Is this what you call love? in Hindi Anything by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | क्या यही प्यार है?

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क्या यही प्यार है?

1.
कुछ चीजे एक साथ ही अच्छी लगती है
जैसे आप और हम

2.
मैं आई तो थी फ़ेसबुक में मोहब्बतें इश्क लेकर
यहाँ तो सब जख्मों के इलाज ढूंढ रहे हैं ...!

3.
लोग चाहे कितने भी करीब हो किसी के
मगर हर कोई अकेला है जिंदगी के सफ़र में !

4.
अगर मोहब्बत की हद नहीं है
तो दर्द का हिसाब क्यूँ रखूं ...!

5.
सबसे ना मिला करो इतनी सादगी के साथ ये दौर अलग है
ये लोग अलग है अगर आप दौर में वफ़ा ढूंढ़ रहे हो
तो यकीनन आप जहर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो !

6.
आयेगी आयेगी आयेगी किसी को हमारी याद आयेगी ...
मेरा मन कहता है ...
प्यासे जीवन मे आयेगी आयेगी हमारी याद आयेगी ।

7.
तेरी रूह में उतरने के बाद
खुद की रूह में अब कहां रहते हैं
कल रहा करते थे खुद में
मगर आज हम तुझ में रहते हैं !

8.
कितने अरमानों का गला दबा दिया हमने
कौन कहता है हमारे हाथों कोई कत्ल नहीं हुआ ...!

9.
एक उम्र निकाल दी बिना मिले तुमसे
और लोग हमें इश्क़ करना सिखा रहे हैं ...!

10.
कौन कहता है की हम झूठ नही बोलते
एक बार खैरियत पूछ कर तो देखिए !

11.
जानना अलग बात है
और महसूस करना अलग
और तुम्हें
तुम्हें तो मैंने जिया है !

12.
तुझे खोने का डर फिर से न हो, इसलिए
तुझे पाने की उम्मीद भी छोड़ रखी है, मैंने ...!

13.
सुना है सब को मिल बाँट कर खाना चाहिए,
आ जाओ आज ज़हर हाथ लगा है मेरे !

14.
इश्क की गहराईयों में...
खूबसूरत क्या है ...
एक मैं हूँ,
एक तुम हो और ज़रुरत क्या है ...!

15.
कितने अरमानों का गला दबा दिया हमने
कौन कहता है हमारे हाथों कोई कत्ल नहीं हुआ ...!

16.
हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो,
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो।

17.
जो इश्क़ तक़लीफ़ न दे वो इश्क़ कैसा,
और जो इश्क़ में तक़लीफ़ न सहे वो आशिक़ कैसा

18.
खूबियां देखकर तो कितने,
प्यार जतायेंगे जिंदगी में...
जगह उसे ही दो दिल मे जो,
कमियाँ देखकर भी साथ ना छोड़े...

19.
ना जाने कितने ही लोग
अकेले रह जाने के डर से...
बेक़दरे लोगो के साथ बंधे रहते है ...!

20.
अदा फेंकने कि अदा हमें आती ना थी
पर ज्यों मुस्कुरा कर देखा उस ने,
त्यों पिघल, अजंता कि मूरत बन गये ...!

21.
रूबरू मिलोगे तो कायल हो जाओगे,
दूर से तो हम मगरूर ही दिखाई पड़ते है !

22.
सुनो
तुम्हें मैं क्या लिखूँ
शाम लिखूँ कि
जलता चराग लिखूँ
इश्क लिखूँ
या इश्क के पार लिखूँ
तुम्हारी मुस्कुराहट
जो गिराती हैं
अक्सर बिजलियाँ मुझपे
उस मुस्कान को नसीब लिखूँ...
या अपनी जान लिखूँ
दूर लिखूँ कि इस दिल के पास लिखूँ
धड़कन लिखूँ
या धड़कनों के राज़ लिखूँ
या अपनी शायरी मै लिखूँ
सुन न बता तुम्हें क्या लिखूँ...

23.
तुम्हारे पास ही तो हूँ ज़रा ख्याल करके देखो ...!
आँखों की जगह दिल का इस्तेमाल करके देखो ...!!

24.
पाया तो तुझे बूंद सा भी नहीं ...
तुझे खोने का डर समंदर सा हैं।

25.
कोई एतराज नहीं है
बिखरने में मुझको ...!
तुम अगर अपनी बाहों में
संभालने का वादा करो ...!

26.
मैं सोचती हूँ कोई हद नहीं मोहब्बत की !
तेरे ख्याल के जब दायरे बिखरते हैं !

27.
हर जन्म में तेरी मोहब्बत ही बनूं
ये ख्वाहिश है ...
मैं इग्नोर करूं तुझे तेरी तरह,
और तू मुझे चाहे मेरी तरह
रब से ये गुजारिश है।

28.
मोहब्बत मेरा दर्द और शायरी मेरी दवा है
एक तरफ सुनसान राह
और दूसरी तरफ महफ़िल की वाह वाह है।