Parents and friends are the best in Hindi Motivational Stories by DINESH KUMAR KEER books and stories PDF | माता-पिता और मित्र सर्वश्रेष्ठ हैं

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माता-पिता और मित्र सर्वश्रेष्ठ हैं


गाँव में अनुज अपने परिवार के साथ मेहनत - मजदूरी करता हुआ परिवार का पालन - पोषण कर रहा था। अनुज ताला बनाने के कारखाने में काम करता था। उसकी मेहनताना बहुत कम था, लेकिन वह खुश था। अनुज का एक दोस्त अमित शहर में एक कम्पनी में काम करता था।
एक दिन जब अमित गाँव में अपने परिवार से मिलने के लिए आया, तो ढेर सारा सामान लेकर आया था। अमित बहुत घमण्डी और लालची था। अमित अपने मित्र और पड़ोसी अनुज के पास आया और उसे देखकर बड़ी - बड़ी बातें करता हुआ कहने लगा कि - "तुम कभी तरक्की नहीं कर सकते। मुझे देखो! मैं कितना पैसा कमाता हूँ और परिवार के लिए कितना सामान लेकर आया हूँ। तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है परिवार को देने के लिए। घर भी टूटा और छप्पर वाला है। मेरा घर तो पक्का बना हुआ है। ऐसा क्यों नहीं करते कि अपनी जमीन को बेचकर मेरे साथ शहर में चलो।" अनुज को सुनकर दु:ख हुआ और बोला - "मैं जितना कमाता हूँ, मेरे परिवार में कोई दु:खी नहीं है। हम सुख - चैन के साथ अपना गुजर - बसर कर रहे हैं। तुम्हारे पास बहुत रुपया है लेकिन परिवार तुम्हारा गाँव में और तुम शहर में रहते हो? तुम्हारे बूढ़े माँ - बाप हैं, जो खेतों में अकेले ही मेहनत करते हैं। अब तुम साल में एक बार आते हो और बढ़ - चढ़कर बात कर रहे हो?" अमित को बुरा लगा और वह बोला कि - "तुम मेरे पड़ोसी हो, पड़ोसी ही रहो।"
अगले दिन अमित घर के बाहर बैठा हुआ था। उसको देखकर आस - पड़ोस के आदमी मिलने के लिए आये। अमित उन्हें अपना रुतबा बढ़ - चढ़कर बता रहा था। शाम को जब अनुज कारखाने से वापस आया तो उसको देखकर अमित हँसने लगा! अनुज ने कुछ नहीं कहा और अपने घर के अन्दर चला गया। अमित ने अपने खेत की सारी फसल को बेच दिया और सारा पैसा लेकर चलने लगा। तब उसके माता-पिता रोने लगे - "हम कैसे जियेंगे?" अमित बोला कि - "मैं आपको हर महीने एक हजार रुपये भेज दिया करूँगा।" ऐसा कहकर वह चला गया।
उसने एक - दो महीने तक तो रुपये भेजें, उसके बाद रुपये नहीं आये, क्योंकि अमित अपनी पत्नी - बच्चों को साथ ले गया था।
एक दिन अचानक अमित के पिताजी की तबीयत खराब हो गयी। घर में कोई नहीं था। माँ के द्वारा अनुज को जब यह बात मालूम पड़ी तो वह उन्हें डॉक्टर के पास ले गया और उनका इलाज करवाया। घर में खाने को भी कुछ नहीं था। पिताजी अन्तिम साँस ले रहे थे। माँ का बुरा हाल था। किसी भी तरीके से अमित को खबर की, लेकिन अमित ने मना कर दिया कि - "मैं व्यस्त हूँ। अभी नहीं आ सकता, लेकिन अनुज ने पिताजी की सेवा की और पिताजी स्वस्थ हो गये। अनुज ने अमित के माता - पिता को अपने घर में रखा और उनकी देखभाल करने लगा। गाँव के सभी व्यक्ति अमित की बुराई करने लगे।
एक दिन अमित पुराना घर बेचने के लिए गाँव में आया। उसने सोचा कि पिताजी तो चल बसे होंगे। माँ कुछ नहीं बोलेगी। उसने मकान बेचने के लिए एक व्यापारी को बुलाया। जब माँ - बाप को पता चला तो वह बाहर निकलकर आये और अमित के गाल पर चाँटा जड दिया और कहा - "इससे तो अच्छा था कि हम भी बिना औलाद के होते। धन के लालच में तू अन्धा हो गया है। हम मर जाते तो यह दिन देखने को न मिलता, लेकिन अनुज ने मुझे बचा लिया। वह गरीब है तो क्या हुआ, लेकिन उसमें न घमण्ड है, न लालच है। अमित अपने किए पर शर्मिंदा हुआ और उसने अपने माँ - बाप और अनुज से माफी माँगी।

संस्कार सन्देश :- माता - पिता और मित्र सर्वश्रेष्ठ हैं धन दौलत नहीं। संकट में यही काम आते हैं।