Pyar ki Arziya - 31 in Hindi Women Focused by Mini books and stories PDF | प्यार की अर्जियां - 31

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प्यार की अर्जियां - 31

"संदीप और जतिन के जाने के बाद पापाजी और बेबे जतिन के पैरेंट्स के बारे में सोचते विचारते बात करते हैं ...

पापाजी कहता है ,"किन्नी लाड प्यार से पाल-पोस कर बड्डा की होर धूम-धड़का वीच सब नू बच्चों की ब्याह करी त्वड्डे प्रा और परजाई जी नू , होर आज वोनू बच्चे ही कार से निकाल दिता अनाथ आश्रम पेज दिता ..अफसोस जताते हुए कहता है..!!

बेबे भी अब रूंवसी होकर कहती हैं ,"कि हाल होगी मेरे प्रा जी परजाई जी नू ,कार , परिवार , होकर भी अनाथ आश्रम पेज दिता , बेबे के मन में आघात लगती है और अफसोस करती है .....!!

पापाजी बात करते अपने रूम अंदर जाते हैं तो बेबे की फोन बज उठती है , पापाजी फोन के स्क्रीन देखकर उठा लेता है तो सामने वाले ही बोलना शुरू कर देती है ...

"हेलो मनदीप , भाई साहब और संदीप नू गल हुई कि ना , साड्डी अपणे कार वालों को राज़ी करदी हे, संदीप से सिमरजीत की ब्याह नाल ......??

पापाजी अब थोड़े गर्म भाव से बोलते हैं ,"ना जी, मीता जी अस्सी माफ करी, साड्डे लोग संदीप की दूसरी ब्याह ना करावेंगे ,, होर इक गल सुण लेई मैनू , की फेर मनदीप से फोन ना करी कदी तैनू , फेर मैनू बुरा बनते देर ना लगी ,, सतश्रीकाल जी ...और फोन कट करता है ... फिर तमतमाते हुए रूम से बाहर आकर फोन पर मीता के कॉल दिखाकर कहता है .."ये कि हे त्वड्डे फ्रेंड नू कॉल सी , संदीप होर सिमरजीत नू ब्याह वास्ते वोनू अपणे कार में सबनू मना ली सी इब तैनू भी जवाब मांगिया सी ,कि जवाब देनी हे तैनू अस्सी सुणना हे...??

बेबे अब सिर पकड़कर बैठ जाती है कुछ नहीं बोलती ..!!

पापाजी फिर बोल पड़ता है ," वेख मनदीप, मीता होर वेनू परिवार वीच बड्डे सोच रखिया सी ,वोनू की सोच साड्डे गले ना उतरिया सी समझगी तू , अधी जतिन की गल सुणा ना तैनू मां बाप नू अनाथ आश्रम पेज दिता ,तैनू भी जाणा हे अनाथ आश्रम ये सिमरजीत जैसी कुड़ी नू ही पेज दिता सास ससुर नू अनाथ आश्रम ,होर इक गल दस कदी कन्या पुत्तर नू उल्टे जवाब दिता तैनू , जो‌ तैनू गल करी , कन्या पुत्तर नू साड्डी गल की इज्जत राख करिया होर वैसे ही रही इस कार में ,कदी ऊंचे गल ना करी कुड़ी , दूजी जात के बाद भी हमारे कार की रीति-रिवाज मानि करी , मैनू सुण तू कन्या नू अपना लें इसी पे पलाई सी हम दोनों के वास्ते संदीप नू दे दे उसकी प्यार नू ,,होर अपणी सोच बदल , जिद करने से कार बर्बाद भी हो जाणे हे ,,,,!!

