Insaan - 3 in English Short Stories by Rahul books and stories PDF | इंसान... - 3

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इंसान... - 3

.......हरिया सड़क से बैलों को दौड़ते हुए ले कर आ रहा था।उनके गलें में बंधी हुई घंटियां काफी लय के साथ आवाज कर रहे थी।
लोग उन आवाज के तरफ आकर्षित हो रहे थे।और हो भी क्यों न.?
आखिर वो जानवर बेहद ही शानदार थे।
लोगों के विस्मय कारक भाव देखकर तो ,गंगादास खुद की परखी नजर की मन ही मन में तारीफ कर रहा था।
वे जानते की काशीनाथ इस बात से खुश नहीं होगा मगर राकेश और नरेश को काफी आनद होगा।
काशीनाथ गंगादास का छोटा बेटा है।
और वह सरकारी नौकर है।वह अपने पिता की हरसाल बैलों को बदलना नया खरीदना इन बातों का जमकर विरोध करता है।
मगर उसकी बात को गंगादास हासकर टाल देता है।
क्योंकि खेती में जुताई का काम , सामान ढोने का कार्य उन्हें ही करना पड़ता है।
तो उनको आने वाली परेशानियां वह बखूबी जानते है।और उनसे निपटना भी।
वे जानते है की,
काशीनाथ की नाराजगी किस बात पर है.!
इस साल खेती की उपज में कमी हुई है,
और कुछ लोगों का कर्ज चुकाने के लिए गंगादाज जी ने काशीनाथ को पैसा देने को कहा था । मगर उसका कहना था की
मुझे अपने बहुत से खर्चे होते है।
वो ही नहीं संभल रहे तो आप मुझे क्यों इसमें परेशान कर रहे।

उसकी बात भी सही थी,
लेकिन कभी कभी होता है खेती में ऐसा की,
जितनी लागत हो उतनी भी नही निकल पाती।
अगर ऐसे स्थिति उत्पन्न हो जाए तो ,किसान 2 से 3 साल पीछे चला जाता है।हर चीज फिर से नए सिरे से शुरू करनी पड़ती है।
हरिया घर के आंगन में। बैलों को लेकर आता है।
मालकिन को आवाज लगाता है।
आम के पेड़ के छाव में। कंचे खेल रहे मनोज अविनाश और शरद अपना खेल अधूरा छोड़कर दौड़े चले आते है।
उसमे से शरद घर में जाकर अपनी दादी से बैलों को पूजा करने के लिए चलने को कहता है।
चूंकि इसके लिए उन्हें हरिया ने भी आवाज लगाई होती है ,
मगर रसोईखाने काफी पीछे होने के कारण उन्हें से सुनाई नही पड़ा।
वो तुरंत ही दो रोटी और उसपर ढेर सारा गुड लेकर साथ ही में
दिया लेकर आती है।
बैलों के पैरो पर जल डालकर उन्हें टीका लगाते है।
और रोटी पर गुड रखकर उन्हें खिलाते है।और उन्हें अपने पीछे पीछे ले जाकर आम के पेड़ के छाव में बांध देते है।
आज छुट्टी होने के कारण काशीनाथ अपनी पत्नी संग अपने ससुराल गया था।जो की उसके गांव से लगभग दस मिल की दूरी पर था।
जब वह वापस आकर देखता है तो उसे जिस बात का शक था बही हुआ।
उसके पिता ना उसके नजर अच्छे होने वाले बैलों की अदला बदला कर ली थी।
अपने मुख पर वह नाराजगी के भाव छुपा नहीं पा रहा था ।
मगर अपने पिता के शब्दों के उसे अधीन ही रहना पड़ेगा।
उसने अपनी मुख से शिकन के भाव हटकर मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए कहा,
बापू जी अच्छे है।
गंगादास जी ने जवाब में। कहा , हा।
तभी तो में ले आया हूं