Pagal - 15 in Hindi Love Stories by Kamini Trivedi books and stories PDF | पागल - भाग 15

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पागल - भाग 15


"वो,, "वो वैशाली , वैशाली से ,,,, प,,, प्यार ,,, करता है ।" मैं फूट फूट कर रो रही थी।
"व्हाट?" मिहिर लगभग चीखते हुए बोला।
"सुनो, कीर्ति , तुम रो ओ मत प्लीज शांत हो जाओ ," ये उसकी गर्लफ्रेंड निशी की आवाज थी। वो स्क्रीन के सामने आते हुए बोली।

"कीर्ति सुन , वैशाली के बारे में राजीव अभी जानता नहीं है , उसे जल्द ही उसके बारे में पता चलेगा । तेरी दोस्ती, तेरा प्यार सच्चा है ना , वो लौट आयेगा , देखना " मिहिर ने कहा
"तू झूठी तसल्ली मत दे यार , अब थक गई हूं दोस्ती का नाटक करते करते , जबसे उसे देखा है मैंने पागलों की तरह उसे प्यार किया है , इतना प्यार तो मैंने खुद से भी नही किया यार , " मैं सुबकते हुए कह रही थी ।
"कीर्ति , अगर तेरा प्यार सच्चा है ना तो राजीव कहीं नही जायेगा , बिलीव मि " निशी ने कहा ।

"निशी , सब कहने की बातें है , उसे उसका प्यार मिल गया है अब उसे कभी मेरी जरूरत नहीं होगी । " इतना कहकर मैंने फोन काट दिया।

मिहिर और निशी उस वक्त मेरे लिए बहुत परेशान हो गए थे । मिहिर जानता भी नहीं था कि उसकी वजह से राजीव मुझसे नाराज़ है , मिहिर का कोई दोष भी तो नहीं था । मैं उसे क्या बताती।

दिन ऐसे ही गुजरने लगे। राजीव अब ना मुझे मेसेज करता था , ना कॉल , पहले एक दिन ऐसा नहीं होता था कि हमने बात ना की हो एक दूसरे की आदत हो चुकी थी , उसके गुड मॉर्निंग से मेरी सुबह होती थी और गुड नाइट से मेरी रात , मैं बहुत बेचैन रहने लगी।
"आखिर वो इतना निर्मोही कैसे हो सकता है? उसे बेचैनी क्यों नहीं होती ? वो कैसे रह पाता है मेरे बिना ? क्या उसे सच में कोई फर्क नहीं पड़ता ? मैं तो जी ही नही पा रही हूं उसके बिना , "
कॉलेज में छुट्टियां पड़ चुकी थी।शायद इलेक्शन के कारण और परीक्षाएं भी आने वाली थी। मैं पढ़ नही पा रही थी।
वह कॉलेज के बाहर के एरिया में मेरे साथ बैठकर पढ़ाई करता था । और अकेले भी वही बैठा करता था। कॉलेज का टाइम तो सुबह का था । वो और मैं दो बजे तक बैठते थे ।
मैं डेढ़ बजे कॉलेज गई सोचा वो बैठा होगा । लेकिन वो वहां नही था । मैं रोहिणी आंटी के घर नही जा सकती थी क्योंकि वहां जाने से अंकल आंटी को पता चल जाता कि मैं राजीव से बात नही करती हूं । और ढेर सारे सवालों का सामना करना पड़ता ।

कॉलेज के बाहर वो नही था । मैं एक घंटा वहां अपनी एक्टिवा पर बैठी रही फिर थक कर वापिस घर आ गई।
अगले दिन मैं सुबह से कॉलेज जाकर बैठी लेकिन वो नहीं आया । दिल बेचैन था , मैं रोहिणी आंटी के घर तक गई लेकिन बाहर खड़ी रही और इस तरह के राजीव ना देख सके मैं वहां हूं । लेकिन वो मुझे नही दिखा । अब बेचैनी बहुत बढ़ गई थी । मैं ऐसा महसूस कर रही थी कि मैं उसे खो चुकी हूं । पता नही क्यों मैं रोई नही , शायद पहले ही बहुत रो चुकी थी ।
अनगिनत विचारों ने दिमाग पर कब्जा कर रखा था। "उसे मेरी जरूरत थी बस एक दोस्त की तरह , बस , मैं अब उसकी जिंदगी मैं वापिस नही जाऊंगी। लेकिन वो भी परेशान हुआ तो ? उसकी परीक्षा है । क्या मुझे उससे बात करनी चाहिए? नाराज मैं हूं एक मेसेज तक नहीं कर सकता क्या वो?आखिर गलती है क्या मेरी? इतना पजेसिव है क्यों वो ? "
हां सही मायनो में "पागल " तो मैं अब हुई थी उसके लिए । इतने पागलपने मैने आज तक नही किए। बिलकुल किसी पागल की तरह सड़कों पर घूमना बैठना उसका इंतजार करना घंटों , इतनी बेचैनी । ये पागलपन ही तो था।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कोई वजूद ही नही हो उसकी जिंदगी में उसने तो चाय की मक्खी की तरह मुझे उसकी जिंदगी से निकाल कर फेंक दिया। तीसरे दिन मैं कॉलेज गई उसे बैठा देखा ।खुद दो कारों के पीछे छुपकर बैठ गई । और उसे देखती रही । 12:30 बजे से 2 बजे तक मैं उसे देखती रही उसकी पिक्स भी निकाली मोबाइल से और जब मेरा ध्यान दूसरी और गया , वापिस देखा तो वो कही नही था । 2 बजे थे शायद घर चला गया होगा । सोचकर मैं रोहिणी आंटी के घर गई वहां लॉक था शायद वो लोग मीशा को लेनें गए होंगे । क्योंकि मम्मी ने बताया था वो लोग जाने वाले है।मैं वापिस कॉलेज आ गई।

आखिर राजीव गया कहां था? क्या उसने मुझे देख लिया था? इसलिए वो चला गया? घर नही गया तो वो गया कहां?