बेबे के दिल में अपने भाई भाभी की बात बार बार याद आती है उन लोगों ने खुद बहू पसंद किया , अपने ही जात में अच्छे घरों से चारों बहूओ को ब्याह कर लाए घर में किसी चीज की कमी नहीं थी ,बड़े घर, गाड़ियां, फिर बहुएं भी अच्छी पढ़ी लिखी थी फिर ये नासमझ जैसे मां बाप को फेंक दिया अपने खुशी और एशो-आराम के लिए ,क्या औलाद को इसी लिए जन्म देते हैं कि जब बुढ़ापे के तो मां-बाप को बोझ समझकर फेंक दें ,मेरे भाई भाभी ने अपने बच्चों के लिए हमेशा अच्छा ही सोचा और किया फेर गलती कहां ‌की ,,सुना तो था मैनू की बहुएं से भाभी की पटती नहीं बहुएं दिन रात किटी पार्टी में दिन गुजारती से बड़े घर के बड़े चोंचले हो जाने है ,गुरू जी ठीक कहते हैं मेरी बहु कन्या तो जुबान भी नहीं खोलती मेरे सामने ,कन्या अपने अतीत से ही डरी रहती है तो क्या जुबान लगाइगी होर दूसरी आई तो मेरी बातें ही ना माने , फेर हो सकता है मुझे उसकी सुनना पड़े तो,अगर उसने मुझे और गुरूजी को अनाथ आश्रम में फेंक दिया तो कि होगा ,, नहीं इससे अच्छा है कन्या ही इस घर की बहू रहे .......!!

आज पूरा दिन बेबे की इसी उधेड़बुन में गुजर जाती है, फिर रात को संदीप आता है ऑफिस से ,,आज खाना बनाने में देर हो जाती है बेबे को , संदीप भी अब किचन में मदद के लिए आता है बेबे की ... फिर डायनिंग टेबल पर सब समान रखकर तीनों खाने के लिए बैठते हैं ,,

बेबे कहती है ,"संदीप पुत्तर मैनू इक गल दसना हे ...??

संदीप खाना खाते कहता है ,"हां बोलो बेबे ..??

बेबे संकुचते बोलती है ,"पुत्तर काल छुट्टी ले लो होर कन्या को ले आओ बैंगलोर से ...??

संदीप बेबे की बात सुनकर खाना लिलते समय अटक जाता है ....
पापाजी पास में रखे पानी का गिलास को पानी पीने के लिए देता है और कहता है ,आराम से पुत्तर ...!!

संदीप पापाजी के हाथ से पानी का गिलास लेकर पीते पीते बेबे के तरफ देखता है , आश्चर्य भरी निगाह से ...!!

बेबे संदीप की रिएक्शन को समझ जाती है फिर कहती हैं ,"ऐनू ना वेख मैनू अस्सी साच बोल रही सी ,जा कन्या को लेकर आ...!!

संदीप अब कहता है, बुझे मन से," ना बेबे मैं नहीं जाऊंगा आप और आपकी बहू जाने ,गलती आप लोग करो और मैं, उस समय मेरे बारे में ना आपने सोचा और ना कन्या ने सोचा ,आप कन्या के हाथ पकड़कर निकाल दी और कन्या चली गई बिना मेरे परमिशन के ,आप दोनों सास बहू के बीच मुझे नहीं पड़ना ,आप ने उसे घर से निकाला है, तो आप जाओ..!!

अगली सुबह...

बेबे और पापाजी संदीप को मनाते हैं ....

पापाजी कहता है ," संदीप तेरे बेबे से हो गई गलती ,अब तू गलती ना कर ...??

संदीप अपने मोजे पहनते हुए कहता है ,"पहले बात समझ नही आई थी, ये सब करने से पहले, आप ने एक बार भी मुझसे पूछी थी ,क्या गलती थी कन्या की,जो घर से निकाल दिया, वो फिर आएगी फिर कुछ करके फिर घर से निकाल देगी तो ..??

बेबे कहती है," इब गलती ना होई ,
होर हम बुढ़े हो रहे हैं कुछ गलती हो गई तो पैर पकड़कर माफी मांगे कि ,ऐसा हे तो मेरी टिकट करवा दे मैं माफी मांग लूंगी कन्या के पैर पकड़ लूंगी ये चाहता हे ना तू ,मायूस होकर कहती है..??

संदीप बेबे और पापाजी को देखकर कहता है ," ठीक है, मैं कल सुबह को निकल जाऊंगा बैंगलोर , आज मुझे ऑफिस बहुत काम ,अभी ऑफिस जाने में देर हो रही है तो चलता हुं ..और अपने कुछ फाइल लेकर घर से जाता है ...!!

अगले दिन बैंगलोर में....

यहां का मौसम बहुत खरब रहता है बारिश लगातार चलते रहती है इसलिए लोगों के जीवन में आलस रहती है ...

संदीप बिना फोन किए बैंगलोर आ धमकता है , एयरपोर्ट से घर आने के लिए टैक्सी के लिए बहुत जद़ोजहद करता है और फायनली भीगते हुए घर आता है और डोर बेल बजाता है....

क्रमशः......