Adhura Ahsaas - 2 in Hindi Love Stories by Rahul books and stories PDF | अधूरा अहसास.. - 2

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अधूरा अहसास.. - 2

..... निरंजन अब परेशान होने लगा था।
उसे जिन चीजों की कीमत मालूम थी,वो तो आसानी से बता देता था।
मगर,कुछ चीजों के लिए उसे राजेश को फोन करना पड़ रहा था।
मगर इस महाशय ने तो अपना मोबाइल ही बंद कर रखा था।
राजेश ने निरंजन को आधे घंटे में वापस आने के वादे पर उसे ,
अपने दुकान में बैठने को कहा था।
राजेश और निरंजन साथ में पढ़ते थे।राजेश ने पढ़ाई बीच में ही रोककर आपने पिता के व्यवसाय को संभालना शुरू किया था।
और निरंजन खुशहाल परिवार से था तो,उसे फिलहाल इस बात को कोई चिंता नहीं थी।
वह तो अपनी एकेडमिक लाइफ को बखूबी एंजॉय कर रहा था।

घड़ी में 2 बज रहे थे।राधिका ने कहा अब मुझे जाना है।अनामिका मेरा इंतजार कर रही होगी।
कॉलेज से मार्केट 1 मिल दूरी पर स्थित था।
वो आते समय तो पैदल आई थी,मगर अब जल्दी जाने के कारण अब नही जा सकती थी।
खास लोगों की मिलने की ,यह जगह थी।
काफी पुराना रेस्तरांत था।
सीढ़ियों से नीचे आते हुए...राजेश ने पहली बार राधिका का हाथ अपने हाथ में थामा था। वो जिस भावना में बह रहा था ,उसे शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल भर सा था।
यह वह स्थिति है,जो इसमें डूब जाता है।
वही उसे अनुभव कर पाता है।
किसी दूसरे व्यक्ति के हृदय में खुद के लिए ,
मधुर गीत का बजना ,वाकई कमाल का अनुभव होता है।

चाहकर भी उसने राजेश का हाथ छुड़ाने की ,
कोशिश नही की।
बस एक नजर भर के उसके तरफ देखा....
उसने चेहरा स्कार्फ से ढक लिया था,उसकी सिर्फ आंखे दिख रही।
चेहरे पर हल्की हल्की मुस्कान लिए दोनो बाहर आ गए।
राजेश ने एक नजर आस पास दौड़ाई ,
उसने राधिका से बाइक पर बैठने का इशारा किया।
और उसके कॉलेज की तरफ निकल पड़ा।
उसे वह ड्रॉप करके वह,
अपने शॉप के लिए निकल पड़ा।
दुकान में पहले से इसके पापा आ चुके थे।
उन्हें देखकर अब राजेश की धड़कने बढ़ने लगी थी।
अब उन्हें क्या बताया जाए इस ,विचारो की गति में वो था ही की,
निरंजन ने कह दिया ।
धन्यवाद भाई ....तेरी वजह से मेरा काम हो गया।
उसके पापा ने निरंजन के तरफ देखते हुए कहा..कोनसा काम था तुम्हारा.?
निरंजन ने जैसे तैसे बाइक के संदर्भ में कुछ बाते बताकर समय को टाल दिया।
उसके पापा भी ज्यादा कुछ न बोलकर वहा से जाने के लिए निकल पड़े।
और साथ में। दुकान छोड़कर न जाने के हिदायत देना भी नही भूले।

कुर्सी पर बैठते हुए,
राजेश ने चायवाले अंकल को फोन लगाया।
नमस्कार ..मामा ,
बोलो...
दो स्पेशल चाय..
लेकर आता हूं...कहकर मामा ने फोन काट दिया।
तुमने फोन क्यों बंद कर रखा था,?
निरंजन ने राजेश से सवाल किया।

अरे....बस ऐसे ही।
क्या हुआ बताओ...
राजेश बात को शुरू ही करता की,
चायवाले मामा ने जोर से बोला।
स्पेशल चाय...
उनके तरफ हसकर देखते हुए...उसने दो कागज के टुकड़े टेबल पर सरकाए।
ताकि टेबल पर कोई दाग न लगे।
...शाम में मिलते है।
हा ठीक।
कहकर निरंजन चला गया।

कॉलेज के कैंपस में अनामिका कुछ लिख रही थी।राधिका ने दूर से उसे देखा और उसके तरफ बढ़ने लगी।
लास्ट वाला lecture आज हुआ नही था।
तो उसके संदर्भ में ही,
अनामिका कुछ पढ़ रही थी।
...