Rahashymai Haweli - 4 in Hindi Horror Stories by गुमनाम शायर books and stories PDF | रहस्यमई हवेली - 4

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रहस्यमई हवेली - 4

तूफानी हवाएं और गहरा सन्नाटा हमने कार हवेली के गेट के पास रोक दी..
रोहन कार से निकले और हवेली का गेट खोला और हम हवेली के अंदर चले गए.. हवेली मैं बिजली नही थी.हमने अपने मोबाइल की लाइट ऑन की और कमरे की और जाने लगे।

ये सब थक गए थे सोचा के आज एक कमरे मैं रह लेते है कल सुबह देखेंगे, मेरी नजर अचानक दीवारों पर लगी तस्वीरों पर गई.और उन तस्वीरों को देख कर लग रहा था के ये तस्वीरे कुछ कहना चाह रही है।

शगुन बच्चो को ले कर कमरे के और बढ़ती है...और कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश करती है...लेकिन दरवाजा नही खुलता है...तो शगुन रोहन के आने का इंतजार करती है और रोहन बिजली के लिए फ्यूज बॉक्स की तरफ जाते है.. फ्यूज चेक करते है कोशिश करते है बिजली आ जाए लेकिन नाकाम हो कर रोहन शगुन की तरफ आने लगते है।

अब रोहन शगुन के पास कमरे की और बढ़ते हुए...कमरे के दरवाजा खोलने की कोशिश करते है लेकिन दरवाजा नही खुलता है तो रोहन दरवाजे का ताला तोड़ देता है और दरवाजा खोलते ही कुछ परिंदे इनके मुंह के पास से निकलते है ,शगुन और बच्चे डर जाते है. रोहन बोलता है डरो मत परिंदे थे।

और वो कमरे मैं चले जाते है। रात बहुत हो चुकी थी रोहन शगुन से कहता है के अभी हम सो जाते है,सुबह को हम कमरा सही करेंगे...शगुन नरम लहजे में हा बोल कर अपना सर हिलाती है..और सब सो जाते है...बाहर तेज तूफानी हवाएं चल रही होती है...और हवाओ से खिड़की का दरवाजा खुल जाता है। और शगुन डर कर उठ जाती है...रोहन करवट बदल कर सो जाता है...शगुन सहमी डरी सी सोने की कोशिश करती है लेकिन सो नही पाती है।

शगुन उठ कर खिड़की के पास जाती है और खिड़की को बंद कर देती है...फिर वो सोने की कोशिश करती है तो अचानक ही फिर से खिड़की खुल जाती है...हवा की वजह से अंदर रखी रोलर कुर्सी भी हिलने लगती है खिड़की से हवाएं अंदर की और आने लगती हैं...
सर पर रखा हुआ झूमर भी हिलने लगता है।

शगुन की नींद उड़ जाती है...अचानक आदित्य नींद से उठ जाता है और चिल्लाता है बचाओ बचाओ..शगुन उसको सीने से लगा लेती है और पूछती है क्या हुआ बेटा तो आदित्य कहता है के लंबे लंबे बाल,लाल लाल आंख, चेहरा जला हुआ,और टेढ़े मेढे दांत वाला एक आदमी ने उसका गला दबा दिया। शगुन उसको अपने सीने से लगा कर सुलाती है।

शगुन बहुत डर जाती हैं. कभी खिड़की की आवाज तो कभी दरवाजे का अपने आप खुल जाना और आवाजे आना..तो कभी सर पर लटके झूमर का हिलना..
शगुन अपनी आंखे बंद कर के सो जाती है।

जैसे तैसे करके रात गुजर जाती है और सुबह होती है..शगुन और बच्चे थोड़े डरे डरे से होते है।

रोहन शगुन को नाश्ता बनाने को कहता है,और शगुन किचन की और चली जाती है और रोहन बिजली ठीक करवाने के लिए इलेक्ट्रिशन के पास जाता है।

इलेक्ट्रिशन आता है फ्यूज बॉक्स चेक करता है और रोहन को बोलता है साहेब सब ठीक है वो एक स्विच दबा देता है तो लाइट ऑन हो जाती है.रोहन इलेक्ट्रिशन को पैसे देता है,इलेक्ट्रिशन पैसे ले लेता है और कहता है साहेब जी ये हैली ठीक नही आप यहां से चले जाओ।

रोहन उसकी बात को टाल देता है,इतने में शगुन रोहन को आवाज देती है के नाश्ता तैयार है आ जाओ।

नाश्ता तैयार कर के शगुन टेबल पर ले आती है, सब लोग नाश्ता करते हैं,नाश्ता करके बच्चे खेलने के लिए बाहर गार्डन की तरफ चले जाते है,शगुन और रोहन साफ सफाई मैं लग जाते है।

आगे का जानने के लिए मेरे साथ बने रहे
आगे की स्टोरी में