The Author Dr.Chandni Agravat Follow Current Read परछाईया - भाग 3 By Dr.Chandni Agravat Hindi Fiction Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books রাজনৈতিক তরজা রাজনৈতিক তরজা অশোক ঘ... অপরাধী কে? অপরাধী কে? এক নারকীয় ধর্ষণ ও খুনের তদন্ত, বিচার ও কিছু প্রশ্... সংক্ষিপ্ত রামচরিত্র মানবাশোক বিরচিত অথ রামকথা যদি থাকে গজানন, করিনু নমন, রামের... পল্লবিত জনরব অনেকদিন আগের কথা, তখন এই বঙ্গভূমি ছোট বড় নানা রাজ্যে বিভক্... কবিতামঞ্জরী - কবির কবিতাগুচ্ছ শ্রেষ্ঠ প্রাণী অশোক ঘোষ ধরণীর মাঝে যত প্রাণী আছে সবা হতে আ... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by Dr.Chandni Agravat in Hindi Fiction Stories Total Episodes : 5 Share परछाईया - भाग 3 873 2k पार्ट 3सनत को पता चल गया की उसकी तरकीब काम कर गई हैl उसे एक यही तरीका ठीक लगा जीससे बाप बेटी को मिल सकता है अपनी जीत छोड़कर,और मनोहर सिंह को निर्वा के पास ला सकता है ।दूसरे दिन जब उसे पता चला की मनोहर सिंह पहुंचने वाले हैं, तो वह डॉक्टर और नर्स से बात करके थोड़ी देर के लिए कहीं चला गया।जैसे ही मनोहर सिंह अस्पताल पहुंचा और निर्वा के कमरे में गया तो उसे इस हालत में देखकर वह टूट गया और जब डॉक्टर ने उसकी स्थिति बताइ तो उसको इतने साल अपनी बेटी से दूर रहने के लिए बहुत अफसोस हुआ। बीस बीस साल तक उसे गुनाह की सजा देता रहा जो उसने किया ही नहीं क्योंकि कहीं ना कहीं वह दबाव में आ गया था।समाज के परिवार के।वह उसके पास बैठकर उसका चहरा सहलाने लगा निर्वा जो की सब देख रही पर रेस्पॉन्ड नहीं कर पा रही थी। वह इस स्पर्श को पहचान गई उसने अपनी आंखें खोली और बंद कर दी क्योंकि उस उसको विश्वास नहीं हो रहा था , जो वह देख रही है वह सच है थोड़ी देर बाद उसने धीरे से फिर से आंखें खोली और कुछ अस्फुट आवाज में वह बोली बा बा....थोड़ी देर बाद सनत आया उसने कहा कि माफ कीजिएगा सरकार मुझे एक यही तरीका सही लगा तो मैंने किया।इस वक्त अस्पताल के कॉरिडोर में खड़ा कोई निर्वा के रूम की ग्लास विंडो से अंदर जाकर था।वह शख्स वहां से अस्पताल के ऑफिस में गया और वहां रिसेप्शन पर वेटिंग लॉन्ज में बैठ गया थोड़ी देर बाद एक चपरासी आया और उसने उस शख्स को बुलाया की "डॉक्टर साहब आपको डीन इंटरव्यू के लिए अंदर बुला रहे हैं।"डीन ने औपचारिकता के बाद उसको पूछा आप आपके स्टेट में इतनी अच्छी पोस्ट छोड़कर यहां पर बतौर आसीस्टन्ट डॉक्टर क्यों ज्वाइन करना चाहते हैं? हमने आपको फोन पर भी बताया था कि आपके लिए न्यूरोलॉजी की पोस्ट यहां खाली नहीं है तो आप असिस्टेंट डॉक्टर की पोस्ट पर क्यों राजी हो रहे हैं कोई खास वजह!।उसने मुस्कुराते हुए बोला " मेरा कोई खास यहां इस शहर में रहता है इसलिए शहर खास है मेरे लिए ,और मुझे अपना भविष्य इसी शहर में बनाना है" डीनने कहा "ठीक है अगर आप जैसा कोई डॉक्टर हमारे हॉस्पिटल में हो तो हमें क्या दिक्कत है पर आपका पगार है वह असिस्टेंट के तौर पर ही होगी क्या आपको मंजूर है तो आज ही आपका अपॉइंटमेंट लेटर निकल जाएगा। "उसमें फुर्ती से कहां "है सर पर मैं ड्यूटी तो अभी से ज्वाइन करना चाहूंगा अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो"*************************वह अपने स्क्रब हो पहन के न्यूरोसर्जन के साथ सब पेशेंट की विजीट कर रहा था ।उसी के साथ वह निर्वा जीस रूम में एडमिट थे वहां गया, सीनियर डॉक्टर जब उसके रिफ्लेक्स चेक कर रहे थे तब वह धीरे से उसके पास गया।और निर्वा के कान में बोला "मैंने तो तुम्हारा स्वागत किया था तुम नहीं करोगी ?कोई बात नहीं मैं ही बोल देता हूं आगे खतरा है।"सनत ने देखा की डॉक्टर निर्वाह के कान में कुछ बड़बड़ रहा है तो उसे अजीब लगा। और दो-तीन दिन से निर्वा यहा थी पर उसने कभी इस डॉक्टर को नहीं देखा था। आज वह पहली बार उसे देख रहा था ।उसने डॉक्टर को पता ना चले ऐसे उसका नाम प्लेट देख लिया डॉक्टर बिरेन कुमारउसने अपने तरीके से छानबीन शुरू की तो उसको पता चला कि वह डॉक्टर आज ही यहां पर ड्यूटी ज्वाइन किए हुए हैं और वह दिल्ली से है ।पर पता नहीं उसका मन नहीं मान रहा था उसे लगता था की जरूर इसका कुछ ना कुछ तो निर्वासे कनेक्शन है ।उसने अभी मनोहर से कुछ नहीं बताया पर उसने सोचा की वह अब निर्वा के साथ साये की तरह रहेगा और इस डॉक्टर पर नजर रखेगा ।आखिर कौन था यह डॉक्टर ?उसका निवा के साथ क्या कनेक्शन था ?प्रिया वाचक आपको अगर मेरी कहानी पसंद आई तो कृपया करके आपका प्रतिभाव दे और पढ़ते रहिए मुझे सब्सक्राइब करें मुझे फॉलो करें ।धन्यवाद डॉचांदनी अग्रावत ‹ Previous Chapterपरछाईया - भाग 2 › Next Chapter परछाईया - भाग 4 Download Our App