Mulakat - 7 in Hindi Short Stories by Anju Kumari books and stories PDF | मुलाकात - 7

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मुलाकात - 7

आपका साथ ऐसे ही बना रहे अपना स्नेह भाव दे आशा है , आगे हमारे साथ बने रहे,......

आनन्द ने कहना शुरू किया और जया तुम्हारा स्वभाव तुम्हारा व्यक्तित्व मुझे बहुत प्रभावित कर गया और जया का हाथ धीरे से पकड़कर बोला जया तुम मुझे बहुत पसंद हो अब जया जो अब तक अवाक सी आनन्द को देख रही थी शरमा गई बोली धत जाओ नही करती तुम से बात, और जाने के लिए उठी आनन्द ने उसका हाथ और जोर से पकड़ लिया बोला कहां जाना चाहती हो
उनकी बात आगे बढती पल्लवी करवट बदल कर बोली चलो अब नीचे चलते है ,बहुत नींद आ रही है । मुझ से और नही लेना जा रहा यहाँ। और नीचे उतर गई साधना उसके पीछे और उनके पीछे जया ।
जया का मन करा था वो आनन्द से थोड़ी देर और बात करे , पर वो नही रूक सकती थी आनन्द ने इशारे से उसे रोकना भी चाहा मना भी किया पर वो नही रूकी, आनन्द कुछ देर टहलता भी रहा छत पर फिर वो भी आ कर अपने कमरे मे लेट गया पर नींद आनन्द और जया दोनो को नही आ रही थी। जया आनन्द के बारे मे सोच सोच कर खुश हो रही थी आनन्द को उसकी बड़ी बड़ी आंखे पर नाक मे पहनी नोज रिंग याद आ रही थी।
पूरी रात न जाने किन किन ख्यालो मे बीत गया बड़ी मुश्किल से थोड़ी देर सो पाये , सुबह जल्दी उठ गये दोनो और कमरे से बाहर आ गए।
दोनो ने चाय पीनी की सोची आनन्द ने कहा चाय बनाता हूं पियोगी ।जया ने कहा मै चाय बनाती हूं , पी कर बताना कैसी है, चाय बनाई कर दोनो बालकनी मे आ गये चाय की चुसकिया लेते हुए आनन्द ने कहा चाय बहुत अच्छी है तुम खाना भी अच्छा बनाती हो गाने भी गाती हो पढ भी रही हो बहुत कुछ आता है तुम्हे जया हस दी दोनो एक दूसरे को देखते और नजर चुरा लेते ।
अब घर मे सब जागने लगे थे आनन्द ने जया का हाथ थाम कर कहा जया मै तुम से कुछ कहूं जया ने हा मे सिर हिला दिया , आनन्द ने कहा मे तुम्हे बहुत पसंद करता हूं तुम्हे और जानना चाहता हूं अपना नम्बर दोगी क्या ? जया जो आनन्द के शब्दो मे खो गई थी बोली क्या करोगे नम्बर लेकर ,तुम्हारी मम्मी को पसन्द नही आयेगा मेरा तुम से बात करना ।
पल्लवी ने आवाज लगाई जया कहां है और बालकनी मे आ गई, दोनो को साथ मे देख कर बोली क्या कर रहे हो दोनो यहां आनन्द ने हस कर कहा भोली न बन कल बताया तो था तुझे की मुझे जया पसन्द है और वो भी आज से नही तेरी एक पिक मे तेरे साथ थी तब से ही ।
अब जया को समझ आया पल्लवी का जिद करना और उसे यहां आने की जिद्द करना सब समझ
रहा था वो पल्लवी पर झूठा गुस्सा करके मुँह फूला के बैठ गई, अब पल्लवी और आनन्द दोनो ही हस पड़े तो जया भी हस दी।
दोनो ने आनन्द से कहा अब हमे होस्टल छोड़कर आ।
और सब सामान लेकर वो तीनो होस्टल के लिए तैयार हो गयी।सब से विदा लेकर वो होस्टल चल दी आनन्द उन्हे छोड़ने आया।
होस्टल पहुँच कर लगा सफर इतनी जल्दी खत्म हो गया, साधना पल्लवी दोनो को छोड़कर चली गई,
आनन्द ने जया से फिर से नम्बर मांगा और हाथ पकड़कर बोला मै तुम्हे मिस करूंगा, जया ने नम्बर दिया और उसे अलविदा कहा ।
अब दोनो घंटो बाते करते , कुछ ही दिनो मे ही दोनो एक दूसरे को अच्छे से जान गये , अपनी सब बाते करते और अपनी फिलिंगस शेयर करते ,जब भी आनन्द घर आता दोनो मिल लेते देखते ही देखते तीन साल निकल गये, दोनो बस एक दूसरे मे बस से गये थे ।दोनो का प्यार
अब काफी लोगो को पता चल गया था ।
अब जया की माता जी का स्वर्गवास हो गया था, और उसके पिता को अब उसकी शादी की चिन्ता सताने लगी थी, जूही की भी एक बेटी हो चुकी थी ।
आनन्द की भी इन्जीनियरिंग पूरी हो चुकी थी ,अब वो भी आगे पढ़ने विदेश जाना चाहता था , वो अब एक बार जया से मिले,
आगे जानने के लिए बन रहिये हमारे साथ......पढने के लिए साथ देने के लिए धन्यवाद ........।