राजीव मुझे घूर रहा था ।
शादी भी निपट चुकी थी। सभी मेहमान जा चुके थे। वही रूटीन लाइफ शुरू हो गई । मैं कॉलेज गई। लेकिन मैं राजीव से बात नही करना चाहती थी । उसने भी मुझे फुल इग्नोर किया। मीशा की शादी हमारे बीच बहुत बड़ी दीवार खड़ी कर चुकी थी। एक दिन ऐसे ही चला गया । कॉलेज में सभी को बड़ा अजीब लगा हम दोनों को अलग देखकर , सभी जान गए थे हमारा झगड़ा हुआ है।
अगले दिन मैंने सोचा मैं उसे मना लूंगी अपना इगो साइड पर रखकर , मैं उसे ढूंढते हुए उसके पास गई उसकी पीठ मेरी तरफ थी।
मैं उससे कुछ कहती उससे पहले मैंने सुना, "हाई वैशाली , कैसी हो तुम?"
उसके फोन की आवाज थोड़ी तेज थी इसलिए मुझे वैशाली की आवाज भी सुनाई दे रही थी उसने कहा "तुम तो मुझे भूल ही गए राजीव"
"नही ऐसा तो नहीं है"
"तो ना कोई मैसेज ना कोई कॉल"
"हां थोड़ा बीजी था आज सोचा ही था तुम्हे कॉल करू और देखो तुम्हारा आ गया "
उनकी बातों से मन उदास हुआ और मैं अपने कदम पीछे लेकर वापिस लौट गई।
मैं कॉलेज अटेंड कर के घर चली गई । राजीव इतना एटीट्यूड रखता था कि उसने मुझसे बात करना जरूरी नहीं समझा ।
मुझे अब उस पर और भी गुस्सा आने लगा। मैने भी तय किया कि अब उससे कभी बात नहीं करूंगी।
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए । और एक दिन राजीव बहुत खुश होते हुए मेरे पास आया ,
"सुन ना झल्ली"
मैने कुछ नही कहा।
"सुन ना"
"अब याद आ रही है तुझे मेरी ?जरूर कोई काम होगा ।"
"तू ही नौटंकी है , मना नही सकती थी मुझे ?"
"जब मेरी गलती ही नही तो मनाऊं क्यों?"
"छोड़ यार , मेरी बात सुन"
"सेलफिश"
"हां , हूं पर सुन तो "
"बोल, "
"आई एम इन लव"
"क,,,, कौन है?" मेरी आवाज कांपने लगी थी ।
"वैशाली"
आंख बरसने को तैयार थी पर मैंने उसे रोका और उसे कहा "सुन यार, पता नही क्यों मुझे वैशाली ठीक नहीं लगती है"
"ऐसा कुछ नही है यार वो बहुत अच्छी है मेरा बहुत खयाल रखती है , बिलकुल मेरी मां की तरह , अगर मां होती तो ऐसा ही खयाल रखती मेरा। "
मैने कही सुना था कि लड़के उन लड़कियों को पसंद करते है जो उन्हें उनकी मां की तरह प्यार करती है । तो मैंने शायद ये ही कमी रखी थी राजीव के साथ दोस्ती निभाने में । मैं बस उसकी दोस्त बनकर रह गई। काश मैं उसे बता पाती कि उसके लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं कुछ भी बन सकती हूं। पागल पन की हद तक प्यार है उससे। वो मेरी बात समझ नही पाता और फिर झगड़ा हो जाता सोचकर मैंने आगे कुछ नहीं कहा।
"अच्छा, बहुत बहुत बधाई " मैने हंसते हुए उसे हग किया और पूछा "वैशाली से कह दिया तूने?"
"हां"
"क्या कहा उसने ?"
"हां कह दिया "
"वाव, तब तो पार्टी बनती है " मैने मुस्कुराते हुए कहा।
"साले इतना सब हो गया और मुझे बताया तक नहीं"
मैने कहा और मेरा फोन बजा , मैने देखने के लिए फोन निकाला तो राजीव ने मेरा फोन छीन लिया ऊपर मिहिर का नाम शो हो रहा था।
"ओह, तो तू इससे बात करती है ?" राजीव का व्यवहार एक दम बदल गया । उसकी आंखों में फिर गुस्सा भर आया।
इतने दिनो में मिहिर का मेसेज कभी नहीं आया था लेकिन मेरी खराब किस्मत की आज जब राजीव वापिस मेरी जिंदगी में आया तब ही उसका मेसेज भी आ गया। ना जाने भगवान को क्या मंजूर था ।
"राजीव इसमें गुस्सा होने की क्या बात है?"
"मिहिर मुझे पसंद नही है "
"तो मैं तेरी पसंद से दोस्त बनाऊंगी क्या ? तेरे सिवा मेने कभी किसी से दोस्ती नही की।"
"तो अब क्यों बीच में लाई?"
"बीच में तू लाया वैशाली को" मुझसे अब सहन नही हो रहा था मैंने चिल्ला कर कहा।
"तुझे मेरे प्यार से जलन हो रही है?"
"तुझे मेरी दोस्ती से जलन हो रही है"
हम फिर लड़ने लगे।
वह मेरा फोन मेरे हाथों में देकर चला गया।
मैं उसे जाते हुए देख रही थी और रो रही थी । मिहिर का फिर मेसेज आया ।
मैने उसे वीडियो कॉल ही कर दिया ।
"हाई कैसी है?"
मैंने कुछ नही कहा मैं बस रोने लगी
"रो क्यों रही है?"
"राजीव,,, "
"अब क्या किया उसने ?"
"वो वैशाली , वैशाली से ,,,, प,,, प्यार ,,, करता है ।" मैं फूट फूट कर रो रही थी।
"व्हाट?"
अब क्या होगा कहानी में आगे ? क्या किया उसके बाद मैने ? क्या कभी जान पाएगा राजीव की मुझे उससे बेइंतहां मुहब्बत है?