आज भी तेज बारिश थी।
मगर वो आज मेरे साथ नही थी।
लेकिन इस तेज बारिश में गिरती बूंदों का मिट्टी में मिलकर महकना ठीक वैसा ही है जैसा मेरा उसके प्यार में महकना
सुबह के 7 बजे थे। आज मुझे बाजार कुछ काम से जाना था ,, बाजार घर से 15 किलोमीटर दूर था। मैं अहमदाबाद के एक पॉश इलाके में रहता था। वहां सभी चीजें काफी महंगी मिलती थी।
इसलिए मैं कुछ सस्ते वाले बाजारों से जाकर सामान खरीद लिया करता था । जिसे यहां लाल दरवाजा , कालूपुर मार्केट कहते थे। ऐसे और भी कई बाजार थे यहां जहां सस्ता सामान मिल जाया करता था।
मैं बाजार के लिए निकला और जिन सामान की जरूरत थी वह लेकर लौट रहा था । मौसम बड़ा ही सुहावना था । बारिश के बाद हल्की धूप खिली थी ।कभी धूप आती कभी जाती। आसमान कुछ बादलों से अब भी ढका हुआ था । मेरा दिल किया की मैं कुछ देर नदी के किनारे जाकर बैठ जाऊं । यहां पर वस्त्रापुर में एक तालाब था मगर वहां उतना मजा नही आता था । मजा आता था तो सिर्फ रिवर फ्रंट । रिवर फ्रंट रास्ते में तो नही पड़ता था किंतु मैने आज वही से जाने का मन बनाया ।
मैं रिवर फ्रंट जाकर अपनी बाइक पार्क कर के सीढ़िया उतर कर नदी को देख रहा था । नदी की कल कल ध्वनि और लहरों से उठती आवाज मन को बहुत आनंद दे रही थी।
मैने वहां एक प्रेमी युगल को देखा। लड़का पत्थर की बनी बेंच पर बैठा था और लड़की उसके पैरो के बीच उसकी गोद में । लड़का लड़की को बाहों में लिए उससे बात कर रहा था । और लड़की को बहुत शर्म आ रही थी।
मुझे उसकी याद आई । बात चार साल पुरानी है,, उससे हुई पहली मुलाकात,,,,
उसदिन बारिश ही थी।
मैं कॉलेज के अंतिम वर्ष में था और कॉलेज से घर जाने निकला था कि अचानक तेज बारिश शुरु हो गई मेरी कॉलेज के रास्ते में रिवर फ्रंट पड़ता था । बारिश से बचने के लिए एक ब्रिज के नीचे खड़ा हो गया । थोड़ी ही देर में बारिश बहुत तेज हो गई थी। धीरे धीरे लोग वहां इकट्ठा होने लगे थे । और अचानक एक एक्टिवा मेरी बाइक के पास आकर रूकी मेरी नजर मेरी बाइक पर थी लेकिन वह मेरी बाइक और मेरी नज़रों के बीच ही आ गई ।
मैने उससे नज़रे हटा ली। लेकिन ना सिर्फ उसने अपनी एक्टिवा मेरी बाइक के पास रखी बल्कि खुद भी इतने लोगों की भीड़ और इतनी जगह होने के बावजूद मेरे करीब आकर खड़ी हो गई। वह पूरी भीगी हुई थी,, उसने अपना मुंह दुपट्टे से कवर किया हुआ था । उसके कपड़े उसके बदन को चिपके हुए थे । जिस वजह से वहां खड़े कुछ मनचले लड़के उसी को घूरे जा रहे थे । वह असहज हो गई । वो लड़के उसी के पास आने के लिए आगे बड़े,, उसने आसपास देखा तो सब जेंट्स थे । कुछ लेडीज थी मगर वो थोड़ी ज्यादा उम्र की थी और उसे बड़े अजीब तरह से देख रही थी । उसकी समझ ना आया क्या करे।
मैने उसे एक नजर देख कर अपनी नजरें हटा ली थी। उसने मेरी और देखा तब मैं मोबाइल में बिजी था । लड़के अब उसके बहुत ज्यादा करीब आ रहे थे वह घबराई हुई थी । उसे कुछ समझ ना आया तो वह जल्दी से मेरे बहुत करीब आ गई ।
मैं इस बात से अनजान था । वह मेरे करीब आई लेकिन हिचकिचा रही थी बात करने में। इसलिए उसने अपना फोन निकाला ताकि किसी को कॉल कर सके।
पर फोन भीग कर डैड हो चुका था उसे अब बहुत गुस्सा आने लगा था वह चिडकर बोली शीट यार।
मैने महसूस किया कि वह मेरे बहुत पास आ चुकी है मेने उसकी और देखा वह मुझी से बात करने के लिए मेरी और मुड़ी थी और मैने अपना मुंह उसकी और किया था जिस वजह से हम दोनों एक दूसरे के बहुत करीब आ गए थे । मेरी आंखे उससे और उसकी मुझसे मिली।
उसकी आंखे बहुत खूबसूरत थी। कहते है प्यार की शुरुआत आंखों से होती है और दिल तक जाती है।
मेरे दिल में भी घंटियां बजने लगी थी । मैं उसकी और देखे जा रहा था । उसने धीरे से मुझसे कहा – आपका फोन मिल सकता है क्या? मेरा फोन डैड हो गया है ।
हमारा ले लो मैडम – अब सभी लड़के उसके बहुत करीब आ चुके थे। और उनकी इस बात का मतलब मैं अच्छी तरह समझ गया था मगर वो शायद उस तरह की बातों से अनजान थी ।
उसने उन लड़कों को इग्नोर कर दिया।
उस लड़की ने कहा – क्या आपका फोन मिलेगा ?
