The Author Dr.Chandni Agravat Follow Current Read परछाईया - भाग 5 By Dr.Chandni Agravat Hindi Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books सनातन - 2 (2)घर उसका एक 1 बीएचके फ्लैट था। उसमें एक हॉल और एक ही बेडरू... गोमती, तुम बहती रहना - 7 जिन दिनों मैं लखनऊ आया यहाँ की प्राण गोमती माँ लगभग... मंजिले - भाग 3 (हलात ) ... राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Dr.Chandni Agravat in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 5 Share परछाईया - भाग 5 (1) 768 2k पार्ट 5उसे आवाज की गूंज आज भी निर्वा के कानों में दस्तक देती है बार-बार। इस घटना से घर में सन्नाटा छा गया निर्वा की मंगनी रुक गई ।कोई कुछ बोला नहीं पर निरर पर पाबंदियां य लग गई। हर कोई उससे आंख फेर लेता। उसे बीना गुनाह के ही उसकी सजा मिल रही थी। दादी भी उससे रूठ गई थी।थोड़े दिनों के बाद यूके से फोन आया विराट की मा फोन पर सबको धमका रही थी कि मेरे बेटे की मौत आपकी वजह से हुई है उसने खुदकुशी नहीं कि आप लोगों ने उसे मार डाला मैं वहां आउंगी और पुलिस कंप्लेंट करूंगी आपकी बेटी ने उसे धक्का दिया है।थोड़े दिन बाद उसकी मां आई और उसने पुलिस कंप्लेंट दर्ज करवाई की निर्वा ने मेरे बेटे को मार दिया और मेरे पति को भी इन लोगों ने ही मार डाला ।पुलिस घर पर पूछताछ करने ई। पुलिस के जाने के बाद निर्वा के पापा और उसके चाचा मै बहस हो गई ।घर में पहली बार झगड़ा हुआ उसके चाचा बोल रहे थे कि "निर्वा को उस लड़के से ईतना घुल मीलने की क्या जरूरत थी?" मनोहरसिंह बोले "खबरदार जो मेरी बेटी को बारे में कुछ भी कहा हमने ही उसे लड़के को घर में रखा था और वह उसे अपने भाइयों की तरह मानती थी ।""इस तरह तो हमारा खानदान बदनाम हो जाएगा उसके ससुराल वालों ने की मंगनी तोड़ दी है हमारे बेटो का भी भविष्य खतरे में है। हमारे खानदान पर यह लड़की ने दाग लगा ही दिया ।या तो आप उसको पुलिस के हवाले कर दीजिए और बोलिए कि आपना गुनाह कबूल कर ले या तो फिर उसका फैसला कर देते हैं यह हमारे परिवार की प्रतिष्ठा का सवाल है।"निर्वा के चारों भाइयों को रातों-रात कही भेज दिया गया। ता की उनका नाम इन सब में ना आए ।महावीर सिंह चिंता और उलझन की वजह से निर्वा से बात नहीं कर रहे थे।उस मासूम ने सोच लिया कि पापा भी मुझे गुनहगार मानते हैं ,और मुझे पुलिस के हवाले कर देंगे ।फिर समाचार आया कि पूरे घर की दोबारा से पूछता होगी और जरूरत पड़ने पर सबको पुलिस थाने ले जाया जाएगा ।बस इसी बात पर घर में फिर से बड़ा कलश हो गयां। यहां तक की बात बंटवारे पर पहुंच गई। उसकी दादी जो उसे सबसे ज्यादा प्यार करती थी उसने कहा "बस बहुत हो गया मैं उसे लड़की के कारण अपने परिवार को बिखरने नहीं दूंगी मिनी फैसला कर लिया है। अब क्या करना है ।"यह सुनकर निर्वा.बहुत डर गई और उसी रात किसी को बताए बिना वह चुपचाप निकल पड़ी थोड़े से गहने और थोड़े के पैसे लिये थे उसने अपने साथ ।दौड़ती भागती किसी तरह स्टेशन पहुंची और जो भी पहली ट्रेन आई उसमें बैठ गई। सुबह आंख खुली तो वह मुंबई सेंट्रल पर पहुंच गई थी।महावीर सिंह ने निर्वाह को जाते हुए देखा , उसने र तुरंत इस माली के बेटे सनत को को निर्वा के पीछे भेजा।उसने शाम को सनत को बुलवाया था , और माली को ढेर सारे पैसे देकर कहा" भुल जाओ तुम्हारा कोई बेटा था, तुम्हे पैसे मिलते रहेगें। कीसी को कुछ बोलने और पूछने की जरूरत नहीं।"..दरअसल उसने निर्वा को खुदाई भेजने का इन्तजाम कीया था , पर निर्वा उससे पहले ही घर से निकल गई। त तभी से सनत निर्वा के आगे पीछे साये की तरह रह रहा था और उसे पता ना चले इस उसका ध्यान रखता था। निर्वा को ऐड में और फिल्मों में भी काम महावीर सिंह की सिफारिश से ही मिला था। मौका मिलते ही सनत.उसका ड्राइवर बन गया।निर्वा की सफलता के पीछे मनोहरसिंह का सपोर्ट था उनकी बजह से ही हर मौका उसके पास आता था।निर्वा नींद मै बडबडा रही थी " ट मै जा तो रही हुं , क्यां मै कभी वापिस आ पाउंगी?मै सबको बहुत याद करुंगी। "यह सुनकर मनोहरसिंह की आंखे भर आई, सनत उनको दिलासा दे रहा था।उसी समय उसके फोन पै मैसेज नोटिफिकेशन आया, जो देखकर वह बहार चला गया।मनोहरसिंह के अलावा , कोई था जिसे वह पल पल की खबर देता।निर्वा के बडे भाई जयराजसिंह वह फ्रांस मै थे पर सनतसे बराबर राब्ता रखते, पिछले कुछ सालों से निर्वा से भी बात कीया करते।...सनत ने उनसे बात की और बुके और डोक्टर वाली बात बताई और डोक्टरकी डिटेल्स जो उसने ओफिस से ली थी भेज दी...।डोक्टर सीसीटीवी मै सब हीलचाल देख रहा था,,, वह बडबडाया" जरूर इसने जो मेरी डिटेल्स निकलवाई थी वह भेजी होगी कीसीको...खुद को बहोत स्मार्ट समझता है।""मेरा चक्रव्यूह तोडने मै इन लोगो की पुरी जिंदगी चली जायेगी।"....@ डो.चांदनी अग्रावत ‹ Previous Chapterपरछाईया - भाग 4 Download Our App