Turkalish - 2 in Hindi Love Stories by Makvana Bhavek books and stories PDF | तुर्कलिश - 2

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तुर्कलिश - 2

फेसबुक मैसेंजर पर हजाल का मैसेज देखा, जो मुझसे मेरी स्काइप आई.डी. माँग रही थी। 

 

"8 hat pi" जल्दी ही हम स्काइप पर वीडियो चैट कर रहे थे। 

 

हजाल बेहद खूबसूरत थी। उसके सुनहरे बाल, आकर्षक भूरी आँखें और सुपरमॉडल के जैसा तराशा हुआ चेहरा। ये सब देखकर मैं खुद को हीन महसूस करने लगा।

 

हमने जब पहली बार वीडियो चैट की, तब हमने वॉयस चैट नहीं की, बल्कि वीडियो को ऑन रखते हुए एक-दूसरे को टेक्स्ट मैसेज भेजे। हजाल मुझे बेसिक तुर्की सिखा रही थी लेकिन!

 

यह वीडियो चैट कई घंटे तक चली और गौरव ने मेरे दरवाजे को जब सिगरेट ब्रेक के लिए खटखटाया तब भी मैंने दरवाजा नहीं खोला। 

 

उसे मेरे वीडियो चैट का प्लान मालूम था, इसलिए कुछ एक बार दस्तक देने के बाद वह चला गया। कुछ देर बाद, मेरा इंटरनेट कनेक्शन गड़बड़ होने लगा और हमें अपना वीडियो चैट रोकना पड़ा।

 

'साला! भारत जैसे विकासशील देश से और उम्मीद ही क्या कर सकते हैं, जहाँ लोगों के पास टॉयलेट और पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है?'

 

उस केे बाद हजाल और मैं एक घंटे तक फेसबुक मैसेंजर पर चैट करते रहे और वह मुझे बेसिक तुर्की सिखाती रही। 

 

उस रात हमारी चैट जब खत्म हुई, तब तक हजाल का जादू मुझ पर इस कदर सवार था कि मैंने एक नई कविता लिखने की शुरुआत कर दी, जिसका वादा मैंने उससे किया था।

 

मैंने आखिरी कविता मेरी पूर्व प्रेमिका ईशा के लिए प्रिलिम्स से पहले लिखी थी। उसके बाद पाँच महीने से ज्यादा हो चुके थे और एक बार फिर, मैं एक और महिला से प्रेरित था !

 

एक हसीना से सवाल

 

पाक किताबों को क्या तुम मानती हो? 

गंभीर दिखनेवाले पादरी में तुम यकीन करती हो? 

तुम्हारे आस-पड़ोस में जो खुदा है? 

उन सभी ने कहा था कि तुम आओगी।।

क्या तुम्हें बच्चों की कविताओं में है यकीन? 

 

पुराने जमाने के उपदेशों में? 

खामोशी की मीठी बोली में? 

प्यार के मजहब में? 

क्या तुम इबादतों और वादों को तुम मानती हो? 

 

टूटते तारे की ताकत में? 

करिश्मा और दुआओं के समय में? 

विदाई के चुंबन की बरकत में? 

क्या तुम स्वर्ग और नरक को तुम मानती हो? 

 

ऊपर वाले की मुमलकत और फरिश्तों में है यकीन? 

वे कहते हैं कि कहीं-न-कहीं तुम हो, पर तुम हो क्या? 

 

मुकद्दस रूहों में तुम्हें क्या यकीन है? 

जो तुम्हें महफूज और खुश रखते हैं, 

इस दुनिया की सारी मुसीबतों से। 

क्या तुम्हें गुनाह करने में यकीन है? 

तुम्हें चालों और जादू में है यकीन? 

कहानियों में जिनका होता है त्रासद अंत? 

 

निशानियों और विज्ञान में? 

दैवी संतों और मीठी खुशबू में? 

स्ट्रॉबेरी, इंद्रधनुष, तितलियों और चॉकलेट के रंगों में? 

क्या तुम्हे अब भी दुआ में है यकीन? 

क्या तुम करती हो इश्क में यकीन? 