मैने उसे अपना फोन दिया । वह मेरा फोन लेकर साइड में जाकर किसी से बात करने लगी और मैंने घुरकर उन लडको की और नजर डाली । उनमें से एक बोला – क्यों हीरो बन रहा है ?
मैने कहा – चले जा यहां से ,, तमाशा मत कर। पब्लिक प्लेस है और सभी मेरा साथ देंगे ।
उसने आसपास नज़रे दौड़ाई तो ज्यादातर लोग उनकी तरफ देख रहे थे।
वो लड़के वहां से जाने लगे।
उस लड़की ने मेरा फोन मुझे दिया। और देखा कि वो दूसरे लड़के नही है तो पूछने लगी। उन्हे तुमने भगाया?
मैने हां में गर्दन हिला दी।
वैसे थैंक यू _ उसने कहा।
अब वह मुझसे थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गई। और अपने मुंह से दुपट्टा खोलने लगी। जैसे जैसे उसके चेहरे से नकाब हट रहा था मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी।
उसने अपना पूरा मुंह खोल दिया और दुपट्टे का पानी निचोड़ने लगी। मैं उसे देख कर बस देखता रह गया। खुले गीले लंबे बालों की लट मेरी जान ले रही थी। वो बहुत गौरी थी और बारिश में भीगने से उसका रंग और निखर कर आ रहा था । जैसे सुबह की पहली किरण से फूलो पर बनने वाली ओस की बूंदे फूलों को निखारती है।
उसने अब तक अपना दुपट्टा निचोड़ कर अपने बदन पर ढक लिया था । और अब वह अपने बाल सुखा रही थी।
वो दिन मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था। तभी एक कार वहां आकर रूकी । उसमे से एक बंदा निकला वह प्रतीक था प्रतीक शर्मा मेरा स्कूल फ्रेंड।
वह उसी लड़की की और जा रहा था मुझे लगा वह प्रतीक की गर्लफ्रेंड होगी । इसलिए मैने अब उसकी आस छोड़ दी। लेकिन दिल में एक टीस उठ रही थी ।
प्रतिक ने जब मेरी और देखा तो मेरे पास आकर हाथ मिलाया और बोला – थैंक यू विशु। ये मेरी बहन आकृति है।
उसके मुंह से बहन सुनकर दिल फिर हिलोरे लेने लगा।
आकृति मुझे देख कर मुस्कुराई। और बोली। आप शायद मुझे नही जानते क्योंकि आप कभी भी प्रतीक भैया के साथ घर नही आए थे लेकिन मैं आपको पहले से जानती थी। इसलिए मैं आपके पास आई । वरना इतनी भी बेवकूफ नहीं कि किसी अनजान लड़के से बात करूं।
प्रतिक ने कहा – आकृति तुझे 10 थ स्टैंडर्ड से पसंद करती है विशु। और इसने मुझे कहा था कि शादी करेगी तो तुझी से।
ये सुन कर मैं तो हतप्रभ था। एक ही दिन में मेरे साथ इतना कुछ हो गया था कि मेरी कुछ समझ नही आ रहा था। बारिश अब रुक चुकी थी । प्रतिक को आकृति ने इसी लिए बुलाया था कि वो मुझसे मिल सके।
उसके बाद तो मेरा और आकृति का प्यार परवान चढ़ गया था। मेरी रोज उससे बातें होती । घरवालाे को मंजूरी से मेरी उसके साथ सगाई भी हो गई । जिंदगी बहुत खूबसूरत थी उसके साथ ।दो साल पहले मेरी उससे शादी फिक्स हुई थी। हम दोनो ही शादी की शॉपिंग कर रहे थे । लगभग सारी तैयारियां हो चुकी थी। शादी को बस 10 दिन बचे थे। उसदीन तेज बारिश हुई आकृति मुझसे मिलने की जिद कर रही थी । वह बोली उसी तरह उसी जगह मिलना है जहां हम पहली बार मिले थे मैं वही तुम्हारा इंतजार कर रही हूं जल्दी आना विशु। आई लव यू सो मच।
