Bhayanak Yatra - 13 in Hindi Horror Stories by नंदी books and stories PDF | भयानक यात्रा - 13 - गायब सतीश ।

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भयानक यात्रा - 13 - गायब सतीश ।

हमने देखा की किल्ले पे सबको बर्मन के बारे में जानकारी लेते रात का समय हो जाता है , तब वो जगपति जो की एक टैक्सी वाला होता है उससे मदद मांगते है , वो अपनी गाड़ी में बिठाके उनको अपने घर पे रहने के लिए ले जाता है। रास्ते में वो हितेश से बात करने की कोशिश करता है । लेकिन उसकी कोशिश ना काम रहती है , हितेश के अलावा और सब भी एक दूसरे से बात नही कर रहे होते । जगपति को ये बात खटक रही होती है , तभी अचानक गाड़ी एक पत्थर के कारण फस जाती है । गाड़ी को वहीं छोड़ते उनको गांव की तरफ पैदल जाना पड़ता है । जगपति सबको अपनी छोटी सी खोली में अंदर बुलाता है , और उनको अपनी पत्नी से परिचित करवाता है । फिर वो हितेश से परेशानी का कारण पूछता है , हितेश जगपति को बर्मन के गायब होने की पूरी कहानी सुनाता है । जो सुनके जगपति थोड़ा सा व्याकुल हो जाता है और अपने विचारो में कहीं खो जाता है ।

अब आगे.....
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हितेश जब जगपति को बर्मन के गायब होने की कहानी सुनाता है तब जगपति अपने विचारो में मग्न हो जाता है , जो देखके वहां बैठे सब लोग उसको देखने लगते है । सब जगपति के बोल ने का इंतजार कर रहे होते है , तभी कहीं से एक खांसती हुई आवाज आती है !!!
वो लौटेगा अगर उसकी किस्मत में होगा , लेकिन वो आएगा जरूर जिंदा या मुर्दा – एक कांपती हुई आवाज जो कहीं कोई कोने से आ रही थी ।
आवाज सुनके सबकी नजर कोने में सोए जगपति के पिता की तरफ चली जाती है ।
फिर से वो बोलते है मायाजाल है वो किल्ला अगर वहां कोई फस गया तो ... ( खांसी की आवाज ) या डर से मर जाता है या भूख से । उसका राज़ कोई नही जान पाया है ।

ये सुनके विवान और डिंपल पहले से डरे हुए थे जो अभी ज्यादा डरने लग गए । जगपति अपने पिता की तरफ़ मुंह करके बोलता है – हां , वो किल्ला लोगो के लिए मृत्यु द्वार है । वहां का माहोल जबसे राजा की मृत्यु हुई है उसके बाद से भूतिया हो चुका है । जो इतने सालों में कई लोगो को अपने अंदर समा चुका है ।

हितेश जगपति को देखता है और कहता है – क्या हमे किल्ले के बारे मे पूरी जानकारी मिल सकती है ?
जगपति कहता है – मिल तो सकती है लेकिन ,वो जानकारी से आपको कोई लाभ नहीं होगा ।
हितेश कुछ सोच कर बोलता है ठीक है फिर भी थोड़ी जानकारी हमे चाहिए जो शायद हमारे दोस्त की जान बचा ले ।
जगपति अपना सिर हां में हिलाता है,
उसी समय सुशीला गरम गरम चाय और थोड़े से तले हुए चावल के पापड़ लेके आ जाती है , और सबको चाय नाश्ता देती है ।

