Crazy Love - 8 in Hindi Love Stories by Harsha meghnathi books and stories PDF | क्रेजी लव - 8

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क्रेजी लव - 8



संजना इस वक्त अपने पति रॉबिन के साथ हनीमून का प्लान कर रही थी। तभी रॉबिन उससे पूछता है।,Did you talk to Vishwajeet? Today we both are together because of Vishwajeet. I also have to thank him.

संजना कहती हे, नही अभी तक मेरी उससे बात नही हुई।

चलो में उसे phone करती हु।

फिर संजना और रॉबिन विश्वजीत को वीडियो कॉल करते हे।

विश्वजीत इषिता के साथ कार मे घर की ओर जा रहें थे तभी विश्वजीत के phone पर संजना का कॉल आता हे।

इषिता भी phone की सक्रीन की ओर देखती है जहा संजना लिखा हुआ था, ओर संजना की फोटो भी थी।

विश्वजीत ने phone की screen पर देखा, फिर इषिता की और देखकर फ़ोन कट कर दिया।

इषिता ये देखकर पूछती हैं, ये संजना कोन है?, मु दिखाई के वक्त भी सभी मुझे संजना ही समझ रहें थे, तभी तुमने मुझे भी संजना कहा था।

फिर विश्वजीत खामोश रहता हैं।

इषिता चिड़कर कहती है, तुम कोई बात ठीक से कहते क्यू नही हो। इतने mysterious क्यू हो।

क्या तुम्हारी शादी संजना से होने वाली थी? और एंड मौके पर संजना ने शादी से इन्कार कर दिया इसीलिए तुमने मुझे बलि का बकरा बना दिया? कुछ तो कहो क्या हुआ था।

हा, मेरी शादी संजना से होने वाली थी। लेकिन मैने तुमसे सिर्फ इस लिऐ शादी की क्युकी मे तुमसे प्यार करता हूं। और तुम्हे प्रोटेक्ट करना चाहता हूं। मैने तुम्हे कोई बलि का बकरा नही बनाया हे। विश्वजीतने गुस्से से कहा।

तभी palace आ गया और car रुक गई।

एक maid दौड़ कर व्हीलचेयर लेकर आ जाती हे।

विश्वजीत Ishita को कार से बाहर आने मे उसकी हेल्प करता है। उसे wheel chair पर बिठाकर अंदर ले जाता हे।

अंदर जाते ही Mrs राठौर इषिता के पास आती हे। और कहती हे,sorry बेटा महमानको संभालनेमे में आपसे बात ही नहीं कर पाई थीं। मुझे आपसे बहुत सारी बातें करनी हे। लेकिन पहले थोड़ी पेटपूजा हो जाए, कहकर Mrs राठौर इषिता की wheel chair dinning table के पास खड़ी रख देती हे।

Ishita को भूख भी बहुत लगी थी। Dining table पर कई प्रकार के अलग अलग डिश रखे हुए थे। Mrs राठौर भी इषिता के पास chair पर बैठ जाती हे। वो इषिता के सर पर प्यार से हाथ फिरा कर उसकी चोट के बारे मे पूछती है। उसके हाल चाल पूछने के बाद वो उसे प्यार से खाना परोसती हे। खाना परोसते हुए भी वो प्यार से इषिता को कहती है, मुझे पता है इस वक्त तुम्हारे मन में कई सवाल हे। सवाल होना लाज़मी भी हे। पर मेरे बेटे पर भरोसा करना। वो सब ठिक कर देगा। वो दिखने मे जिद्दी हे। गुस्सैल हे। पर दिल का बहुत अच्छा है।

Mrs राठौर की केरिंग देखकर इषिता को अपनी मां की याद आ जाती हे। उसकी आखों मे आशु देखकर Mrs राठौर कहती है। मुझे तुम्हारे बारे में सब पता है। आज से तुम मुझे मां कहकर बुलाओगी। ये कहकर Mrs राठौर उसे अपने गले लगा लेती है।

विश्वजीत ये सब दूर से देख रहा था और किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। कॉल कट होते ही वो dining टेबल पर आकर कहता है, अब आप दोनो की बाते खतम हों गई हो तो मुझे खाना परोसेंगे।

तभी एक maid आकर विश्वजीत को खाना परोस ने जाती ही है कि विश्वजीत उसे रोक कर कहता है।, मां तुम्हे पता है मुझे रोज आप ही खाना परोसती हे।, फिर आज maid क्यू परोस रही है।

Mrs राठौर कहती है, क्यू कि आज में अपनी बेटी को खाना परोस रही हूं। कहकर वो इषिता को अपने हाथ से खिलाती है।

इषिता कहती है आंटी में अपने आप खा लूंगी। पर Mrs राठौर उसे खिलाते हुए कहती हैं मुझे अब मां कहकर बुलाओ, आंटी नही।

विश्वजीत ये सब खामोशी से देख रहा था। और मन ही मन खुश भी हो रहा था कि इषिता उसकी मां से घुल मिल रही है।

खाना खत्म होने के बाद विश्वजीत इषिता को फिर से अपनी गोदी मे उठाकर उपर अपने कमरे मे चला जाता हे।

इषिता को बेड पर बिठाकर कहता है, अब तुम आराम करो।, किसी भी चीज की जरूरत हो तो maid बाहर ही होगी उसे आवाज़ कर देना। ये कहकर विश्वजीत वहा से चला जाता हे।

दूसरी ओर Mrs रॉय अस्पताल में बेड पर सोते हुए जोर जोर से आवाज कर रही थी ,हाय रि मेरी इशू तू कहा है। तू तेरी चाची को यू छोड़कर नही जा सकती।

तभी किया वहा आती हे और गुस्से से अपनी मां से कहती है, अब बस भी करो। मीडिया वाले भी कब के जा चुके हैं। अब कितना ढोंग करोगी।

किया की ये बात सुनकर Mrs Roy कहती हैं, चुप कर कोई सुन लेगा तो, सारे किए कराए पर पानी फिर जाएगा।

तुम्हे पता नहीं है, कई सालो से ये ढोंग हो रहा है। ओर अब हम अपनी मंजिल के बहुत करीब हे। तुम एंड मौके पर हमारा प्लान मत बिगाड़ देना।

किया कहती है ,thank God अब घर मे मुझे भी कोई अटेंशन मिलेगा। सालो से देखती आ रही हूं आपके और पापा के लिए तो जैसे इषिता ही सब थीं। मुझे तो कोई पूछता भी नहीं था। कभी कभी ऐसा लगता था जैसे में नही वो आपकी सगी बेटी हे।

Mrs Roy उसे कहती है चिंता मत कर अब हमारे भी अच्छे दिन आने वाले हे।

वो ये बात कर ही रहे थे की तभी Mr Roy अंदर आते हैं। उसका चहरा बहुत गंभीर था। वो बहुत ही tension में लग रहे थे। उसे ऐसा देखकर Mrs Roy पूछती हे, क्या हुआ, आपके चहरे पर बारा क्यू बजे हे। अब तो हमारी सारी परेशानियां खत्म होने वाली है। क्या आप इस बात से परेशान हैं की इषिता की बॉडी नही मिलेंगी तो क्या होगा।

तभी Mr Roy के फोन पर किसी proffessor की कॉल आती है, और Mr Roy उस से बात करने के लिए बाहर चले जाते हैं।

प्रोफेसर Mr Roy को बधाई देते हुए कहता है, मुबारक हो आखिर कार आप अपने मनसूबे में कामयाब हों ही गए Mr Roy। लेकिन हमे भूलिएगा मत। पता है ना हमारे बीच क्या तय हुआ था।










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