ैल किसी को पसंद कर रही है, क्योंकि यहां तो इस चुड़ैल की इस पिशाच के साथ पहले से ही जोड़ी बनी हुई थी, तो भाई भला कोई दूसरे के साथ कैसे बनती है..??" ईशान ने कहा तो मनु ने उसे घूर कर देखा।

"अरे सच बोल दो तो लोगों को बुरा क्यों लग जाता है? अब चुड़ैल है तो किसी भूत प्रेत पिशाच साथ से ही शादी करेगी ना..?? नॉर्मल इंसान तो इसके साथ वैसे ही नहीं रह पाएगा।" ईशान ने कहा तो सब लोग खिलखिला उठे।

"चलिए अब आज का लंच आप लोग हमारे साथ ही कीजिएगा, इस खुशी के मौके पर हम अभी खाने की तैयारी करवाते हैं।" मिसेज वर्मा बोली और अपनी मेड के साथ खाने की तैयारी करवाने में लग गई।

निशि और साधना उनकी मदद करने लग गई।

मनु को उन लोगों ने मना कर दिया क्योंकि आज ही उसकी सगाई हुई थी।

मौका मिलते ही नील ने मन्नू का हाथ थामा और तुरंत वहां से उसे लेकर अपने कमरे में चला गया।

" मुझे यहां क्यों लेकर आए हो? ' मनु ने कहा।

"अभी भी यही पूछोगि कि यहां क्यों लेकर आया हूं..?? अब तो अब तो ऑफीशियली तुम मेरी हो चुकी हो। देखो यह अंगूठी नील ने हाथ आगे करके कहा।
" हां तो अंगूठी से क्या होता है? जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक मुझे इस कमरे में लेकर आने की हिम्मत भी मत करना समझे..?" मनु बोली और जैसे ही जाने को मुड़ी नील ने उसे खींचकर अपनी अपनी सीने से लगा लिया।

" अब भी वही नाराजगी से बात .. थोड़ा प्यार से बात करोगी तो भला हो जायेगा इस गरीब का।" नील बोला।

" लेकिन..??"

" और रही बात कमरे की तो नहीं करूंगा बिल्कुल भी हिम्मत नहीं करूंगा तुम्हें यहां लाने की..! पर सालों से बैचैन है यह दिल थोड़ा तो सुकून आने दो न प्लीज मानसी..!!" नील ने उसकी पीठ पर हाथ रखते हुए कहा तो मनु के चेहरे पर क्यूट सी मुस्कुराहट आ गई और उसने भी अपनी हथेली नील की पीठ पर कस दी।

"थैंक गॉड के सब कुछ सही हो गया है मानसी..!! मेरा तो दिल ही बैठ जा रहा था यह सोचकर कि अगर कल अक्षत नहीं आया होता और यह सब चीजे नहीं हुई होती तो न जाने क्या होता?"

"होता क्या उसे छिपकली के साथ में शादी करनी पड़ती और फिर जिंदगी भर उसके साथ उसकी गुलामी भी...!! और मैं तो तुम्हारी तरफ देखती भी नहीं। " मनु ने कहा तो नील ने उसके चेहरे को अपनी हथेलियां के बीच थाम लिया।

" पहले भी कहा था अब भी कह रहा हूं। उससे शादी करने से पहले मैं सुसाइड कर लेता पर उसके साथ शादी कभी नहीं करता।" नील ने कहा तो मनु की भी आंखें भर आई।

"भले तुमसे नाराज रहती थी...! भले तुमसे मतलब न रखने का दिखावा करती थी..!! पर मैं ही जानती हूं तुम्हें और उसे साथ में देखकर मेरे दिल को कितनी तकलीफ होती थी। अगर कभी तुम्हें उसके साथ शादी करने भी पड़ती तो मैं तो जीते जी मर जाती तुम दोनों की शादी देखकर। और अगर तुम उससे शादी करने की जगह सुसाइड कर लेते तो मुझे भी सुसाइड करनी पड़ती यह सोचकर कि मैंने तुम्हें समझा नहीं..!! तुम पर विश्वास नहीं किया।" मनु ने कहा तो नील ने उसके माथे को हौले से चूम लिया।

"इतना प्यार करती हो पागल तो कभी कहा क्यों नहीं?"

"तुमने कौन सा कहा..?? तुम लड़के होकर जब नहीं कह सकते तो मैं लड़की होकर कैसे कह सकती हूं..??" मानसी बोली तो नील ने आँखे छोटी कर उसे देखा।

"फिर वही लड़के लड़की वाली बात..!! अभी अक्षत ने क्या कहा जब लड़का और लड़की समान है और सब बराबरी वाली बात करते है तो फिर ये क्यो..?? जब तुम लोग हर जगह बोलते हो कि हमारे बराबर हो..!! फिर प्रपोज करने के लिए यह क्यों एक्सपेक्ट करते हो कि हमेशा लड़का ही प्रपोज करें। तुम प्रपोज कर दोगी तो क्या बिगड़ जाएगा। वैसे हर बात में तुम्हें बराबरी चाहिए पर जब कभी रेस्टोरेंट में जाना है तो बिल पे लड़का करें..!! जब भी कभी प्यार में पड़ोगे तो प्रपोज लड़का करें..!! जब कोई गिफ्ट देना होगा तो पहले लड़का दे..!! नील अपनी धुन में बोलता जा रहा था कि तभी मनु ने अपनी सैंडल की नोक उसके पैर पर दे मारी।

"क्या कर रही हो यार...?? जान लेने का इरादा है क्या..?" नील ने कहा।

"तो तुम क्या बकबक करें पड़े हो? अक्षत ने क्या बोल दिया तुम तो बस पीछे ही पड़ गए। मैंने कब कहा कि जब हम रेस्टोरेंट जाएंगे तो बिल तुम पे करना...!! कब मैंने तुमसे गिफ्ट मांगे और कब तुमने मुझे गिफ्ट दिए..?? और कब मैंने तुमसे कहा कि प्रपोज तुम्हें पहले करना चाहिए था मुझे बाद में...?? बस मै तो यह कह रही हूं कि जब मुझे दिख रहा है कि तुम उस छिपकली के पीछे चुपके हो ..!! लट्टू बने घूम रहे हो तो मैं भला अपने दिल की बात कैसे कहूंगी..??" मनु ने कहा।

"और मुझे लगा कि तुम मुझे पसंद नही करती बाकी मैंने क्या गलती कर दी जो तुम मुझे अभी शादी के पहले ही मारने पीटने लगी..??" नील ने का तो मनु मुस्कुरा उठी।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव