डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा की लघुकथाएँ 5
नेशनल न्यूज चैनल द्वारा पिछले हफ्ते भर से प्रसारित किया जा रहा था कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारतवर्ष के राष्ट्रीय महापर्व लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की डिबेट का लाइव प्रसारण किया जाएगा। सत्ताधारी पार्टी क के प्रवक्ता मिस्टर सिंह और प्रमुख विपक्षी दल ख के राष्ट्रीय प्रवक्ता मिस्टर बाघ की छबि जनता के बीच बहुत ही तेजतर्रार नेताओं के रूप में थी। डिबेट बहुत ही जबरदस्त होने की संभावना के मद्देनजर लोग उस कार्यक्रम का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। न्यूज़ चैनल वाले टीआरपी की उम्मीद में कार्यक्रम की लगातार प्रचार-प्रसार में लगे हुए थे।
पर यह क्या ? प्रसारण समय से लगभग आधा घंटा पहले न्यूज चैनल पर खेद प्रकट करते हुए सूचित किया गया कि अपरिहार्य कारणों से प्रस्तावित डिबेट का प्रसारण नहीं किया जाएगा।
डिबेट के लिए निर्धारित समय में उसी न्यूज चैनल पर यह समाचार लाइव प्रसारित हुआ कि मिस्टर बाघ अपने हजारों समर्थकों के साथ गृहमंत्री की उपस्थिति में अपनी ख पार्टी को छोड़कर क पार्टी में शामिल हो रहे हैं।
"अरे भई, सौवीं सालगिरह मेरी है। सेंचुरी मैंने मारी है, पर आप लोग बधाई मुझे न देकर, मेरे बेटा-बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोतों को क्यों दे रहे हैं ?" अपना सौवाँ जन्मदिन मना रहे शर्मा जी ने आश्चर्य से पूछा।
"देखिए भैया, जब आपने हाफ सेंचुरी मारी थी, तब सब कुछ मेरा मतलब बॉलिंग, बैटिंग, पिच यहाँ तक कि एम्पायर भी आपके मन-मुताबिक ही थे, पर जब सेंचुरी मारी, तब आपके हाथ में कुछ खास नहीं था। यही आपके बेटा-बहू, बेटी-दामाद और नाती-पोतों ने ही ऐसी फील्डिंग सजाई कि आप नॉट आउट सेंचुरी जड़ चुके हैं। अब बताइए, बधाई के पात्र कौन हैं ?" शर्मा जी के एक चचेरे भाई ने कहा।
"हाँ यार, बात तो तुम्हारी सोलह आने सच है। इन्हें बधाई तो बनती ही है।" शर्मा जी ने कहा।
और सब ठहाका मारकर हँसने लगे।
ऑफिस के निकलते समय अपने जुड़वाँ बच्चों से मिश्रा जी ने पूछा, "आज आप दोनों की बर्थ डे है। मम्मी केक के लिए आर्डर कर चुकी हैं। वह शाम तक पहुंच जाएगा। आप लोगों को गिफ्ट में क्या चाहिए, बता दीजिए, ताकि आते समय मैं लेते आऊँगा। आप लोगों को तो पता ही है कि मेरी च्वाइस कुछ खास नहीं है। इसलिए आप लोग बता देंगे, तो अच्छा रहेगा।"
"पापा, मेरे लिए ब्लू कलर की साइकिल ला दीजिएगा, जिसकी फोटो मैंने आपको परसों मोबाइल में दिखाया था।" दस वर्षीय बेटे ने कहा।
"ओ के बेटा। और हम हमारी गुड़िया रानी के लिए क्या लाएँ ?" उन्होंने बेटी से पूछा।
"पापा, आज आप समय पर पहुँच जाएगा।" गुड़िया ने कहा।
"वो तो हम पहुँच ही जाएँगे। आप तो ये बताइए कि आपको गिफ्ट में क्या चाहिए ?" मिश्रा जी ने पूछा।
"सब कुछ तो है मेरे पास। शाम को आप समय पर घर पहुँच जाइएगा, बस यही मेरा गिफ्ट होगा पापा। आपको शायद अंदाजा नहीं कि जब तक आप ऑफिस से घर नहीं पहुँच जाते, तब तक हमें आपकी चिंता बनी रहती है।" गुड़िया ने बहुत ही मासूमियत से कहा।
मिश्रा जी ने गुड़िया को गोद में भर लिया और कहा, "प्रॉमिस, आज से मैं रोज समय पर घर पहुँच जाया करूँगा। यदि कभी देर हुई, तो फोन करके बता दिया करूँगी।"
"लव यू पापा।" गुड़िया ने कहा और उनके माथे को चूम लिया।