1. शराफ़त का चोला
एक कबूतर और क़बूतरी
पेड़ की डाल पर बैठे थे.
उन्हें बहुत दूर से एक आदमी
आता दिखाई दिया.
कबूतरी के मन में कुछ शंका हुई,
और उसने क़बूतर से कहा कि चलो
जल्दी उड़ चलें, नहीं तो ये आदमी
हमें मार डालेगा.
क़बूतर ने लंबी सांस लेते हुए
इत्मीनान के साथ क़बूतरी से कहा ~
उसे ग़ौर से देखो तो सही,
उसकी अदा देखो, लिबास देखो,
चेहरे से शराफत टपक रही है,
ये हमें क्या मारेगा.
बिल्कुल सज्जन पुरुष लग रहा है.
क़बूतर की बात सुनकर
क़बूतरी चुप हो गई.
जब वह आदमी उनके क़रीब आया,
तो अचानक उसने
अपने वस्त्र के अंदर से
तीर कमान निकाला औऱ झट से
क़बूतर को तीर मार दिया.
औऱ बेचारे उस क़बूतर के वहीं
प्राण पखेरू उड़ गए.
असहाय क़बूतरी ने किसी तरह भाग कर
अपनी जान बचाई औऱ बिलखने लगी.
उसके दुःख का कोई ठिकाना न रहा
औऱ पल भर में ही उसका
सारा संसार उजड़ गया.
उसके बाद वह क़बूतरी रोती हुई
अपनी फरियाद लेकर राजा के पास गई
औऱ राजा को उसने पूरी घटना बताई.
राजा बहुत दयालु इंसान था.
राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को
उस शिकारी को पकड़कर
लाने का आदेश दिया.
तुरंत शिकारी को पकड़ कर
दरबार में लाया गया.
शिकारी ने डर के कारण
अपना जुर्म कुबूल कर लिया.
उसके बाद राजा ने क़बूतरी को ही
उस शिकारी को सज़ा देने का
अधिकार दे दिया औऱ उससे कहा कि
तुम जो भी सज़ा इस शिकारी को
देना चाहो, दे सकती हो औऱ तुरंत
उस पर अमल किया जाएगा.
क़बूतरी ने बहुत दुःखी मन से कहा कि
हे राजन, मेरा जीवन साथी तो
इस दुनिया से चला गया, जो फ़िर
क़भी भी लौटकर नहीं आएगा,
इसलिए मेरे विचार से
इस क्रूर शिकारी को
बस इतनी ही सज़ा
दी जानी चाहिए , कि
अगर वो शिकारी है, तो उसे
हर वक़्त शिकारी का ही लिबास
पहनना चाहिए.
ये शराफत का लिबास वह उतार दे,
क्योंकि
शराफ़त का लिबास ओढ़कर
धोखे से घिनौने कर्म करने वाले
सबसे बड़े नीच होते हैं.
आप भी अपने आसपास
शराफ़त का ढोंग करने वाले
बहुरूपियों से हमेशा सावधान रहें ,
सतर्क रहें औऱ अपना
बहुत ख़याल रखें.
2.
भूलकर गम मुस्कुराओ तो जरा
हाथ जिंदगी से मिलाओ तो जरा
छोड़कर साज़ ये अब उदासी भरा
गीत कोई खुशी का सुनाओ तो जरा
लौट आएंगे अपने भी रूठे हुए
देकर आवाज उन्हें बुलाओ तो जरा
नफरतों का सूरज ये ढल जाएगा
तुम दिए प्यार के जलाओ तो जरा
दुश्मनों से गिला कम हो जाएगा
दोस्तों को आजमाओ तो जरा
मौसम खुशियों का चला आएगा
हाले दिल किसी को सुनाओ तो जरा
3.
यहां पल पल जलना पड़ता है
हर रंग में ढलना पड़ता है,
हर मोड़ पर ठोकर लगती है
हर हाल में चलना पड़ता है,
हर दिल को समझने की खातिर,
बस खुद से लडना पड़ता है,
कभी खुद को खोना पड़ता है
कभी छुप कर रोना भी पड़ता है,
फूलों पर नींद नहीं आती,
कांटों पर भी सोना पड़ता है,
कभी मर के जीना पड़ता है,
कभी जी कर मरना पड़ता है,
फिर लौटकर खुशियां आएंगी
इस आस में भी जीना पड़ता है