सब चाय नाश्ता कर ही रहे होते है तभी जगपति डिंपल से पूछता है – बहन जी , क्या आपको डर लग रहा है?
डरिए मत, यहां डरने जैसा कुछ नही है । किल्ले से ये गांव दूर है ।
ये बात करते समय सुशीला अंदर रसोई में खाना बना ने चली जाती है , और जगपति वहां से उठके बाहर की तरफ चला जाता है ।
सब अकेले बैठे ही होते है तभी एक लकड़ी के गिरने की आवाज आती है , वो जगपति के पिता की खाट से आ रही थी , जो की कोने में था जहां अंधेरा था ।
तभी खाट से उसके पिता की उठ ने की आवाज आती है , और खाट पतली सी और कानों में दर्द करे ऐसी आवाज करता है और उनको कानों में जोर का दबाव महेसुस होता है । जिसके कारण सब के हाथ अचानक से अपने अपने कान की तरफ बढ़ जाते है ।
फिर सबको एक झुके हुए आदमी की छाया अंधेरे से रोशनी की तरफ आती दिखती है , जो हाथ में लकड़ी ले के खट खट सी आवाज से धीरे धीरे चल रहा होता है ।
जगपति के पिता जहां से आ रहे होते है वहां एक छोटी सी खिड़की होती है उसकी आधी रोशनी की वजह से जगपति के पिता का कदावर शरीर जो की झुका हुआ था वो बाहर से देखने पर बड़ा ही विचित्र लग रहा था ।
थोड़े बहुत कदम चलने के बाद जगपति के पिता बाहर की तरफ आए और उनको देखके जूली के मुंह से एक भयानक सी चीख निकल गई और विवान और डिंपल ने हितेश को कश के पकड़ लिया । जूली का मुंह दूसरी तरफ हो गया और हितेश उनको देख कर स्तब्ध हो गया ।
जगपति के पिता का चेहरा जला हुआ था , एक आंख जलने की वजह से पूरी बंद हो गई थी और एक तरफ का मुंह हल्का सा बगैर चमड़ी का था , जहां से उनके दांत और जुबान दोनो दिख रहे थे । सिर में बाल नहीं थे , और दाढ़ी वाला हिस्सा एक तरफ से दबा हुआ था और दूसरी तरफ सफेद रंग के बाल थे । हाथ की चमड़ी काली हो गई थी हाथ का पंजा गायब था । पैर किसी ने बांध दिए हो वैसे टेढ़े चल रहे थे ।
जूली की चीख सुनकर बाहर बिस्तर जमा रहा जगपति तुरंत दौड़ कर अंदर की तरफ आया । वो अपने पिता को वहां देखकर पूरा माजरा समझ गया । सुशीला भी वहां आ गई थी उसने जूली को सम्हालते हुए कहा – अरे बहन जी आप डरो मत , ये हमारे पिता जी है ।

जगपति ने बात को सम्हालते हुए कहा – ये मेरे पिताजी है , जो कुछ साल पहले एक हादसे में जल गए थे । तब से ये ऐसे ही है , आप सबको डर ने की जरूरत नहीं है ।
हितेश ने पूछा कौनसा हादसा ?
भाई साब , हमारे पिता जी तेल की फैक्टरी में काम करते थे , वहां किसी ने जानबूझ कर आग लगा दी ।
वहां कई लोग जिंदा जल गए और कई लोग इनकी तरह जल गए । कई महीनो तक अस्पताल में इनकी सारवार चली थी उसके बाद ये ठीक हुए है । सरकार ने ये हादसे के बाद फैक्टरी को सील कर दिया था ।

ये सुनकर विवान ने बोला – तो फिर वो फैक्टरी का क्या हुआ ? अभी तक वो बंद है ?
जी भाई साब ,वो बंद हो गई – जगपति ने कहा ।
लोग कहते है कई बार वो फैक्टरी की मरम्मत करवाई , उसको फिर से चालू करने की कोशिश करी लेकिन वो फिर से चालू नही हो पाई । गांव के लोग आज भी वहां जाने से डरते है ।

जगपति के पिता ने कहा – हां , वो अब शापित हो चुकी हैं , ना वहां कोई काम कर पाता है ना वो जमीन कोई खरीद सकता है ।
जगपति की माई भी जूली की आवाज सुनकर उठ गए थे , लेकिन जोड़ों में दर्द के कारण वो उठ नही पाते थे ।
वो कान से कम सुन ते थे इसीलिए वो खोली के कोने में बस खाट पे बैठ गए थे ।

उसी बीच डिंपल की नजर सतीश जहां बैठा था वहां गई , वहां से सतीश गायब था । ये देखकर वो चिल्ला के बोली – सतीश कहां है हितेश ? अभी तो यहीं बैठा था मेरे पास ?
हितेश ने मुड़कर देखा और वहां सतीश को ना देख जट से खड़ा हो गया और बाहर की तरह भागने लगा । जैसे उसको पता हो कि सतीश कहां होगा ।

हितेश को ऐसे बाहर की तरफ भागते देख सब उसके पीछे पीछे खोली के बाहर की तरफ दौड़े । बाहर की तरफ हितेश ने देखा तो वहां सतीश का कोई नामो– निशान नहीं था ।

उसने जोर से आवाज लगाई – सतीश कहां हो ?
लेकिन उसके आवाज लगाने का कोई फायदा नही हुआ , कहीं से भी सतीश की आवाज नही आई ।

कहां गायब हो गया सतीश ? क्या सतीश के गायब होने के पीछे जगपति का हाथ था ? जगपति के पिता सच में जले थे या बात कुछ और थी ? हितेश अब क्या करेगा ? बर्मन के बाद ऐसे सतीश का गायब होना सबके ऊपर क्या असर करेगा ?
जान ने के लिए पढ़ते रहिए हमारी कहानी भयानक यात्रा ।