आकृति बच्चो की सी जिद ना करो बारिश तेज़ है घर में रहो मैं घर आ जाता हूं । – मैने उसे समझाया।
वह नही मानी और उसने कहा – विशु शादी के बाद जिंदगी एक दम बदल जायेगी । प्लीज ये मेरी आखरी इच्छा पूरी कर दो फिर तुमसे कभी कुछ नही मांगूंगी।
ना जाने क्यों मेरा दिल घबरा रहा था। मैने उसकी जिद के आगे घुटने टेक दिए। और घर से उसे मिलने निकल पड़ा।
जब रिवर फ्रंट पहुंचा तो पुलिस और एंबुलेंस दौड़ रही थी। काफी भीड़ थी। पुलिस किसी को पूल के नजदीक नही जाने दे रही थी कारण – पुल बारिश की वजह से ढह चुका था और उसके नीचे खड़े लोग उसके मलबे में दबे हुए थे। मेरे दिल की धड़कने बढ़ गई थी । मेरे हाथ पैर कांपने लगे सांसे फूल गई । मैने देखा स्ट्रेचर पर आकृति को लेकर आ रहे थे । जब मैंने पूछा तो रेस्क्यू बॉय ने बताया – शी इस डेड।
मैं वही चक्कर खाकर गिर गया। जब उठा तो समझ नही आया मैं कहां था। मेरी आकृति की आखरी इच्छा भी मैं पूरी ना कर पाया। ये सोच सोच कर मैं रोने लगा।
आज भी आंखे नम थी । बारिश तेज़ हो चली थी इसलिए मैं नदी के किनारे से उसी पूल के नीचे आकर खड़ा हो गया था ठीक वैसे ही अपनी बाइक रखकर और दुआ कर रहा था कि आज भी ये पूल गिर जाए और सिर्फ मेरी जान चली जाए । बाकियों को ईश्वर जीवन दान दे मेरी नज़रे मेरी बाइक पर थी और में सोच रहा था आखिर उसदीन कैसे गिरा होगा पूल कितना दर्द हुआ होगा आकृति को और तभी एक एक्टिवा मेरे और बाइक के बीच आकर रूकी ।
एक लड़की उसपर से उतरी वह पूरी भीग चुकी थी। और ठीक उसी दिन की तरह वह मेरे करीब आकर खड़ी हो गई उसने भी मुंह पर दुपट्टा बांधा हुआ था। और जब दुपट्टा निकाला और मेरी और देख कर मुस्कुराई तो मेरा दिल धड़क उठा । क्योंकि इसकी शक्ल आकृति से काफी हद तक मिलती थी। शायद 80–90%।
मैने उससे उसका नाम पूछा तो वह अपनी भौंहे सिकोड़ कर बिना नाम बताए दूसरी और देखने लगी।
मेरा दिल एक नई उमंग एक नई खुशी से भर उठा। जिंदगी मुझे दूसरा मौका दे रही थी। मैने मौत मांगी थी भगवान ने मुझे जिंदगी दे दी। मैं उसे खोना नही चाहता था मैंने उससे कहा – आपकी शक्ल मेरी गर्लफ्रेंड से काफी मिलती है।
उसने कहा – पुराना तरीका है बात करने का मिस्टर।
मैने उसे फोन में से आकृति की फोटो दिखाई तो देख कर वह आश्चर्य से बोली – ओह माई गोड। शी लुक्स लाइक मि। मुझे इनसे मिलना है प्लीज।
मैने उसे बताया कि यह अब इस दुनिया में नही । तो उसने कहा – आई एम सॉरी।
मैने उसे कहा – क्या हम दोस्त बन सकते है।
वह मान गई और अपना नंबर मुझे दे दिया। मैने पूछा – तुम्हारा नाम।?
प्रकृति– उसने बताया।
नाम भी बहुत हद तक मिलता था।
हमारी बातें शुरू हो गई । प्यार भी हो ही जायेगा।
बारिश का मौसम दिलों को जोड़ने का ही काम तो करता है । मेरा दिल भी जुड़ गया था । बस उसका जुड़ना बाकी था। मेरे लिए दुआ करना दोस्तों ।
~कामिनी✍️