 

हजाल को जब मैंने बताया कि मैंने उसके लिए कविताएँ लिखी हैं तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसने कहा कि मैं उसे सारी कविताएँ तुरंत मैसेंजर पर भेज दूँ, लेकिन मेरा प्लान थोड़ा अलग था। 

 

कविताएँ हमेशा पन्नों पर अच्छी लगती हैं, कंप्यूटर स्क्रीन पर नहीं। मैं उन्हें थोड़ा और व्यक्तिगत बनाना चाहता था। मैं उसे अपने हाथों से लिखी कविता भेजना चाहता था, लेकिन मुझे डर था कि शायद वह मुझे अपना पता न दे। 

 

वैसे भी, इंटरनेट पर हम अचानक मिले अजनबी थे। सौभाग्य से, उसने खुशी-खुशी अपना पता भेज दिया, हालाँकि पिन कोड के सिवाय मैं उस पते के बारे में कुछ समझ नहीं पाया।

 

मैंने ग्लिटर और स्केच पेन, रंगीन A4 साइज कार्ड पेपर खरीदा और अपने काम में जुट गया। मैंने अलग-अलग रंग के कार्ड पेपर पर स्केच पेन से अपने हाथों से चार कविताएँ लिखीं और फिर हर एक को ग्लिटर की मदद से इंद्रधनुषों और तितलियों से सजाया। 

 

मैं धैर्य से इंतजार करता रहा कि ग्लिटर सूख जाए और फिर उन कागजों को लैमिनेट कराया।

 

हजाल का जन्मदिन 7 फरवरी को था। जनवरी आधी बीत चुकी थी। मैंने उसके लिए एक बर्थडे कार्ड और भारत की ऐतिहासिक इमारतों की तसवीरों वाली एक छोटी सी किताब खरीदी। A4 साइज से थोड़े बड़े आकार के लिफाफे में इतनी चीजें ही आ सकती थीं। 

 

डी.एच.एल., ब्लू डार्ट और प्राइवेट कूरियर सर्विस उस पार्सल को टर्की पहुँचाने के तीन हजार रुपए माँग रहे थे। मैं इतने पैसे नहीं दे सकता था, इसलिए मैंने उस पैकेज को स्पीड पोस्ट से भेजने का फैसला किया। 

 

उसके लिए मुझे बस सात सौ रुपए और सिर्फ दो घंटे लंबी लाइन में खड़े रहने और सारी जरूरी प्रक्रियाओं का धैर्य से पालन करने की जरूरत थी।

 

घर पहुँचकर मैंने फेसबुक पर हजाल को उस पार्सल की तसवीर भेजी, साथ ही पार्सल का ट्रैकिंग नंबर भी दे दिया। उस दिन शाम को जब उसने मैसेज देखा तो बहुत खुश हुई।

 

"पार्सल कितने दिन में आएगा?" हजाल ने टूटी-फूटी अंग्रेजी में पूछा था।

 

"सात दिनों के भीतर।" मैंने वही बताया, जो मुझे काउंटर पर उस बूढ़े आदमी ने बताया था।

 

"तेसेकुर एदेरिम अरकदासिम"। (शुक्रिया मेरे दोस्त ) मैं इंतजार करूँगी।"

 

दोपहर की भाग-दौड़ और फिर रात को चैट करने के बाद मैं थक चुका था, इस वजह से सोने चला गया। सोते समय मैं यह ख्वाब सजाते हुए काफी खुश था कि कविताओं को पढ़ने के बाद हजाल कैसे मेरे प्यार में पागल हो जाएगी। पर मैं सोच रहा था कि वह उन्हें समझ भी पाएगी या नहीं। उसे अंग्रेजी इतनी आती भी नहीं थी।

 

कोई फर्क नहीं पड़ता। "प्यार भाषा से बढ़कर होता है" और जब वह कविताओं को देखेगी, तब उसे समझ आ ही जाएगा।

 

अगली सुबह मैं जब जागा तो मेरे अंदर हजाल के मैसेज पढ़ने की बेचैनी थी, लेकिन मुझे गहरा सदमा लगा। उसने अपने फेसबुक अकाउंट डिएक्टिवेट कर दिया था और उसका आखिरी मैसेज यह था।

 

"कइनिम अरकदासिम" (प्यारे दोस्त)। मुझे कभी मत भुलाना। मैं तुम्हें मिस करूँगी। "होस्चेकाल" (अलविदा)"

 

To be continue.....................